गीता भवन में रामस्नेही संतों के सान्निध्य में
सुबह-शाम सत्संग
इंदौर, । जिस तरह तिल में तेल होता तो है लेकिन पुरुषार्थ किए बिना दिखता नहीं, दूध में घी होता है लेकिन मेहनत किए बिना नहीं मिलता उसी तरह इस सृष्टि के हरेक कण में और भक्तों के हृदय में राम का निवास होता है, लेकिन बिना भक्ति किए उसकी अनुभूति नहीं होती। ‘हरि व्यापक सर्वत्र समाना‘ – हरि अर्थात भगवान सब दूर व्याप्त हैं, लेकिन हमारी भक्ति के बिना उनकी अनुभूति संभव नहीं है।
जोधपुर से आए संत हरिराम शास्त्री रामस्नेही ने आज शाम गीता भवन के सत्संग सभाग्रह में आयोजित अपने प्रवचनों में कहा कि भगवान दया और प्रेम की भावना से भरपूर रहने वाले भक्तों के हृदय में निवास करते हैं। प्रभु हर जगह व्यापक हैं। सृष्टि के प्रत्येक हिस्से में भगवान की अनुभूति संभव है, यदि हम सच्चे मन से प्रभु की भक्ति करें। आज श्रीराम स्नेही संप्रदाय के आद्याचार्य स्वामीचरण महाराज की वाणी और रामनाम की महिमा की व्याख्या करते हुए कहा कि भूले से भी राम का नाम यदि हमारी जुबां पर आ जाए तो जीव का कल्याण हुए बिना नहीं रहता। सत्संग में छावनी रामद्वारा के संत रामस्वरूप रामस्नेही भी मौजूद थे।
प्रारंभ में गीता भवन ट्रस्ट के अध्यक्ष गोपालदास मित्तल, मंत्री राम ऐरन एवं सत्संग समिति के संयोजक रामविलास राठी ने संत विद्वानों का स्वागत किया। गीता भवन में 12 से 18 दिसम्बर तक अ.भा. गीता जयंती महोत्सव का 64वां आयोजन होगा।