100 करोड़ की लागत से बने रानी कमलापति रेलवे स्टेशन(हबीबगंज) का लोकार्पण

भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में 100 करोड़ की लागत से बने रानी कमलापति रेलवे स्टेशन(हबीबगंज) का लोकार्पण कर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि रानी कमलापति का नाम जुड़ने से गोंड गौरव भारतीय रेलवे से जुड़ा है। आज का दिन देश के लिए गौरवपूर्ण इतिहास और वैभवशाली भविष्य के संगम का दिन है। भारतीय रेल का भविष्य कितना आधुनिक है। कितना उज्जवल है। इसका प्रतिबिंब भोपाल के इस भव्य रेलवे स्टेशन में जो भी आएगा, उसे दिखाई देगा। भोपाल के इस ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन का सिर्फ कायाकल्प नहीं हुआ है, बल्कि गिन्नौरगढ़ की रानी का नाम जुड़ने से इसका महत्व और बढ़ गया है।

उन्होंने कहा कि 6 साल पहले तक जिसका भी पाला भारतीय रेल से पड़ता था, वो भारतीय रेल को ही कोसते हुए ज्यादा नजर आता था। स्टेशन पर भीड़ भाड़ गंदगी। खाने-पीने की असुविधा। ट्रेन में गंदगी। सुरक्षा की भी चिंता रहती थी। लोग चेन लेकर बैग में ताला लगाते थे। दुर्घटना का भी डर रहता था।

उन्होंने कहा कि एक जमाना था, जब रेलवे के प्रोजेक्ट को ड्राइंग बोर्ड से जमीन पर उतरने में सालों साल लग जाते थे। मैंने पिछले दिनों समीक्षा की तो एक प्रोजेक्ट 40 साल से कागजों पर है। अब यह काम भी मुझे ही करना पड़ेगा, मैं करूंगा, यह भरोसा देता हूं। हमारा VIP (वेरी इंपोर्टेंट पर्सन) से EPI (एवरी पर्सन इंपोर्टेंट) पर फोकस है।

वहीं रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस स्टेशन को सर्वश्रेष्ठ बताया। उन्होंने पुरानी कहावत तालों में ताल भोपाल ताल को नया रूप देते हुए कहा कि स्टेशनों में स्टेशन, रानी कमलापति स्टेशन। उन्होंने कहा कि रानी कमलापति रेलवे स्टेशन को भोपाल मेट्रो से इंटीग्रेट किया जाएगा। इससे पहले करीब 15 मिनट तक प्रधानमंत्री ने वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन का अवलोकन किया। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उन्हें स्टेशन के बारे में पूरी जानकारी दी।

प्रधानमंत्री बोले- आजादी के बाद की सरकारों ने आदिवासियों के बारे में देश को अंधेरे में रखा
अमर शहीद बिरसा मुंडा की जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदिवासियों को अंधेरे में रखने के लिए आजादी के बाद की सरकारों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद की सरकारों ने आदिवासियों की समृद्ध विरासत के बारे में देश को नहीं बताया। इससे पहले उन्होंने सम्मेलन में लाखों की संख्या में आए आदिवासियों का उन्हीं की बोली में स्वागत करते हुए कहा- हूं तमारो स्वागत करूं। जोहार मध्यप्रदेश। उन्होंने आदिवासियों को एक मिनट तक उन्हीं की बोली में संबोधित किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का दिन पूरे देश के लिए बहुत बड़ा दिन है। आज भारत अपना पहला जनजातीय गौरव दिवस मना रहा है। आजादी के बाद देश में पहली बार, इतने बड़े पैमाने पर पूरे देश के जनजातीय समाज की कला, संस्कृति, स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को गौरव के साथ याद किया जा रहा है।

इससे पहले मंच पर प्रधानमंत्री के स्वागत में उन्हें जनजातीय वेशभूषा पहनाई गई। आदिवासी वर्ग के नेताओं ने उन्हें झाबुआ से लाई गई पारंपरिक जैकेट और डिंडोरी से बुलाया गया साफा पहनाया गया। स्वागत के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे ने उनके पैर छूने की कोशिश की तो प्रधानमंत्री ने उन्हें रोक दिया।

आदिवासियों के संगीत, नृत्य जीवन जीना बताते हैं
प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरा ये अनुभव रहा है कि जीवन के महत्वपूर्ण कालखंड को मैंने आदिवासियों के बीच बिताया है। जीवन जीने का कारण, जीवन जीने के इरादे को आदिवासी परंपरा बखूबी प्रस्तुत करती है। उनके नृत्य संगीत संदेश देते है। मैंने उनको समझने का प्रयास किया। शरीर चार दिनों का है। अंत में मिट्‌टी में मिल जाएगा। खाना-पीने खूब किया। मौजू मस्ती में उमर बिता दी। जीवन सफल नहीं किया। अपने जीवन में लड़ाई झगड़ा खूब किया। घर में उत्पाद भी किया। जब अंत समय आया तो मन में पक्षताना व्यर्थ है। धरती खेत खलियान किसी के नहीं है। अपने मन में गुमान करना व्यर्थ है। यह धन दौलत कोई काम के नहीं है। इसे यहीं छोड़कर जाना है।

उन्होंने कहा कि धरती खेत खलिहान किसी के नहीं हैं, अपने मन में गुमान करना व्यर्थ है। ये धन, दौलत कोई काम के नहीं हैं। इसे यहीं छोड़कर जाना है। आप देखिए, आदिवासी के संगीत में नृत्य में जो शब्द कहे गए हैं, वो जीवन का उत्तम तत्वज्ञान मेरे आदिवासी भाई-बहनों ने आत्मसात किया है।