अखंड धाम के महामंडलेश्वर वेदांत केसरी स्वामी लक्ष्मणानंदमहाराज की 17वीं पुण्यतिथि पर आयोजन
इंदौर । संत और महापुरुष किसी एक धर्म, पंथ या सम्प्रदाय के नहीं, पूरे राष्ट्र की धरोहर होते हैं। उनका चिंतन और मंथन स्वयं के लिए नहीं, बल्कि समूचे समाज के लिए होता है। उनके सद्कर्मो की सुगंध कभी नष्ट नहीं हो सकती। सेवा और परमार्थ के कर्मों में ही उनका जीवन समर्पित बना रहता है। अखंड धाम के महामंडलेश्वर स्वामी लक्ष्मणानंद महाराज ऐसे ही दिव्य और सेवाभावी संत थे।
ये विचार हैं महामंडलेश्वर स्वामी रामगोपालदास महाराज के, जो उन्होंने आज बिजासन रोड स्थित अखंडधाम आश्रम के महामंडलेश्वर ब्रह्मलीन वेदांत केसरी स्वामी लक्ष्मणानंद महाराज की 17वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। अखंडधाम के वर्तमान महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी चेतनस्वरूप की अध्यक्षता एवं चित्रकूट के स्वामी प्रभुतानंद के मुख्यातिथ्य में हवन-पूजन, महाआरती एवं भंडारे के साथ ब्रह्मलीन संत का पुण्य स्मरण किया गया। प्रारंभ में स्वामी राजानंद ने गुरुवंदना प्रस्तुत की। इस अवसर पर मुख्य रूप से ठा. विजयसिंह परिहार, हरि अग्रवाल, मोहनलाल सोनी, सुरेश रामपीपल्या, पूर्व पार्षद दीपक जैन टीनू, रज्जू पंचोली, राजेन्द्र गर्ग, दिनेश जिंदल आदि ने प्रारंभ में सभी संतों एवं अतिथियों का स्वागत किया और स्वामी लक्ष्मणानंदजी की मूर्ति पर माल्यार्पण कर उनसे जुड़े प्रेरक संस्मरण सुनाए। इस अवसर पर राजेन्द्र मित्तल, प्रदीप यादव, संजय गोनयका, शंकर लाल वर्मा, सचिन सांखला आदि ने भी स्वामी लक्ष्मणानंद की प्रतिमा पर माल्यार्पण किए। संचालन हरि अग्रवाल ने किया और आभार माना सचिन सांखला ने। इस अवसर पर आगामी 19 से 25 दिसम्बर तक आयोजित 54वें अ.भा. अखंड वेदांत संत सम्मेलन की तैयारियों पर भी चर्चा की गई।