मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता को लेकर डॉ. रामगुलाम राजदान की किताब ‘कैसे रखें मन को स्वस्थ’ का विमोचन

मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता को लेकर डॉ. रामगुलाम राजदान की किताब ‘कैसे रखें मन को स्वस्थ’ का विमोचन

इंदौर। मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के अंतर्गत मालवांचल विश्वविद्यालय के प्रो-वाइस-चांसलर, डॉ. रामगुलाम राजदान द्वारा लिखित किताब ‘कैसे रखें मन को स्वस्थ’ का विमोचन किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध कवि सत्यनारायण सत्तन थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंडेक्स ग्रुप के चेयरमैन श्री सुरेश सिंह भदौरिया ने की। साथ ही कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार श्री सरोज कुमार, वरिष्ठ पत्रकार डॉ प्रतीक श्रीवास्तव भी उपस्थित थे। सभी सम्मानित अतिथियों ने किताब की प्रशंसा करते हुए इसका विमोचन किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध कवि श्री सत्यनारायण सत्तन ने कहा कि “आज के समय में ऐसी किताब की बहुत आवश्यकता है। मानसिक स्वास्थ्य पर लिखित यह किताब निश्चित रूप से समाज के हर वर्ग को लाभ पहुंचाएगी”।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे इंडेक्स ग्रुप के चेयरमैन श्री सुरेश सिंह भदौरिया ने कहा कि “मैं डॉ रामगुलाम राजदान जी को इस किताब के लिए बधाई देता हूँ। साथ ही उम्मीद करता हूँ कि आने वाले समय में इस तरह की हिंदी की किताबें और भी प्रकाशित हो, जिसकी आज समाज के आम नागरिकों से लेकर विश्वविद्यालय और मेडिकल कॉलेज में भी आवश्यकता है”।
वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक श्री सरोज कुमार ने कहा कि “यह एक बहुत अच्छी किताब है। आने वाले समय में भी यह किताब लोगों को मानसिक रोग से संबंधित ज्ञान देगी और उनकी जिंदगी पहले से बेहतर हो पाएगी।”
मालवांचल विश्वविद्यालय के प्रो-वाइस-चांसलर डॉ. रामगुलाम राजदान ने कहा कि “वर्तमान समय में मानसिक रोगों के प्रति जागरूकता की बहुत कमी है। सर्वेज़ के अनुसार जबकि हमारे देश की 13.9 प्रतिशत जनसंख्या मनोरोगों से पीड़ित है। वहीं, 5.6 प्रतिशत लोग अवसाद, 5 प्रतिशत मानसिक तनाव, 22 प्रतिशत लोग नशीले पदार्थों की आदत से जूझ रहे हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक लोग मनोरोग से पीड़ित होते हैं। हालांकि बुजुर्गों में मनोरोग की समस्या बढ़ गई है, जिनकी हमें देखभाल करने की आवश्यकता है”।
उन्होंने आगे बताया कि “एक मनोरोग है मानसिक विक्षिप्तता, जो कि करीब 1.4 प्रतिशत लोगों में होता है। आज के समय में यह विक्षिप्तता भी उपचार से ठीक हो जाती है। यदि किसी घर में कोई मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्ति होता है तो वे लोग समझते हैं कि यह कोई देवी प्रकोप से या कोई बाहरी बाधा से परेशान है। जबकि वह व्यक्ति मानसिक विकार से पीड़ित रहता है। उसके मस्तिष्क में कोई रासायनिक परिवर्तन होते है, जिससे बीमारियां पैदा होती है। आज के समय में इस तरह की सभी समस्याओं का निदान संभव है। किताब लिखने का उद्देश्य यही है कि आम लोगों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता आए, सही समय पर इस समस्या का उपचार करवाएं और वे स्वावलंबी होकर अच्छा जीवन बिताएं”।
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ शिक्षाविद डॉ अलका भार्गव ने किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि “हमें नकारात्मक विचारों से बचना चाहिए। क्योंकि नकारात्मक विचार उन रोगों को आकर्षित करते हैं, जो विचारों में शामिल होते होते हैं।