माता-पिता के मन को आघात पहुंचाने वाली संताने कभी सुखी नहीं रह सकती-पं.तिवारी

माता-पिता के मन को आघात पहुंचाने वाली
संताने कभी सुखी नहीं रह सकती-पं.तिवारी

इंदौर. । माता-पिता के चरणों में ही वास्तविक स्वर्ग है। जो संतान मां-बाप के मन को आघात पहुंचाती है, वह कभी सुखी नहीं रह सकती लेकिन श्राद्ध पक्ष में प्रायश्चित से उनका अभिशाप भी वरदान में बदल सकता है। कलियुग में मनुष्य भौतिक चकाचैंध में उलझकर अपने कर्तव्यों से विमुख होता जा रहा है। माता-पिता की सेवा बोझ मानी जा रही है। नए-नए वृद्धाश्रम खुल रहे हैं। विडंबना है कि भारतीय संस्कृति में हमें ऐसे दिन भी देखना पड़ रहे हैं।

ये प्रेरक विचार हैं आचार्य पं. पवन तिवारी के, जो उन्होने बड़ा गणपति, पीलियाखाल स्थित हंसदास मठ पर श्रद्धासुमन सेवा समिति के तत्वावधान में चल रही मोक्षदायी भागवत कथा में उपस्थित भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। कथा में आज कृष्ण सुदामा मैत्री का भावपूर्ण प्रसंग सुनाया गया। तर्पण अनुष्ठान में आज सुबह 300 से अधिक साधकों ने तर्पण में शामिल हो कर अपने दिवंगत परिजनों के लिए शास्त्रोक्त विधि से तर्पण किया। यदि अधिक संख्या में साधक आते हैं तो एक से अधिक परियों में भी तर्पण की व्यवस्था आचार्य पं. पवन तिवारी के निर्देशन मेें रखी गई है। आज पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता ने हंसपीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज के सानिध्य एवं परशुराम महासभा के पं. पवनदास शर्मा के विशेष आतिथ्य में तर्पण अनुष्ठान की आरती में भाग लिया। इस अवसर पर मुरलीधर धामानी, शरद निंबालकर, ओमप्रकाश फरकिया,गीतादेवी शर्मा, राजकुमारी मिश्रा, पुरूषोत्तम मेड़तवाल ने भी आरती में भाग लिया। अतिथियों का स्वागत मोहनला सोनी, राजेंद्र गर्ग, हरि अगव्राल, जगमोहन वर्मा, ज्योती शर्मा, पुष्पेंद्र सोनी, हरिश नागोरी, जवाहरलाल शर्मा आदि ने किया। मोक्षदायी भागवत का आज समापन हो गया। इस अवसर पर आयोजन समिति की ओर से सूरजसिंह राठौर, ज्योति शर्मा, पुष्पेंद्र सोनी, लता राजेंद्र सोनी आदि ने विद्वान वक्ता का सम्मान किया। संचालन राजेंद्र सोनी ने किया और आभार माना राजेंद्र गर्ग ने।