भारत सरकार ने रेल यात्रा और माल ढुलाई की सुविधा के लिए नीमच-रतलाम खंड का दोहरीकरण अनुमोदित कर दिया है।

भारत सरकार ने रेल यात्रा और माल ढुलाई की सुविधा के लिए नीमच-रतलाम खंड का दोहरीकरण अनुमोदित कर दिया है।

प्रस्तावित परियोजना से खंड की मौजूदा लाइन क्षमता बढ़ेगी जिसके परिणामस्‍वरूप गाड़ी प्रचालन सुगम होगा और समयपालन तथा वैगन टर्न राउंड में सुधार होगा।

इससे संकुलन में कमी आएगी और रेल यातायात में बढ़ोतरी होगी।

इस परियोजना में इसके निर्माण के दौरान लगभग 31.90 लाख जनदिवसों का प्रत्‍यक्ष रोजगार भी सृजित होगा।

परियोजना की अनुमानित लागत 1095.88 करोड़ रुपए है और यह परियोजना 2024-25 तक पूरी हो जाएगी।

आर्थिक मामलों संबंधी मंत्रिमंडल समिति ने नीमच-रतलाम (132.92 कि.मी.) खंड के बीच दोहरीकरण के निर्माण को अनुमोदित कर दिया है। रेल मंत्रालय द्वारा 1095.88 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत पर निर्मित की जाने वाली परियोजना 2024-25 तक पूरी हो जाएगी। इस परियोजना में इसके निर्माण के दौरान लगभग 31.90 लाख जनदिवसों का प्रत्‍यक्ष रोजगार सृजित होगा।

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी के नए भारत के दृष्‍टिकोण के अनुरूप इस परियोजना से परिचालन सुगम होगा और संकुलन में कमी आएगी तथा भारतीय रेल के व्‍यस्‍ततम खंड का अपेक्षित अवसंरचनात्‍मक विकास होगा।

नीमच-रतलाम खण्‍ड रतलाम-चित्‍तौड़गढ़ बड़ी लाइन खण्‍ड का एक भाग है जो नीमच-चित्‍तौड़गढ़ क्षेत्र की सीमेंट बेल्‍ट को उत्‍तर, दक्षिण और मध्‍य भारत से जोड़ने वाला बड़ी लाइन का एक महत्‍वपूर्ण व्‍यस्‍त खण्‍ड है। नीमच-चित्‍तौड़गढ़ खण्‍ड के दोहरीकरण और विद्युतीकरण का कार्य पहले ही प्रगति पर है। इसलिए, नीमच-रतलाम खण्‍ड दो दोहरी बड़ी लाइन खण्‍डों अर्थात् एक छोर पर चित्‍तौड़गढ़-नीमच और दूसरे छोर पर मुंबई-वडोदरा-रतलाम-नागदा मुख्‍य लाइन के बीच एक अलग एकल लाइन खंड है।

मौजूदा एकल लाइन खण्‍ड अत्‍यंत संतृप्‍त हो गया है और बड़ी संख्‍या में मुख्‍य सीमेंट उद्योगों के होने के कारण माल यातायात प्रचालन पर्याप्‍त है और बढ़ता जा रहा है। यहां तक कि इस क्षेत्र में नए सीमेंट उद्योग स्‍थापित होने वाले हैं। यह परियोजना वित्‍तीय रूप से अर्थक्षम है।

नीमच-रतलाम खण्‍ड की लाइन क्षमता उपयोगिता अनुरक्षण ब्‍लॉक सहित 145% तक है। परियोजना मार्ग खण्‍ड अनुरक्षण ब्‍लॉक के बिना भी इष्‍टतम क्षमता से अधिक संतृप्‍त हो गया है। सीमेंट कंपनियों के कैप्टिव पॉवर प्‍लांट के लिए मुख्‍य आवक माल यातायात के रूप में कोयले की ढुलाई की जाती है। नीमच-चित्‍तौड़गढ़ क्षेत्र में सीमेंट में सीमेंट ग्रेड चूना पत्‍थर के भारी मात्रा में जमाव होने के कारण नए सीमेंट उद्योग स्‍थापित होने से इस खण्‍ड पर यातायात और बढ़ेगा।

नीमच-रतलाम खण्‍ड का दोहरीकरण होने से खण्‍ड की क्षमता बढ़ेगी। इस प्रकार, भारतीय रेल प्रणाली में और अधिक मालगाड़ियां और यात्री गाड़ियां शुरू की जा सकती हैं।

इस परियोजना से कनेक्‍टिविटी में सुधार होगा और परिणामस्‍वरूप क्षेत्र का सामाजिक-आर्थिक दृष्‍टि से विकास होगा। परियोजना से इस क्षेत्र में पर्यटन भी बढ़ेगा क्‍योंकि इस परियोजना क्षेत्र में ऊँचागढ़ किला सहित अनेक ऐतिहासिक स्‍थल स्थित हैं।

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भारत सरकार ने रेल यात्रा और माल ढुलाई की सुविधा के लिए
राजकोट-कानालुस खंड का दोहरीकरण अनुमोदित कर दिया है।

प्रस्तावित परियोजना से खंड की मौजूदा लाइन क्षमता बढ़ेगी जिसके परिणामस्‍वरूप गाड़ी प्रचालन सुगम होगा और समयपालन तथा वैगन टर्न राउंड में सुधार होगा।

इससे संकुलन में कमी आएगी और रेल यातायात में बढ़ोतरी होगी।

इस परियोजना में इसके निर्माण के दौरान लगभग 26.68 लाख जनदिवसों का प्रत्‍यक्ष रोजगार भी सृजित होगा।

परियोजना की अनुमानित लागत 1080.58 करोड़ रुपए है और यह परियोजना 2025-26 तक पूरी हो जाएगी।

आर्थिक मामलों संबंधी मंत्रिमंडल समिति ने राजकोट-कानालुस (111.20 कि.मी.) खंड के बीच दोहरीकरण के निर्माण को अनुमोदित कर दिया है। रेल मंत्रालय द्वारा 1080.58 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत पर निर्मित की जाने वाली परियोजना 2025-26 तक पूरी हो जाएगी। इस परियोजना में इसके निर्माण के दौरान लगभग 26.68 लाख जनदिवसों का प्रत्‍यक्ष रोजगार सृजित होगा।

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी के नए भारत के दृष्‍टिकोण के अनुरूप इस परियोजना से परिचालन सुगम होगा और संकुलन में कमी आएगी तथा भारतीय रेल के व्‍यस्‍ततम खंड का अपेक्षित अवसंरचनात्‍मक विकास होगा।

राजकोट-कानालुस खण्‍ड मुंबई-अहमदाबाद-विरमगाम-ओखा बड़ी लाइन खण्‍ड का एक भाग है जो पोरबन्‍दर, कानालुस, विंड मिल, सिक्‍का आदि जैसे विभिन्‍न गंतव्‍य स्‍थलों पर आरंभ और समाप्‍त होने वाले यातायात के लिए बड़ी लाइन का एक महत्‍वपूर्ण व्‍यस्‍त खण्‍ड है। विरमगाम से सुरेन्‍द्रनगर खण्‍ड के बीच दोहरीकरण पहले ही पूरा हो गया है। सुरेन्‍द्रनगर से राजकोट खण्‍ड तक दोहरीकरण परियोजना का कार्य प्रगति पर है। इस प्रकार यदि राजकोट से कानालुस तक दोहरीकरण परियोजना स्‍वीकृत की जाती है तो मुंबई से कानालुस तक समूचा खण्‍ड एक दोहरी लाइन खण्‍ड हो जाएगा।

इस खण्‍ड पर संचालित मौजूदा माल यातायात मुख्‍यत: पेट्रोल, तेल एवं स्‍नेहक, कोयला, सीमेंट, उर्वरक और खाद्यान्‍न हैं। माल का उत्‍पादन निजी साइडिंगों से जुड़े हुए उद्योगों से होता है जिन्‍हें परियोजना मार्ग संरेखण से ले जाया जाता है। भविष्‍य में बड़े उद्योगों जैसे रिलायंस पेट्रोलियम, एस्‍सार ऑयल और टाटा केमिकल्‍स द्वारा पर्याप्‍त माल यातायात ढुलाई का अनुमान है। राजकोट-कानालुस के बीच एकल बड़ी लाइन खण्‍ड अत्‍यंत संतृप्‍त हो गया है और प्रचालनिक कार्यप्रणाली को सरल बनाने के लिए एक अतिरिक्‍त सामांतर बड़ी लाइन की आवश्‍यकता है।

इस खण्‍ड पर 30 जोड़ी पैसेंजर/मेल एक्‍सप्रेस गाडि़यां चलती हैं और अनुरक्षण ब्‍लॉक सहित इस मौजूदा लाइन क्षमता का उपयोग 157.5% तक है। दोहरीकरण के बाद मालगाड़ी यातायात और यात्री गाड़ी यातायात दोनों की रुकौनी काफी कम हो जाएगी। खण्‍ड का दोहरीकरण होने से इस खंड की क्षमता बढ़ जाएगी और भारतीय रेल प्रणाली पर और अधिक गाड़ियां चलाई जा सकती हैं।

राजकोट से कानालुस तक प्रस्‍तावित दोहरीकरण के फलस्‍वरूप सौराष्‍ट्र क्षेत्र का सर्वांगीण विकास होगा।