“शक के समुंदर में डूबता परिवार बचाया वन स्टॉप सेंटर ने”
कुसुम पति रमेश (परिवर्तित नाम), पति का किसी अन्य महिला से संबंध होना, उसी महिला का फोन आने पर सवाल करने पर पति द्वारा डंडे से मारपीट के चलते हाथ में फ्रैक्चर होना, घर से निकाल देना,अपशब्द कहना, तीन बेटों और एक बेटी की जिम्मेदारी अकेले सम्हालना ऐसी सारी शिकायतें लेकर आई थी। वो चाहती थी की पति खर्चा दे।
पति को वन स्टॉप सेंटर पर तलब किया गया , कथन लिए गए फिर उसे परामर्श के लिए बुलाया गया।
तब कुछ अलग ही कहानी सामने आई। पति का कहना था बीबी बहुत ज्यादा शक करती है, किसी से कर्ज ले रखा है उस महिला का फोन आता है।जिस दिन विवाद हुआ, किसी महिला का फ़ोन नही था पर पत्नी आरोप लगा रही थी तब, गुस्से में धक्का दिया तो वो फरसी पर गिर गई और हाथ फ्रैक्चर हो गया।पत्नी कोर्ट केस भी कर चुकी है, हमेशा थाने से बुलावा आ जाता है।मुझे फोन नही रखने देती, बार बार सिम बदलवा देती है, पुताई का काम करता हूं, तो कस्टमर फोन कहां करेंगे, ठेकेदार बात कैसे करेगा? तीन बच्चें तो मेरे ही साथ हैं, छोटी बेटी पत्नी के साथ है।तब पति पत्नी को केंद्र पर बुलाया गया और संयुक्त परामर्श दिया गया।
परामर्श के दौरान रमेश की कुछ बातें सत्य पाई गई और कुछ बातें कुसुम की सत्य थी, पर प्रमुखता से यह बात सामने आई की कुसुम का अत्यधिक शक करने का स्वभाव है।
दोनो को साथ बैठाने पर दोनो ने समझौता करने का मन बनाया।
कई शर्तों पर दोनो से लिखित में सहमती ली गई जैसे अर्जुन काम पर नही जा रहा तब १० दिन का समय दिया गया और ठेकेदार से लिखवाकर मंगाया गया की ८ दिन से वो सतत काम पर जा रहा है जो उसने लिखित में लाकर दिया।तब दिनांक २६/८/२१ को समझौता करवाया गया। समझाइश दी गई की कुसुम को शक करने की आदत पर काबू करना होगा नही तो परिवार टूट जायेगा, दोनो को परिवार नियोजन करने की सलाह दी गई क्यूंकि चार बच्चे पैदा कर चुके हैं तो आर्थिक समस्या तो आयेगी ही।
और भी कई बातें समझाकर तय हुआ की रमेश अगले दिन बच्ची और पत्नी को ससुराल से ले जाएगा।
इस तरह ये मसला वन स्टॉप सेंटर के प्रयत्नों से सुलझ गया।