वन स्टॉप सेंटर पर सुलझा निराला केस”

“वन स्टॉप सेंटर पर सुलझा निराला केस”

दिनांक १०/०८/२१ को केंद्र पर अमिता पति अमित आवेदन लेकर आई की मुझे ननद प्रताड़ित करती है, पति की आमदनी अधिक न होने से शादी के बाद से ही ससुरजी घर खर्च, मेरे पर्सनल खर्च, तीज त्योहार और जन्मदिन वगैरा पर हमेशा पैसे देते रहे हैं।छोटे मोटे विवाद को छोड़कर मैं पति और ससुर अच्छे से साथ रह रहे थे। दोनों ननदे आती जाती रहती थी, थोड़ी समस्या होती थी पर दूसरे लॉकडाउन के वक्त बड़ी ननद अविवाहित होने से वर्क फ्रॉम होम के चलते हमारे साथ रहने आईं और समस्या बढ़ने लगी।

ससुर ने पैसा देना बंद कर दिया, ननद अपशब्द कहती हैं और प्रताड़ित करती है। किरायेदार भी धमकाते हैं।मुझे बहुत मानसिक संत्रास हो रहा है। मेरे पति कम कमाते हैं तो हम अलग नही रह सकते अतः मैं चाहती हूं की ससुर किरायेदार को हटा कर हमे उपरी मंजिल का घर दे दें ताकि हम शांति से जी सके भले ही ससुर जी हमे खर्च के पैसे न दें।

इन सभी समस्याओं को सुनकर अमिता को परामर्श के लिए समय दिया गया। केंद्र पर प्रशासक डाॅ. वंचना सिंह परिहार और परामर्शदात्री का पूर्ण प्रयास रहता है कि किसी भी समस्या को हल करने का हरसंभव प्रयास किया जाय।इसी के मद्देनजर
प्रथम परामर्श सत्र में अमिता को सलाह दी गई की ससुरजी से बैठकर बात करें, समस्या का समाधान निकालने का आग्रह करें। वो अब तक आपका साथ देते रहें हैं तो निश्चित आगे भी आपका साथ देंगे। उनकी स्वअर्जित संपत्ति में वो चाहे तो किरायेदार रख सकते हैं और आपका खर्च उठाना आपके पति की जिम्मेदारी है ससुर की नही। आप भी खाना अच्छा बनाते हो तो खुद ऑर्डर लेकर खाने की सामग्री बेच सकते हो और आर्थिक रूप से समर्थ बन सकते हो। सौहाद्रपूर्वक रहेंगे तो समस्या धीरे धीरे सुलझेगी।तब अमिता ने कहा पति भी भी गुस्सा करते हैं, हालांकि मुझे बहुत अच्छे से रखते हैं।
ननद, ससुर, पति सभी को बुलाया गया, कथन लिए गए तब और भी पक्ष सामने आए। ननद पर अमिता की मां ने चारित्रिक लांछन लगाए जिससे नाराज होकर ननद ने अपशब्द कहे, मारपीट हुई, थाने में रिपोर्ट हुई, फिर भी पिता ने केस वापस ले लिया की बेटे को तो बाद में भी मुझे ही छुड़ाना है, रिश्ते ऐसे खत्म नहीं होते। अमित पिता से दुर्व्यवहार करता है और भी कई बातें सामने आई। अमित के पिता चाहते थे की घर न टूटे पर वो भी बहुत परेशान थे न बेटी समझने को तैयार है न बेटा समझ रहा है वो भी ससुराल वालों की बातों में आकर निर्णय लेता है।न बहु खाना बनाने को तैयार है न परेशानियां कम हो रही। , दोनो बाहर से टिफिन लाकर खाना खा रहे हैं। अमीता की मांग पूरी करने में पिता ने असमर्थता जताई की किराया भी मेरी आय का स्रोत है। परामर्श सत्र के दौर ५ घंटे तक चले अंततः सभी एकमत हुए और अमित और अमिता को पिता ने दो कमरे जहां वो रह रहे हैं उसमे एक में किचन बनाकर देना मान्य किया। बहन को अमित कोई भी अपशब्द नही कहेगा और न ही बहन भाई भाभी से कोई संवाद करेगी। बहन जब काम पर वापस चले जाए तो पिता चाहे तो पति पत्नी पिता के साथ पूर्ववत रह सकते हैं। कालांतर में धीरे धीरे भाई बहन और भाभी के रिश्ते में आई दरार शायद भर जाएं, यह आशा और दिलासा पूरे परिवार को देकर वन स्टॉप सेंटर से रवाना किया गया।