गीता के एक अध्याय या श्लोक को भी समझ लें
तो जीवन सार्थक बन जाएगा – परमानंदजी
इंदौर, । गीता भारतीय संस्कृति का सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है जिसके एक अध्याय या एक श्लोक को भी हम गहराई से समझ लें तो जीवन सार्थक बन जाएगा। गीता को जानने और मानने वाले को योगी कहा गया है। गीता में वे सभी मंत्र हैं जो हमारे जीवन के लिए बहुत उपयोगी है इसीलिए गीता को महान ग्रंथ कहा गया है।
अयोध्या में राम जन्मभूमि न्यास तीर्थ क्षेत्र के न्यासी एवं युगपुरूष स्वामी परमानंद गिरि महाराज ने आज खंडवा रोड स्थित अखंड परम धाम आश्रम पर चल रहे गुरू पूजा महोत्सव में आशीर्वचन देते हुए उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए। प्रारंभ में साध्वी चैतन्य सिंधु के सान्निध्य में गोविंद सोनेजा, तुलसी शादीजा, सीए विजय गोयनका, तिलकराज ठक्कर, विनोद जुनेजा, रघुनाथ गनेरीवाल, यशवंत पंजवानी आदि ने गुरूदेव एवं उनके साथ हरिद्वार से आए महामंडलेश्वर स्वामी ज्योतिर्मयानंद गिरि का स्वागत किया। आश्रम प्रबंध समिति की ओर से अध्यक्ष किशनलाल पाहवा, सचिव राजेश अग्रवाल एवं समन्वयक विजय शादीजा आदि ने सभी संतों एवं भक्तों की अगवानी की। सत्संग सत्र को महामंडलेश्वर स्वामी ज्योतिर्मयानंद गिरि ने भी संबोधित किया। समन्वयक विजय शादीजा ने बताया कि स्वामी परमानंदजी के सान्निध्य में अखंड परम धाम पर प्रतिदिन सुबह 8 से 10 एवं सांय 4 से 6 बजे तक प्रवचनों की अमृत वर्षा होगी। गुरू पूजा का मुख्य महोत्सव 15 अगस्त को मनाया जाएगा।
स्वामी परमानंदजी ने कहा कि गीता एक ऐसा दिव्य ग्रंथ है जो मानव मात्र को बिना किसी पक्षपात के सदमार्ग पर चलने की ओर प्रवृत्त करता है। जो क्षेत्र को ‘मैं’ माने वह अज्ञानी और जो क्षेत्रज्ञ को माने वह ज्ञानी कहा जाना चाहिए। गीता की महिमा सबसे गहरी और अनूठी है। दुनियाभर के विद्वान गीता पर शोध ग्रंथ लिख चुके हैं लेकिन अब तक उसकी थाह किसी को नहीं मिली है।