संतों का जीवन समाज और राष्ट्र की सेवा के लिए ही

संतों का जीवन समाज और राष्ट्र की सेवा के लिए ही

इंदौर, । संतों और महापुरूषों का जीवन समाज और राष्ट्र के प्रति सेवा के लिए ही होता हैं। धर्म और संस्कृति को आगे बढ़ाने का चिंतन ही उनके जीवन का लक्ष्य होता है। शिक्षा और संस्कारों के उन्नयन में उनके प्रयास आजीवन चलते रहते हैं। ब्रम्हलीन स्वामी गिरिजानंद सरस्वती ‘भगवन’ का समूचा जीवन चरित्र ऐसा ही प्रेरक और अनुकरणीय रहा है। उनके सदकर्मो की सुगंध युगों-युगों तक कायम रहेगी।
विमानतल मार्ग स्थित श्री श्रीविद्याधाम के ब्रम्हलीन महामंडलेश्वर एवं संस्थापक स्वामी गिरिजानंद सरस्वती ‘भगवन’ के दशम पुण्य स्मरण दिवस एवं पुष्पांजलि प्रसंग पर अन्नपूर्णा आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि, वृंदावन के महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती, अखंड धाम बिजासन रोड के महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी चेतन स्वरूप, गोराकुंड रामद्वारा के संत अमृतराम रामस्नेही एवं छावनी रामद्वारा के संत रामस्वरूप महाराज सहित अनेक संतों एवं विद्वानों ने उक्त विचार व्यक्त किए। अनेक प्रेरक प्रसंग भी बताए गए। आश्रम परिसर स्थित ‘भगवन’ के मंदिर का गुलाब, मोगरा एवं रजनीगंधा के पुष्पों से मनोहारी श्रंृगार देश के विभिन्न शहरों से आए छात्रों ने किया। मां पराम्बा त्रिपुरसुंदरी भगवती का नयनाभिराम श्रृंगार तो जिसने भी देखा, देखता ही रह गया। सुबह आश्रम के 21 विद्वानों द्वारा आचार्य पं. राजेश शर्मा के निर्देशन में पाद पूजन, षोडषोपचार पूजन, अभिषेक, कन्या पूजन, संत-भूदेव पूजन एवं आरती के दिव्य अनुष्ठान भी कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए सौल्लास संपन्न हुए। संध्या को 56 भोग समर्पित कर भजन संध्या का आयोजन भी किया गया। आश्रम परिवार की ओर से पूनमचंद अग्रवाल, पं. दिनेश शर्मा, सुरेश शाहरा, राम ऐरन, राजेंद्र महाजन, रमेशचंद्र राठौर, संजय पंडित ने सभी संतो एवं भक्तों की अगवानी की। विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी भगवन को पुष्पांजलि समर्पित करने वालों में शामिल थे।
गुप्तकाशी आश्रम में भी पादुका पूजन – केदारखंड, गुप्तकाशी स्थित श्री श्रीविद्याधाम आश्रम पर स्वामी गिरिजानंद सरस्वती भगवन की दशम पुण्य तिथि पर आज महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के सान्निध्य में भक्तों ने पादुका पूजन कर कन्याओं एवं जरूरतमंदों को भोजन कराया। आश्रम के 11 विद्वानों ने सुबह रूद्राभिषेक एवं षोडशोपचार पूजन की विधि संपन्न की। आसपास के ग्रामीण श्रद्धालु बड़ी संख्या में उपस्थित हुए और भगवन के मंदिर में पुष्पांजलि समर्पित की।