मेदांता अस्पताल में 18 X 16 सेमी के दुर्लभ ट्यूमर की हुई सफल सर्जरी

मेदांता अस्पताल में 18 X 16 सेमी के दुर्लभ ट्यूमर की हुई सफल सर्जरी

 

 

इंदौर, : शरीर में किडनी के ऊपर स्थित हार्मोन बनाने के लिए जरूरी एडरिनल ग्रंथि की एक दुर्लभ गठान को लेकर परेशान एक मरीज की शहर के वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. रवि नागर व टीम ने सफल सर्जरी की है। करीब 18 X 16 सेंटीमीटर की इस तरह की गठान के विश्व में बहुत कम प्रकरण देखने को मिले है। खास बात यह है कि ऑपरेशन से जुड़े खतरों के चलते उज्जैन और बड़ौदा के सर्जन भी इस मरीज का ऑपरेशन करने से इंकार कर चुके थे। ऑपरेशन के बाद अब मरीज पूरी तरह स्वस्थ है।

मेदांता अस्पलात के वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट और ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. रवि नागर ने बताया – कुछ दिनों पहले उज्जैन का 45 वर्षीय मरीज उनके पास आया। मरीज पहले उज्जैन और बड़ौदा में अपना इलाज करवा चुका था और उसकी समस्या को देखते हुए उसे ऑपरेशन की सलाह दी गई थी। लेकिन ऑपरेशन के पहले ही मरीज की तबीयत बिगड़ने के कारण उसे बिना ऑपरेशन के ही डिस्चार्ज कर दिया गया था। मरीज को दो-तीन महीने से अचानक दिल की धड़कन तेज होना, पसीना आना, दिल में दर्द और ब्लड प्रेशन बढ़ा रहने की समस्या हुई। इसके साथ ही उसे बेहोशी के दौरे भी होना शुरू हो गए।

उज्जैन में डॉक्टर्स ने जब उसकी सोनोग्राफी करवाई तो मालूम हुआ कि उसे किडनी के पास 18 से 20 सेंटीमीटर की बड़ी गठान है। सिटी स्कैन में मालूम हुआ कि यह गठान एडरनल ग्रंथि की है। यह ग्रंथि किसी भी व्यक्ति के स्टीरॉयड हार्मोन के लिए पहचानी जाती है, जो शरीर में ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने के साथ अन्य हार्मोन को भी रिलीज करती है। डॉक्टर्स ने मरीज को ऑपरेशन की सलाह दी। मरीज ऑपरेशन के लिए कई दिन अस्पताल में भर्ती रहा लेकिन उसका ब्लड प्रेशर काफी बढ़ा हुआ रहा, साथ ही बेहोशी के दौरे भी चलते रहे। इस कारण उसका ऑपरेशन करने से इंकार कर दिया गया। इसके बाद मरीज को बड़ौदा के विशेषज्ञ के पास ले जाया गया व ऑपरेशन के लिए भर्ती किया गया, परन्तु वहां पर भी ऑपरेशन से पहले ही वह टेबल पर बेहोश हो गया, जिससे उसे बिना ऑपरेशन कर डिस्चार्ज कर दिया गया।

इसके बाद मरीज मेदांता अस्पताल में यूरोलॉजिस्ट डॉ. रवि नागर के संपर्क में आया, वहां पर उसके कुछ जरूरी टेस्ट करवाए गए। इसमें मालूम हुआ कि मरीज को फीओक्रोमोसाइटोमा है। इसके बाद ईलाज के लिए एक अलग टीम बनाई गई। इसमें हार्मोन स्पेशलिस्ट डॉ. तन्मय भराणी, हार्ट स्पेशलिस्ट डॉ. ए. डी. भटनागर को भी शामिल किया गया। मरीज को सात दिन अस्पताल में भर्ती कर और उसके बाद सात दिन घर रखकर हार्मोन और ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने की मेडिसीन दी गई।

डॉ. नागर ने बताया कि मरीज का ऑपरेशन हाई रिस्क था, मरीज बार-बार बेहोश हो रहा था, क्योंकि हार्मोन की इस गठान को छूते ही ब्लड प्रेशर और दिल की धड़कन बहुत बढ़ने की संभावना थी इसके साथ ही गठान को निकालने के बाद, ब्लड प्रेशर बहुत कम होने की संभावना भी थी। इन दोनों ही स्थितियों में मरीज की जान को ख़तरा था। उसे हार्टअटैक से लेकर ब्रेन हैमरेज तक की संभावना रहती है। मरीज की सर्जरी पांच घंटे चली क्योंकि बार-बार उसके ब्लड प्रेशर को कंट्रोल किया जाता रहा। अंतत: इसका ऑपरेशन सफल रहा। पांच दिन अस्पताल में रखने के बाद इसे डिस्चार्ज कर दिया गया है।

मेदांता हॉस्पिटल इंदौर के हार्मोन रोग विशेषज्ञ डॉ. तन्मय भराणी के अनुसार विश्व में अभी तक इतनी बड़ी (18 x 16 सेंटीमीटर) या इस से बड़ी गठान – जायंट फीओक्रोमोसाइटोमा के 7 से 8 मामले ही देखने में आये हैं। इतने लक्षणों के बावजूद मरीज का जीवीत रहना अपने आप में आश्चर्य की बात है क्योंकि ज्यादातर प्रकरणों में यह समस्या एक्टिव रूप में नहीं रहती है।

मेदांता हॉस्पिटल इंदौर के मेडिकल डायरेक्टर डॉ संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि इस प्रकार की जटिल सर्जरी का इलाज एक कुशल टीम के सामंजस्य से ही संभव है, जो मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में उपलब्ध है. मेदान्ता में लगभग सभी बीमारियों, उनकी जांचों और उचित इलाज के लिए फुल टाइम सुपर स्पेशलिस्ट की उपलब्धता रहती है. साथ ही, मेदान्ता सुपर स्पेश्यलटी हॉस्पिटल, इलाज में लगने वाले खर्च को भी न्यूनतम रखने में सफल रहा है.

ऑपरेशन और पोस्ट ऑपरेटिव केयर टीम में डॉ. रवि नागर के साथ, हार्मोन स्पेशलिस्ट तन्मय भराणी, हार्ट स्पेशलिस्ट ए डी भटनागर, एनिस्थेटिस्ट डॉ. मयंक मसंद और टीम का सहयोग रहा।

फीयोक्रोमोसाइटोमा के बारे में एक नोट:
फीयोक्रोमोसाइटोमा या फेयोक्रोमोसाइटोमा, एडरनल ग्लैंड्स की यदा कदा होने वाली समस्या है जिसमें न्यूरोएंडोक्राइन गठान (ट्यूमर) बनने लगती है. इस बीमारी में अत्यधिक मात्रा में कैटेकोलामीन का स्राव होता है और एडरनल ग्लैंड्स से एड्रीनलीन (एपिनेफ्रीन) और नोरेड्रीनलीन (नोरेपिनेफ्रिन) ज्यादा मात्रा में निकलने लगता है, जिसकी वजह से अक्सर प्रतिरोधी धमनीय उच्च रक्त चाप की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है। फीयोक्रोमोसाइटोमा घातक साबित हो सकता है अगर इसकी वजह से असाध्य हाई ब्लड प्रेशर या गंभीर हाई ब्लड प्रेशर की समस्या उत्पन्न होती है। स्टैण्डर्ड ब्लड प्रेशर दवाओं से इस उच्च रक्तचाप पर ठीक से काबू नहीं पाया जा सकता है। सभी रोगियों में सभी सूचीबद्ध संकेत एवं लक्षण दिखाई नहीं पड़ते हैं। इसकी सबसे आम प्रस्तुति सिरदर्द, बहुत ज्यादा पसीना आना और दिल की धड़कन का तेज हो जाना और साथ में एक घंटे के भीतर शांत हो जाने वाला दिल का दौरा पड़ना है। ट्यूमर बढ़कर बहुत बड़ा हो सकता है लेकिन ज्यादातर ट्यूमर 10 सेमी से छोटे होते हैं।