इंडेक्स मेडिकल कॉलेज में देहदान कर इंदौर के 79 वर्षीय गोविंददास हुरकट ने पेश की मिसाल, रोशन होंगी कई जिंदगियां

इंडेक्स मेडिकल कॉलेज में देहदान कर इंदौर के 79 वर्षीय गोविंददास हुरकट ने पेश की मिसाल, रोशन होंगी कई जिंदगियां


इंदौर। सांस थमने के बाद शरीर का दान करने वाला ही सही मायने में महान होता है। इंदौर निवासी गोविंददास हुरकट जी की मृत्यु के बाद उनके पुत्र चिन्मय हुरकट के द्वारा उनका देहदान कर ऐसी ही मिसाल पेश की गई। मंगलवार को गोविंददास जी की मृत्यु के उपरांत उनके पार्थिव शरीर को इंडेक्स मेडिकल कॉलेज, अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर को ससम्मान सौंपा गया। यह कोरोना काल में इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के लिए किया गया दूसरा देहदान है। गोविंददास जी हुरकट के पुत्र चिन्मय हुरकट के द्वारा मानव कल्याण के लिए यह सराहनीय कदम उठाया गया है। इंडेक्स ग्रुप के चेयरमैन श्री सुरेश सिंह भदौरिया, वाइस चेयरमैन श्री मयंक राज सिंह भदौरिया और इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. जीएस पटेल ने इस पुनीत कार्य के लिए चिन्मय जी हुरकट और उनके परिजनों के प्रति अपना आभार व्यक्त किया।
गोविंददास हुरकट जी का देहावसान 3 अगस्त, 2021 मंगलवार को हो गया था। उनके पुत्र चिन्मय हुरकट ने इंडेक्स अस्पताल के अधिकारियों से संपर्क कर देहदान किया। निश्चित रूप से उन्होंने ‘देहदान महादान’ के नारे को चरितार्थ कर समाज को नई और सकारात्मक दिशा दिखाई है। चिन्मय जी ने बताया कि “मृत्यु के बाद भी पिता की देह किसी के काम आ सके यह हमारे पिताजी का सौभाग्य है। मानवता के लिए शरीर दान करना इंसान के लिए सब से बड़ा पुण्य है। मेरी माताजी का भी सन 2018 में देहदान किया गया था। मैं सभी लोगों से आह्वान करता हूं कि मृत्यु के बाद लोगों को अंगदान के लिए आगे आना चाहिए।”
इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के देहदान अधिकारी राज गोयल ने बताया कि “दुनिया से विदाई के बाद यदि आपका शरीर किसी को जिंदगी देने के काम आए तो यह सबसे बड़ा पुण्य का काम है। देहदान को महादान इसीलिए कहा गया है। हम चिन्मय जी हुरकट के प्रति कृतज्ञ है क्योंकि उन्होंने अपने पिता का देहदान कर समाज में सकारात्मक मिसाल पेश की है। शहर की मुस्कान ग्रुप का भी इस पुनीत कार्य में अहम योगदान रहा है। उन्होंने आगे बताया कि कोरोना काल के दौरान पूरा देश इस मुश्किल समय से लड़ रहा था इस कारण भी ज्यादातर देहदान नहीं हो पा रहा था। कोविड के आने के बाद यह इंडेक्स मेडिकल कॉलेज का दूसरा मामला है जब देहदान किया गया है। निश्चित रूप से अब समय के साथ ही देहदान के प्रति लोगों में और भी जागरूकता आएगी।”