सत्संग के बिना सार्थक नहीं हो सकता मनुष्य जन्म
– प.पू. प्रसन्नचंद्र सागर म.सा.
इंदौर, . जिसने जन्म लिया है, उसकी मृत्यु सुनिश्चित है। हम कितना जीते हैं, यह महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण यह है कि हम कैसे जिएं। जीवन कैसे जिया जाए, यह कला सबको सीखने की जरूरत है जो सदगुरू के सत्संग से ही संभव है। सदगुरू के सत्संग के लिए चातुर्मास के चार माह सबसे श्रेष्ठ माने गए हैं। मनुष्य जन्म सत्संग के बिना सार्थक नहीं हो सकता।
ये दिव्य विचार हैं आचार्य देव बंधु बेलड़ी जिन हेमचंद्र सागर सूरी म.सा. के शिष्य, श्रमणरत्न प्रवचनकार प्रसन्नचंद्र सागर म.सा. के, जो उन्होंने आज रेसकोर्स स्थित श्री श्वेतांबर जैन तपागच्छ उपाश्रय ट्रस्ट के तत्वावधान में उपाश्रय भवन पर आयोजित चातुर्मास की धर्मसभा में व्यक्त किए। ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. प्रकाश बांगानी एवं सचिव यशवंत जैन ने बताया कि रेसकोर्स रोड उपाश्रय पर प्रतिदिन सुबह 9.15 से 10.15 बजे तक पवित्र आगम ग्रंथ सुयगडांग सूत्र एवं महापुरूष धन्यकुमार चरित्र पर आधारित प्रवचन हो रहे हैं। पूज्य प्रसन्नचंद्र सागर म.सा. सहित करीब 30 साधु-साध्वी भगवंत इस बार रेसकोर्स रोड जैन श्रीसंघ में पधारे हैं, जिनके कारण समूचे समाज में उल्लास, उमंग और उत्साह का वातावरण बना हुआ है।
आज से 22 दिवसीय तप – ट्रस्ट द्वारा पूज्यश्री के सान्निध्य में गौतम स्वामी आदि 11 गणधर भगवंतों का 22 दिवसीय तप एक अगस्त अष्टमी से प्रारंभ होने जा रहा है जिसमें 11 उपवास एवं 11 बियासने भी आएंगे। आराधकों ने तप मंे अपने नाम दर्ज कराना शुरू कर दिए हैं। प्रत्येक रविवार को बहनों के लिए सामायिक, बच्चों की पाठशाला, युवाओं के लिए रात्रि शिविर एवं भक्तामर जाप आदि आयोजन भी होंगे। शहर के समग्र जैन परिवारों के लिए प्रत्येक रविवार को ‘जीवन में सुसंस्कारों की ज्योत जगाएं’ विषय पर उदबोधन भी होंगे। सभी आयोजन शासन द्वारा निर्धारित कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए आयोजित किए जा रहे हैं जिनमें नवकार परिवार रेसकोर्स रोड शाखा, सामायिक मंडल, महिला मंडल, आयम्बिल शाला, पाठशाला आदि का विशेष सहयोग मिल रहा है।