आईएएस वर्मा को बचाने के लिए एक करोड़ रुपए की डील होने की चर्चा

जज और डीपीओ की वाॅइस रिकॉर्डिंग पुलिस तक पहुंची, फर्जी अवॉर्ड की आंच में झुलसेंगे कई ।

संभागायुक्त ने एजीपी को भी लगाया जांच में, कौन-कौन हैं शामिल पता लगाएं
खुलासा फर्स्ट, इंदौर। सीबीआई और व्यापमं के विशेष न्यायाधीश विजेंद्रसिंह रावत की कोर्ट के फर्जी आदेश जारी करवाकर आईएएस बनने के मामले में गिरफ्तार आईएएस संतोष वर्मा को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। मामले में जिला लोक अभियोजन अधिकारी (डीपीओ) अकरम शेख से पहले सीएसपी ऑफिस और बाद में एमजी रोड थाने में कई घंटे तक पूछताछ हुई। यहां पुलिस के वरिष्ठ अफसरों ने उनसे फर्जी फैसले और अवॉर्ड की जानकारी जुटाने की कोशिश की। न्यायालयीन सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि मामले में जज और डीपीओ की वाॅइस रिकॉर्डिंग पुलिस तक पहुंच गई है। जिला कोर्ट के गलियारों में फर्जी फैसले को लेकर ऊपर से लेकर नीचे तक एक करोड़ रुपए के लेनदेन की चर्चा जोरों पर चल रही है। इस सनसनीखेज केस में संभागायुक्त ने एजीपी को भी जांच में लगा दिया है। वहीं, मामले को जल्द ही सीबीआई को सौंपा जा सकता है।
विशेष न्यायाधीश (सीबीआई/व्यापम) विजेंद्रसिंह रावत की कोर्ट से फर्जी आदेश जारी करवाकर आईइएस बनने के मामले में खुलासा फर्स्ट की पड़ताल में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। मामले में गिरफ्तार आईइएस संतोष वर्मा के बाद अब अन्य अधिकारियों पर गाज गिरना तय है। उधर, कल रात एसपी (पूर्वी क्षेत्र) आशुतोष बागरी ने एमजी रोड थाने में डीपीओ (जिला लोकअभियोजन अधिकारी) अकरम शेख को तलब कर कई घंटों तक पूछताछ की। इस दौरान एएसपी जयवीरसिंह भदौिरया, सीएसपी हरीश मोटवानी और टीआई डीवीएस नागर भी मौजूद थे। हालांकि मामले में आईजी, डीआईजी, एसपी, सीएसपी और टीआई तक मीडिया से खुलकर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि आईएएस अवॉर्ड पाने के लिए संतोष वर्मा ने डीपीसी में उन पर केस दर्ज कराने वाली महिला के मामले में एक ही तारीख को पहले समझौता और फिर बरी होने का फर्जी आदेश पेश किया था। मामले में विशेष न्यायाधीश विजेंद्रसिंह रावत की शिकायत पर एमजी रोड पुलिस ने आईएएस वर्मा के खिलाफ केस दर्ज किया था। आरोपी वर्मा 14 जुलाई तक रिमांड पर है। इससे पहले जांचकर्ता अफसर सीएसपी कोतवाली हरीश मोटवानी ने फर्जी फैसले में कोर्ट कर्मियों कुश हार्डिया, महेश भाटी, नीतू चौहान और प्रधान लिपिकार पुरोहित के बयान लिए थे। विजिलेंस जज विकास शर्मा ने भी कोर्ट कर्मियों की भूमिका की जांच की थी।
डीपीओ शेख को भारी न पड़ जाए लापरवाही
न्यायालयीन सूत्रों के अनुसार चूंकि एक जज ने डीपीओ अकरम शेख को अपने चेंबर में बुलवाकर आईएएस संतोष वर्मा पर केस दर्ज कराने वाली महिला के मामले के फैसले की फर्जी प्रति दी थी। अकरम शेख ने एक जज के कहने पर वर्मा के आईएएस अवॉर्ड में अपील नहीं करने की रिपोर्ट बनाई थी। उन्हें दो बार मैसेज भी किए थे। डीपीओ शेख ने प्रस्ताव की पीडीएफ फाइल जज को भेजी थी। सीएसपी मोटवानी ने पहले ही अकरम शेख और जज के बीच वॉट्सऐप चेटिंग पहले ही जब्त कर चुके हैं। अब अकरम शेख के पूर्व के मामलों को भी जांच में लिए जाने की बात कही जा रही है। कल रात एसपी आशुतोष बागरी भी एमजी रोड थाने पहुंचे थे। उन्होंने डीपीओ अकरम शेख को भी पूछताछ के लिए बुलवाया था। उनसे देर रात तक कई घंटों तक पूछताछ की गई। कह सकते हैं कि ये लापरवाही अकरम शेख को भारी पड़ सकती है।
केंद्रीय जांच एजेंसी हुई शामिल
एमजी रोड पुलिस ने एक जज के कुछ आदेशों की प्रतिलििप लेकर जज द्वारा पारित फैसले की प्रतिलिपि और फर्जी फैसले पर किए गए हस्ताक्षर से मिलान कराया था। हस्ताक्षर में अंतर था। मामला फर्जी आदेश से आईएएस अवार्ड पाने और एक जज से जुड़ने के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी भी इसमें शामिल हो गई है। कोर्ट के रिकॉर्ड रूम में लगी आग को संतोष वर्मा के आईएएस अवॉर्ड से जोड़ते हुए इसकी उच्च स्तरीय जांच कराने के साथ जिला कोर्ट में मामले में एक करोड़ का खेल होने को लेकर चर्चा चलती रही।
पहले भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई अब खुद बयान देने नहीं पहुंचे आईएएस के वकील
न्यायालयीन सूत्रों के अनुसार आईएएस संतोष वर्मा के वकील एनके जैन है। वर्मा पर केस दर्ज होने के कुछ दिन पहले ही वकील एनके जैन 50-60 अन्य वकीलों को लेकर कोर्ट में घूमे थे। तब वे कोर्ट में ऊपरी स्तर पर हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ काफी मुखर थे। इसके कोर्ट से खत्म होने की बात अन्य वकीलों से कह रहे थे। संतोष वर्मा के खिलाफ केस दर्ज होने और उनकी गिरफ्तारी के बाद वकील एनके जैन को पुलिस ने बयान लेने के लिए कई नोटिस दिए, लेकिन वे नहीं पहुंचे। कल भी वरिष्ठ अफसरों ने कई फोन लगाए, लेकिन वे नहीं पहुंचे। उधर, एक एजीपी को संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा ने अपने स्तर पर मामले की जांच करने और कोर्ट के उन लोगों का पता लगाने की बात कही है, जो इस पूरे खेल में शामिल है। वहीं, जल्द ही मामला सीबीआई को सौंपे जाने की बात कही जा रही है। उधर, जज और डीपीओ अकरम शेख के बीच हुई वॉइस रिकॉर्डिंग जांचकर्ता अफसरों तक पहुंच गई है।