ताली की गूंज बिना जीवन है सूना, हो जाएगा नाश तेरा पापी कोरोना

ताली की गूंज बिना जीवन है सूना, हो जाएगा नाश तेरा पापी कोरोना ’


इंदौर, । कफ्र्यू में किसको कविता मैं सुनाऊं… बता दे कहां मैं जाऊं… श्रोताओं बिन मेरा दम घुट रहा है…दुनियादारी से मेरा मोह उठ रहा है…ताली की गूंज बिना जीवन है सूना… हो जाएगा नाश तेरा पापी कोरोना… ये पंक्तियां है प्रख्यात कवि अनिल अग्रवंशी की, जो उन्होंने कोरोना काल में कवियों के दर्द को अभिव्यक्त करते हुए सुनाई।
अवसर था ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन पुणे एवं ओशो ग्लिम्पस इंदौर के संयुक्त तत्वावधान में ब्यूटी एंड वेलनेस क्लब दुर्ग की ओर से आयोजित ‘एक शाम कवियों के नाम’ कार्यक्रम के आॅनलाईन आयोजन का। प्रारंभ में ओशो इंटरनेशनल पुणे की मां अमृत साधना ने ओशो के काव्य एवं साहित्य प्रेम का उल्लेख करते हुए आयोजन की रूपरेखा बताई। ओशो ग्लिम्पस इंदौर की प्रतिभा मित्तल ने सभी कवियों का शब्दों से स्वागत किया। पहले कवि के रूप में विभिन्न टीवी चैनल्स के हास्य-व्यंग्य कार्यक्रमों में प्रस्तुतियां देने वाले सुदीप भोला ने ‘दिल में तो हिंदुस्तान है, फेफड़ों में है चाईना…’ सुनाकर जूम कवि सम्मेलन में भाग ले रहे करीब 60 श्रोताओं और चारों कवियों को खूब गुदगुदाया। दूसरे कवि थे सुनील साहिल, जिन्होंने ‘जब से नेताजी के अंदर का रावण मरा है, तब से देशी शराब के ठेके पर खड़ा है’ जैसी रचना सुनाकर शासन की शराब नीति को आड़े हाथों लिया। प्रख्यात कवि अनिल अग्रवंशी ने हास्य रचनाओं को समाज के लिए बंदगी की संज्ञा देते हुए कोरोना काल में कवियों पर आए संकट को ‘कफ्र्यू में किसको कविता मैं सुनाऊं’ की प्रस्तुति देकर अपना दर्द व्यक्त किया। प्रख्यात कवि आसकरण अटल ने आम आदमी के परिवार के दर्द को बखूबी व्यक्त किया। उन्होंने मीडिया, विशेषकर टीवी न्यूज चैनल में चल रही होड़ को भी व्यंग्य के रूप में प्रस्तुत किया। अटल ने एक नेताजी की मौत पर उनके बेटे के इंटरव्यू को मजेदार शब्दों मंे पिरोकर प्रस्तुत किया। लगभग एक घंटे तक जूम एप पर आयोजित इस कवि सम्मेलन का देशभर के दर्शकों ने खूब आनंद लिया।