दो बार विधायक और अब उत्तराखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री होंगे पुष्कर

देहरादून. उत्तराखंड में 11वें मुख्यमंत्री के रूप में पुष्कर सिंह धामी शपथ लेंगे. चार महीने के भीतर ये तीसरे मुख्यमंत्री होंगे. चार महीने पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद तीरथ सिंह रावत ने सीएम पद की शपथ ली थी. और अब तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद पुष्कर सिंह धामी का नाम मुख्यमंत्री के रूप में तय किया गया. ऊधम सिंह नगर की खटीमा विधानसभा सीट से दूसरी बार के विधायक पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड का नया मुख्यमंत्री बनाया गया है. 46 साल के धामी बीजेपी के युवा नेता हैं और उत्तराखंड में अभी तक बने सभी मुख्यमंत्रियों में सबसे युवा हैं. धामी का जन्म साल 16 सितंबर, 1975 को राज्य के सीमांत जिले पिथौरागढ़ की तहसील डीडीहाट के टुण्डी गांव में हुआ है. उनका ताल्लुक सैन्य परिवार से रहा है और वे तीन बहनों के भाई हैं. उनके पिता पूर्व सैन्य अधिकारी थे. धामी की शुरुआती शिक्षा गांव में हुई और हायर एजुकेशन लखनऊ यूनिवर्सिटी से की है. पुष्कर धामी मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट हैं. धामी को पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में महाराष्ट्र और गोवा के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का करीबी माना जाता है. लेकिन उनकी छवि एक निर्विवाद नेता की रही है. धामी के लिए उत्तराखंड के मुखिया की कुर्सी इतनी आसान नहीं रहने वाली है, क्योंकि उन्हें वरिष्ठ विधायकों के साथ ही ब्यूरोक्रेसी से भी सामंजस्य बनाना होगा. सरकार चलाने का कम अनुभव भी धामी के आड़े आ सकता है.

एबीवीपी से होते हुए सीएम के पद तक पहुंचे धामी

पुष्कर सिंह धामी साल 1990 से 1999 तक जिले से लेकर राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) में विभिन्न पदों में रहे. इसी दौरान अलग-अलग पदों के साथ-साथ प्रदेश मंत्री के तौर पर लखनऊ में हुए ABVP के राष्ट्रीय सम्मेलन में संयोजक की भूमिका निभाई था. उत्तराखंड राज्य गठन के बाद धामी सीएम भगत सिंह कोश्यारी के सलाहकार रहे. पुष्कर धामी 2002 से 2008 के बीच लगातार दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे. धामी उत्तराखंड बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे हैं. पुष्कर सिंह धामी 2012 में खटीमा से विधायक चुने गए और उसके बाद 2017 में फिर से विधायक चुने गए.

पुष्कर धामी के पक्ष में गया युवा होना

माना जा रहा है पुष्कर सिंह धामी के बहाने बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व में साल 2022 के चुनावों से पहले युवाओं को लुभाने के लिए एक बड़ा दांव खेला है. धामी महज 46 साल के हैं. 57 विधायकों की संख्या होने के बावजूद बीजेपी ने तीन-तीन मुख्यमंत्री बदल डाले. ऐसे में पार्टी की ज्यादा किरकिरी न हो इसलिए धामी पर दांव खेला गया है. इसके साथ ही धामी से पहले बने दो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत का संबंध गढ़वाल से रहा है. साथ ही बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक का संबंध गढ़वाल मंडल के हरिद्वार जिले से है. ऐसे में बीजेपी आलाकमान ने राजपूत बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले कुमाऊं के नेता पुष्कर सिंह धामी पर दांव खेलना सही समझा. ताकि कुमाऊं और गढ़वाल को बैलेंस किया जा सके.