सेवा, संघर्ष और संकल्प की प्रेरणादायक मिसाल बने स्व. अश्विनी शर्मा, नेत्रदान से दिया जीवन का उजाला

रतलाम। रोटरी क्लब डायमंड के अध्यक्ष तथा समाजसेवा, खेल गतिविधियों एवं श्रमिक संगठनों में सक्रिय भूमिका निभाने वाले स्वर्गीय अश्विनी शर्मा (61 वर्ष) का जीवन निःस्वार्थ सेवा, संगठनात्मक क्षमता और मानवीय संवेदनाओं का प्रेरणादायक उदाहरण रहा।
दिनांक 28 दिसंबर की रात्रि उन्हें ब्रेन स्ट्रोक आया, जिसके बाद तत्काल उपचार हेतु बड़ोदरा ले जाया गया। वहाँ एक निजी अस्पताल में उनकी ब्रेन सर्जरी की गई और चिकित्सकों द्वारा हरसंभव प्रयास किए गए, किंतु उपचार के दौरान मंगलवार दोपहर उनका दुःखद निधन हो गया।
स्व. अश्विनी शर्मा ने अपने जीवनकाल में समाजसेवा, खेलों के प्रोत्साहन और श्रमिक संगठनों में सक्रिय सहभागिता निभाते हुए सदैव जनहित के कार्य किए। वे 100 से अधिक बार रक्तदान कर अनेक जरूरतमंदों को जीवनदान दे चुके थे, जो उनके मानवीय संवेदनशील स्वभाव और सेवा-भाव का सशक्त प्रमाण है। युवाओं को खेलों से जोड़ना, श्रमिकों के अधिकारों की आवाज़ बनना और सामाजिक समरसता के लिए सतत कार्य करना उनकी पहचान रही। उनका सरल, सहयोगी और समर्पित व्यक्तित्व समाज के हर वर्ग में सम्मान के साथ स्मरण किया जाएगा।
उनके निधन के पश्चात परिजनों द्वारा लिया गया नेत्रदान का निर्णय, उनके सेवा-संस्कारों का ही विस्तार सिद्ध हुआ। पार्थिव शरीर रतलाम लाए जाने के पश्चात रतलाम मेडिकल कॉलेज में नेत्रदान की प्रक्रिया संपन्न हुई। नेत्रदान की सूचना प्रेरणा ओमप्रकाश अग्रवाल, रोहित रुणवाल, प्रदीप उपाध्याय (जिला अध्यक्ष, भाजपा) एवं भूपेश खिलोशिया द्वारा नेत्रम संस्था के मार्गदर्शन में मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. अनीता मुथा को दी गई। डॉ. मुथा के निर्देशन में नेत्र विभागाध्यक्ष डॉ. रिशेन्द्र सिसोदिया के नेतृत्व में नर्सिंग ऑफिसर राजवंत सिंह, विनोद कुशवाह, कमल सहित मेडिकल टीम ने नेत्रदान की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूर्ण किया।
विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा कि नेत्रम संस्था के सदस्य शलभ अग्रवाल ने मेडिकल टीम को दिवंगत के निवास स्थान तक पहुँचाने एवं पुनः मेडिकल कॉलेज लाने की संपूर्ण व्यवस्था अपने निजी वाहन से की।
नेत्रदान के दौरान हेमंत मूणत, नवनीत मेहता, सुशील मीनू माथुर, शलभ अग्रवाल, रोहित रुणवाल, प्रदीप उपाध्याय, भूपेश खिलोशिया, आयुष गुप्ता, विक्रम कोठारी, अमित नागर, पारस मूणत, अखिलेश गुप्ता, अमृत मांडोत, प्रो. मनोहर जैन, धर्मेंद्र लालवानी, अजय ठाकुर सहित परिजन, रिश्तेदार, मित्र एवं शुभचिंतक उपस्थित रहे। उपस्थित सभी लोगों ने कार्निया संरक्षण की प्रक्रिया को प्रत्यक्ष रूप से देखा, इससे जुड़ी भ्रांतियों को समझा और भविष्य में स्वयं एवं अपने परिजनों के नेत्रदान का संकल्प लिया।
स्व. अश्विनी शर्मा का जीवन, 100 से अधिक बार किया गया रक्तदान और उनका नेत्रदान समाज को यह संदेश देता है कि—
सेवा केवल जीवन तक सीमित नहीं होती, वह मृत्यु के बाद भी अमर रहती है।
आइए, हम सभी नेत्रदान व रक्तदान का संकल्प लें और किसी के जीवन में उजाला लाएँ।