नेत्रम संस्था के सतत प्रयासों से रतलाम में मानवता की मिसाल
रतलाम | समाज में नेत्रदान के प्रति जनजागरूकता फैलाने और मानव सेवा को समर्पित नेत्रम संस्था के निरंतर प्रयासों से ग्राम शिवगढ़ एवम रतलाम शहर में दो नेत्रदान सफलतापूर्वक सम्पन्न हुए। इन पुनीत कार्यों के माध्यम से चार दृष्टिहीन व्यक्तियों को नई रोशनी मिलने की आशा जगी है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए नेत्रम संस्था के संस्थापक हेमन्त मूणत ने बताया कि शिवगढ़ निवासी स्व. देवीलाल सोलंकी की धर्मपत्नी श्रीमती श्यामाबाई सोलंकी के निधन उपरांत उनके पुत्र हरीश सोलंकी, पौत्र भव्य सोलंकी एवं परिजनों ने दीपक तांतेड़ की प्रेरणा से नेत्रदान का महान निर्णय लिया।
इसी क्रम में काटजू नगर निवासी शासकीय सेवानिवृत्त स्व. विक्योमल कोटवानी के निधन के पश्चात उनकी पुत्री चाँदनी योगेश चावड़ा एवं परिजनों ने भगवान ढलवानी की प्रेरणा से नेत्रदान हेतु सहमति प्रदान कर मानवता की अनुपम मिसाल प्रस्तुत की।
हेमन्त मूणत ने बताया कि दोनों परिवारों की सहमति प्राप्त होते ही नेत्रम संस्था द्वारा बड़नगर स्थित गीता भवन न्यास के ट्रस्टी एवं नेत्रदान प्रभारी डॉ. जी. एल. ददरवाल को सूचना दी गई। सूचना मिलते ही डॉ. ददरवाल अपनी टीम के सदस्य मनीष तलाच एवं परमानंद राठौड़ के साथ तत्परता से शिवगढ़ एवं रतलाम पहुँचे और नियमानुसार नेत्रदान की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूर्ण किया।
शिवगढ़ में नेत्रदान के दौरान हरीश सोलंकी, कृष्णवल्लभ सोलंकी, आज़ाद सोलंकी, अशोक सोलंकी, राजेश सोलंकी (जिला महामंत्री – विश्व हिंदू महासंघ), सुनील परमार, दिलीप सोलंकी, धर्मेंद्र वाघेला, महेश परमार सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
वहीं रतलाम में सम्पन्न नेत्रदान के अवसर पर सुरेश पोपटानी, नानक पोपटानी, अंशुल जी, ओमप्रकाश अग्रवाल, सुशील मीनू माथुर एवं भगवान ढलवानी सहित समाज के प्रतिष्ठित नागरिकों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
नेत्रम संस्था द्वारा दोनों परोपकारी परिवारों को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया तथा उनके इस मानवीय और अनुकरणीय योगदान के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया गया। अंत में संस्था ने समाज से नेत्रदान जैसे महादान को अपनाने की अपील करते हुए जनजागरूकता अभियान को और अधिक सशक्त बनाने का संकल्प दोहराया।

