दो दृष्टिहीनों के जीवन में जला आशा का दीप
रतलाम। कहते हैं मृत्यु के बाद भी जीवन संभव है—यदि किसी का नेत्रदान हो जाए। नागरवास पैलेस रोड निवासी स्वर्गीय कौशल्या देवी जोशी ने अपने नेत्रदान के माध्यम से यह सत्य सिद्ध कर दिया। उनके निधन उपरांत परिजनों द्वारा लिए गए इस साहसिक और मानवीय निर्णय से दो दृष्टिहीन व्यक्तियों के जीवन में नई रोशनी का संचार होगा।
इस पुनीत कार्य की प्रेरणा समाजसेवी कपिल व्यास एवं ओमप्रकाश अग्रवाल द्वारा दी गई, जिन्होंने दिवंगत के पुत्र अनिल जोशी एवं परिजनों को नेत्रदान जैसे महान दान के लिए प्रेरित किया। परिजनों की सहमति मिलते ही नेत्रम संस्था के माध्यम से गीता भवन न्यास के ट्रस्टी एवं नेत्रदान प्रभारी डॉ. जी.एल. ददरवाल को सूचना दी गई। उनकी टीम के मनीष तलाच एवं परमानंद राठौड़ ने समय रहते पहुँचकर कॉर्निया संरक्षण की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक संपन्न किया। नेत्रदान की प्रक्रिया के दौरान परिवारजनों, रिश्तेदारों, मित्रों एवं शुभचिंतकों की उपस्थिति ने वातावरण को भावुक एवं प्रेरणादायी बना दिया। प्रत्यक्ष रूप से प्रक्रिया को देखकर लोगों की भ्रांतियाँ दूर हुईं और कई उपस्थित नागरिकों ने भविष्य में स्वयं नेत्रदान करने का संकल्प लिया।
इस अवसर पर कपिल व्यास, राजेश तिवारी, नवीन व्यास, ओमप्रकाश अग्रवाल, प्रशांत व्यास, गिरधारीलाल वर्धानी, भगवान ढलवानी सहित अनेक समाजसेवी एवं नागरिक उपस्थित रहे। नेत्रम संस्था द्वारा दिवंगत कौशल्या देवी जोशी के परिजनों को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर उनके इस अनुकरणीय कार्य के लिए सम्मानित किया गया। नेत्रम संस्था ने समस्त नागरिकों से भावपूर्ण अपील की है कि वे मृत्यु उपरांत नेत्रदान का संकल्प लेकर किसी जरूरतमंद के जीवन में उजाला भरने का माध्यम बनें। नेत्रदान—मृत्यु के बाद भी जीवन देने का सबसे श्रेष्ठ दान है।


