श्रीमती सुशीला परमार का नेत्रदान — मृत्यु के बाद भी जीवन का उजास फैलाया

रतलाम। मानवता, सेवा और संवेदनशीलता की मिसाल प्रस्तुत करते हुए राजस्व नगर निवासी जयप्रकाश परमार की धर्मपत्नी एवं पूर्व पार्षद श्रीमती सुशीला परमार के निधन उपरांत उनके परिजनों ने नेत्रदान कर दो दृष्टिहीन व्यक्तियों के जीवन में प्रकाश भरने का पुनीत कार्य किया। यह नेत्रदान न केवल एक सामाजिक संदेश है, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है। इस महान कार्य की प्रेरणा समाजसेवी विवेक अग्रवाल द्वारा दी गई, जिन्होंने दिवंगत के पुत्र राकेश परमार, सक्ष्म संस्था के कोषाध्यक्ष नीरज परमार एवं परिजनों को नेत्रदान के महत्व से अवगत कराया। परिजनों ने बिना किसी संकोच के सहर्ष सहमति प्रदान कर सेवा और करुणा का परिचय दिया। नेत्रम संस्था के अनुसार परिजनों की सहमति मिलते ही गीता भवन न्यास के ट्रस्टी एवं नेत्रदान प्रभारी डॉ. जी.एल. ददरवाल को सूचना दी गई। उनकी टीम के सदस्य मनीष तलाच एवं परमानंद राठौड़ ने तत्परता से पहुँचकर नेत्र संरक्षण (कार्निया) की प्रक्रिया को पूर्ण किया।                                                                        नेत्रदान की प्रक्रिया के दौरान परिवारजन, रिश्तेदार, मित्र एवं शुभचिंतक उपस्थित रहे। उन्होंने स्वयं पूरी प्रक्रिया को देखा, नेत्रदान से जुड़ी भ्रांतियों को दूर किया तथा भविष्य में इस पुण्य कार्य से जुड़ने का संकल्प लिया। इस अवसर पर सक्ष्म संस्था के जिलाध्यक्ष राजेश चौहान, अतुल राणावत, कमल मोगरा, संजय शर्मा, आशीष परमार, राजेश मूणत मणिलाल जैन, रवि पंवार,ओमप्रकाश अग्रवाल, प्रशांत व्यास, भगवान ढलवानी सहित अनेक सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।नेत्रम संस्था द्वारा दिवंगत के परिजनों को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर उनकी उदारता, साहस और संवेदनशीलता का सम्मान किया गया। संस्था ने समस्त नागरिकों से अपील की कि वे भी नेत्रदान जैसे पुण्य कार्य में सहभागी बनें और किसी के जीवन से अंधकार दूर करने में अपना योगदान दें।