त्रिवेणी तट पर विश्व कल्याण की भावना से 72 वां महारूद्र यज्ञ का हुआ शुभारम्भ

रतलाम 11 दिसम्बर। महामण्डेलश्वर स्वामी प्रवणानंदजी (श्री मार्कण्डेय आश्रम ओंकारेश्वर), स्वामी किशोर चेतन्य जी महाराज (ओंकारेश्वर), स्वामी श्री देवस्वरूपानंदजी, स्वामी आत्मानंदजी सरस्वती, यज्ञ यजमान श्रीमती गायत्री संजय सोनी (अप्पू) ने त्रिवेणी तट पर सनातन धर्म की ध्वजा का पूजन कर ध्वजा फहराई ।
आज प्रात: त्रिवेणी के पावन तट पर सैकड़ों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में यज्ञाचार्य पंडित दुर्गाशंकर ओझा व 21 भूदेवों द्वारा मंत्रोच्चार के साथ में मुख्य यजमान सोनी दम्पत्ति स्वामी महामण्डेलश्वर स्वामी प्रवणानंदजी (श्री मार्कण्डेय आश्रम ओंकारेश्वर), स्वामी श्री देवस्वरूपानंदजी, स्वामी आत्मानंदजी सरस्वती के सानिध्य में ध्वज वंदन तथा हवन कुंड में अग्नि प्रवेश कराया । इस दौरान धर्म क्षैत्र परिसर में हर हर महादेव और सनातन धर्म की जय हो, अग्नि नारायण की जय हो के जयकारों से गुंज उठा । ध्वज वंदन और अग्नि प्रवेश के  पश्चात संतो का आशीवार्द धर्मालुजनों ने लिया ।
श्री सनातन धर्म सभा एवं महारूद्र यज्ञ समिति अध्यक्ष अनिल झालानी, संरक्षक पूर्व विधायक कोमलसिंह राठौर, नवनीत सोनी, ब्रजेन्द्रनंदन मेहता, पुष्पेन्द्र जोशी आदि ने संतो का स्वागत सम्मान किया।
धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए महामण्डेलश्वर स्वामी प्रवणानंदजी (श्री मार्कण्डेय आश्रम ओंकारेश्वर) ने कहा कि यज्ञ की बड़ी महिमा  होती है। वैदिक मंत्रो और पंरपराओं से किया गया यज्ञ परमात्मा की प्राप्ति का साधन है। यज्ञ के माध्यम से जीवन के उत्थान का मार्ग प्रशस्त होता है । यज्ञ से आपको ऐसी शक्ति प्राप्त हो ताकी आप अपने उद्देश्य को प्राप्त कर सकें ।
आपने कहा कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड सनातन के अन्तर्गत है सनातन धर्म मेें पहला काम यज्ञ है । यज्ञ सम्पूर्ण ब्रह्मांड को ऊर्जा देने वाली नाभी है। सनातन वहीं है जो कभी खत्म नहीं होता है । महाप्रलय में भी सनातन रहता है । वेद एवं धर्म की हमेशा स्वयं रक्षा करनी होती है तभी वेद और धर्म हमारी रक्षा करते है।  जहां कहीं भी धर्म पर कोई आघात होता है वहां हमारे धर्माचार्य धर्म की रक्षा करने के  लिए आगे आते है । भगवान श्रीकृष्ण भी पांडव के साथ इसलिए आए क्योंकि वहां धर्म था। हम अपने आप और अपने परिवार को सुधारें, संस्कारवान बनाए तो समाज में अपने आप सुधार हो जाएगा ।
धर्म सभा को स्वामी किशोर चेतन्य जी महाराज (ओंकारेश्वर), स्वामी श्री देवस्वरूपानंदजी ने भी सम्बोधित किया  ।
इससे पूर्व श्री सनातन धर्म सभा एवं महारूद्र यज्ञ समिति अध्यक्ष अनिल झालानी ने सम्बोधित करते हुए महारूद्र यज्ञ के बारे में विस्तृत जानकारी दी । आपने कहाकि महारूद्र पिछले 71 वर्ष से सम्पन्न हो रहा है । इस अभूतपूर्व पर्व की शुरूआत पूवर्जो ने की और उसी पंरपरा को हम निरंतर निर्वहन करते जा रहे है । इससे समाज को सनातन धर्म से जोडऩे का प्रयास करते है। महारूद्र यज्ञ में रतलाम के सभी सनातन समाज का सहयोग रहता है । हमें सदैव संतो का आशीर्वाद मिलता रहता है ।
कार्यक्रम को महापौर प्रहलाद पटेल ने संबोधित करते हुए कहा कि पुराणों में जो लिखा है वह प्रमाणित है । हमको उसका ध्यान रखना चाहिए कि हम सनातनी है। त्रिवेणी क्षैत्र में निर्माणाधीन संत निवास के बारे में जानकारी दी ।
इस अवसर पर पं. राजेश दवे, सजंय दवे, अविनाश व्यास, लालचंद टांक, कपूर सोनी, जनक नागल, हेमेन्द्र उपाध्याय, सुरेश दवे, महेश बाहेती, गोपाल जवेरी, पं. दुर्गाशंकर ओझा, , सत्यदीप भट्ट,  श्रीमती रजनी व्यास, राखी व्यास, प्रेमलता दवे एवं महिला मण्डल सहित बड़ी संख्या में धर्मालुजन उपस्थित थे । कार्यक्रम का संचालन ब्रजेन्द्रनंदन मेहता एवं आभार पुष्पेन्द्र जोशी ने व्यक्त किया ।