रतलाम। “मृत्यु अंत नहीं, नई रोशनी की शुरुआत भी हो सकती है।” इसी सोच को साकार करते हुए हटीराम दरवाजा निवासी स्व. धिरजमल पावेचा के सुपुत्र शांतिलाल पावेचा के निधन उपरांत उनके परिवार ने नेत्रदान (कॉर्निया) का पावन निर्णय लिया। इस पुनीत कार्य से दो जरूरतमंद व्यक्तियों को अब जीवन में नई दृष्टि मिलेगी।
नेत्रम संस्था के हेमन्त मूणत ने बताया कि ओमप्रकाश अग्रवाल, राकेश पीपाड़ा, नीलेश गांधी ने शांतिलाल पावेचा के पुत्र चेतन पावेचा एवं परिजनों को नेत्रदान हेतु प्रेरित किया। परिजनों की सहमति मिलते ही संस्था ने बड़नगर स्थित गीता भवन न्यास के ट्रस्टी एवं नेत्रदान प्रभारी डॉ. जी. एल. ददरवाल को सूचना दी।
सूचना प्राप्त होते ही डॉ. ददरवाल अपनी टीम के साथ मनीष तलाच और परमानंद राठौड़ के सहयोग से तत्परता से रतलाम पहुँचे और नेत्रदान की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक संपन्न किया। इस अवसर पर सुशील-मीनु माथुर, प्रशान्त व्यास, गिरधारीलाल वर्धानी, आनंदीलाल गांधी, सुनील नागौरी, बाबूलाल मूणत, करन वशिष्ठ, रमेश गादिया एवं अनिल पीपाड़ा उपस्थित रहे। नेत्रम संस्था ने पावेचा परिवार के इस नेक निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि
> “जो जीवन में दूसरों के लिए रोशनी बनता है, वह मृत्यु के बाद भी किसी की दुनिया उजागर कर सकता है।”
संस्था ने सभी नागरिकों से अपील की है कि वे भी नेत्रदान का संकल्प लेकर किसी जरूरतमंद के जीवन में प्रकाश भरें।

