वरिष्ठतम पत्रकार स्वतंत्रता सेनानी श्री प्रेमनारायण नागर का सदी-साक्षी अभिनंदन समारोह उज्जैन में आयोजित
उज्जैन 01 अक्टूबर । वरिष्ठतम पत्रकार,गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री प्रेमनारायण नागर जी के अपने यशस्वी जीवन के 99 वर्ष पूरे कर शतायु वर्ष में प्रवेश करने पर माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान, भोपाल एवं महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ,उज्जयिनी के संयुक्त तत्वावधान में ‘सदी साक्षी अभिनंदन समारोह’ का आयोजन उज्जैन स्थित कालीदास संकुल में किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक, प्रबुद्धजन और शहर की अनेक सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
अतिथि के रूप में आचार्य डा. अर्पण भारद्वाज, कुलगुरु, सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय, उज्जैन; आचार्य डा. शिवशंकर मिश्र, कुलगुरु, पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय, उज्जैन ; संस्कृत मर्मज्ञ पद्मश्री डा. भगवतीलाल राजपुरोहित ; मालवी विद्वान डा. शिव चौरसिया उपस्थित, राज्यसभा टीवी के पूर्व संपादक एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेश बादल, पत्रकारिता इतिहास के अध्येता वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री विजय दत्त श्रीधर,महापौर श्री मुकेश टटवाल,विधायक श्री महेश परमार, एवं प्रबुद्ध मंडल के श्री ज्ञानी उपस्थित थे।
ज्ञानतीर्थ सप्रे संग्रहालय के संस्थापक पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर ने कार्यक्रम के उदेश्य के साथ स्वागत उद्बोधन में कहा कि श्री प्रेमनारायण नागर पत्रकारिता के रोल माडल रहे है और आज भी प्रेरणास्रोत है। उन्होंने।श्री नागर जी ने दो शताब्दियों की उथल-पुथल को देखा, समझा और महसूस किया है। उनकी कलम समाज सुधार और पीड़ितों के लिए चली। श्री नागर जी की संवेदनशील पत्रकारिता का श्री गणेश एक छोटी सी घटना से हुआ।
वाक्या था 1947 में भाण्डेर तहसील के भिटारी भरका गांव का। भूमि को लेकर दो पक्षों में खूनी संघर्ष हुआ। जिसमें एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई।जब मृतक परिवार को आर्थिक सहायता के लिए तहसीलदार पहुंचे तो चौकीदार ने बाहर बेटी बच्ची से कहा अपनी माॅ को बुलाओ…बच्ची ने कहा माॅ नही आ सकती,वह नंगी है ..क्योंकि माॅ ने अपनी साड़ी दद्दा को उडा दी है….बस यही करूण संवाद नागर जी के दिल की गहराई मे उतर गया और जन्मा एक संवेदनशील पत्रकार। फिर श्री नागर जी की कभी रूके नहीं।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डाॅ शिव चौरसिया ने कहा कि श्री नागर चैतन्य शतायु संत है। डाॅ शिवशंकर मिश्र ने कहा कि सोने को तपाकर और पीटकर सुन्दर आभूषण बनता है ,ऐसे ही श्री नागर जी जिन्होंने स्वतंत्रता पूर्व की यातनाए सही हैं,और फिर स्वतंत्र भारत के दौर में अनेक सामाजिक बुराइयो को उजागर कर समाज को दिशा दी ..तभी श्री नागर का स्वर्णिम स्वरूप निखरा है।
सम्राट विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ अर्पण भारद्वाज ने कहा कि श्री नागर का 100 वां जन्मदिन शीतलता के आनंद का पर्व है।महापौर श्री मुकेश टटवाल ने कहा कि आज भी चौथे स्तंभ को निडर होकर सोई हुई संवेदना को जाग्रत करना होगा। विधायक श्री महेश परमार ने कहा कि श्री नागर परतंत्रता और स्वतंत्रता दोनों के साक्षी हैं..वह निस्संदेह हम सभी के लिए प्रेरणा की मूर्ति है।
कार्यक्रम के दौरान श्री नागर के संस्मरणों पर केंद्रित पुस्तक “सफरनामा” का अतिथियो ने विमोचन किया।
श्रीनागर को सम्मान स्वरूप प्रशस्ति पत्र, कलात्मक कलम,चरखा,शाल एवं श्रीफल भेंट किया गया। प्रशस्ति पत्र का वाचन दिलीप सिंह परमार ने किया। इस अवसर पर नगर की अनेक सामाजिक-धार्मिक संस्थाओं, राजनीतिक दलों, गणमान्य नागरिकों ने श्री नागर जी का भावभीना स्वागत किया।
श्री नागर ने अपने आशीर्वचन में कहा कि देश की सेवा करते-करते 100 पर आ गया हूं। यही जुनून अंतिम सांस तक कायम रहे, यही इच्छा है। कार्यक्रम के प्रारंभ में रामचंद्र गांगोलिया और समूह द्वारा कबीर भजनों की प्रस्तुति की गई।
कार्यक्रम का संचालन माधवराव सप्रे स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान,भोपाल के निदेशक अरविन्द श्रीधर ने किया। नागर जी के परिजनों ने कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों एवं गणमान्य नागरिकों के प्रति अपना आभार व्यक्त किया।