
रतलाम 31 जुलाई। नीमचौक श्री संघ में विराजित श्रमण संघीय जैन दिवाकरिया महासाध्वी डॉ श्री संयमलताजी म. सा.,डॉ श्री अमितप्रज्ञाजी म. सा.,डॉ श्री कमलप्रज्ञाजी म. सा.,श्री सौरभप्रज्ञाजी म. सा. आदि ठाणा-4 के सानिध्य में आयोजित धर्म सभा को संबोधित करते हुए महासती संयम लता ने फरमाया धर्म पर जब जब संकट आया, परेशानी आयी,विपदा आयी,धर्म की अक्षुनता को कायम रखने के लिए प्राचीन मंत्रों की रचना हुई हमारे धर्म आचार्यों द्वारा। महासती ने आगे कहा -अहमदाबाद के दरिया खाना पीर की दरगाह में आचार्य धर्मसिंह जी महाराज द्वारा पेसंठिया छन्द की रचना हुई।इस पेसंठिया छंद में 24 तीर्थंकरों की स्तुति है।आधी व्याधि उपाधि को मिटाने के लिए पाप ताप संताप से बचने के लिए,पाप खपाने के लिए, पुण्य कमाने के लिए भव्य अनुष्ठान का आयोजन हुआ।