रतलाम 28 जुलाई । चातुर्मास के दौरान स्टेशन रोड स्थित चद्रप्रभ दिगम्बर जैन मंदिर पर परम पूज्य आचार्य 108 श्री विशुद्ध सागर जी के परम शिष्य मुनि श्री 108 सद्भाव सागर म. सा. ने आज धर्म सभा अमृत वाणी मे व्यक्त करते हुए जैन रामायण पदम् चारित्र को समझाते हुए बताया कि साधु का विहार भी लोक कल्याण की भावना से ओत प्रोत होता है जब भगवान कैलाश पर्वत पर आए और उनकी देशना देना हुआ और मोक्ष हुआ और वे संसार के बंधनों से मुक्त हुए। इसीलिए सबसे पहले कर्मों को तोड़ना और मोक्ष को प्राप्त करना चाहिए इसके लिए लाभ अलाभ आदि का विचार नहीं करना चाहिए क्योंकि मुंह का बंधन तोड़े बिना सुख नहीं मिलता बंधन में आता है निर्बंधन का भाव से निर्बंधनता इसमें अनंत सुख अनंत वैराग्य की भावना प्राप्त होती है। भगवान ने अविचलता प्राप्त की। संसार का बंधन मिटाने के लिए अपना ही पुरुषार्थ करना पड़ता है हमें संसार के भाव से मुक्त होना है जैसे भगवान आदिनाथ मुक्त हुए। और प्रज्ञा विस्तारिणी विद्या को विकसित करना है इसके लिए चिंता घटाओ मत, चिंतन बढ़ाओ। चिंता तो सतत की आती रहती है संसार विपत्ति का खजाना है चिंता नहीं हटाना है चिंतन को बढ़ाना है। चिंतन बढ़ेगा तो ज्ञान और विद्या स्वत बढ़ेगी। विद्या से अज्ञानता का नाश होता है, सुख का प्रादुर्भाव होता है, अंतर आल्हाद प्रकट होता है।
हम रामायण में राम का चरित्र पढ़ रहे हैं और रावण का भी पढ़ रहे हैं राम और रावण में सबसे बड़ा अंतर यह था की राम में मनुष्यता थी और रावण के पास मनुष्य थे इसीलिए कई हजारों साल होने के बाद भी राम मनुष्य के हृदय में बसे हुए हैं।
आपने जीवन में अन्य को समय दिया निज को समय नहीं दिया।निज (स्वयं)को नहीं समझा निज के पास नहीं बैठे निज के पास बैठना ही सबसे बड़ी साधना है। जिसने अपने आप को पहचान लिया वही आगे जाकर मोक्ष को प्राप्त करता है। जिनके नयन में ब्रह्म का वास है वह माया में कैसे आएंगे।आप यहां एक घंटा बैठकर श्रवण कर रहे हो यह भी साधना का एक प्रकार है। पुरुषार्थ में महाकुंभ की प्राप्ति होगी और यह भी पुण्य का प्रताप है यह तो राम की कथा है,भरत की कथा है,आपकी कथा क्या है यह जैन धर्म का है जिसमे जीव सुख पाता है यही जैन धर्म है। उक्त बात अपने प्रवचन में कहीं।
शेष चर्चा हम भगवान महावीर स्वामी की कल प्रातः 8:30 की जाएगी। दिगंबर जैन समाज के सभी समाज जन महिलाएं , पुरुष उपस्थित थे। उक्त जानकारी श्री चंद्रप्रभ दिगम्बर जैन श्रावक संघ रतलाम के संयोजक मांगीलाल जैन ने दी।