रतलाम, 12 जुलाई 2025। आपको शास्त्रों को पढ़ते हुए आगमों को पढ़ना अच्छा लगे या जिनमें विरक्ति हो वह अच्छा लगे। कौन सी बातें सुनना अच्छी लगती है। जो सत्य है, वह मेरा है, प्रामाणिक है ; लेकिन जो मेरा है, वह सत्य है वह बात अप्रामाणिक है। प्रामाणिक पुरुष की वाणी सामायिक होती है, उसका पालन करना चाहिए। बिना समझ के कोई कार्य करने पर वह सफल तो हो सकता है लेकिन उस सफलता से तृप्ति नहीं हो सकती है। वास्तविक सिद्धी नहीं मिल सकती है।
उक्त उद्गार प्रतिदिन चल रहे व्याख्यान में धर्मदास गणनायक प्रवर्तक पूज्य श्री जिनेंद्रमुनिजी म. सा. के आज्ञानुवर्ती पूज्य श्री अतिशयमुनिजी म.सा. ने वर्षावास स्थल डी.पी.परिसर में फरमाए। उन्होंने फरमाया कि प्राप्त मानव भव में यहां पुरुषार्थ नहीं किया तो अन्य भवों में ऐसे महापुरुष मिलना मुश्किल है। आंखों से देखी सभी बाते सही हो यह संभव नहीं है। जीव देव गति प्राप्त करने के लिए आराधना करते हैं, यह लक्ष्य उचित्त नहीं है । हम जो विषय पढ़ते हैं, वह हमारे लिए सही है या नहीं यह सोचना होगा। वरना जैसे घड़ी का पेंडल लगातार चलने के बाद भी एक स्थान पर रहता है, वैसे ही जीव मेहनत करने के बाद वह उत्थान को प्राप्त नहीं कर पाता है ।धर्ममय व्यक्ति किसी के प्रति राग द्वेष नहीं रखते हैं। आप दर्पण में अपनी सुंदरता देखते हो या फिर उसमें जो झलकता है, उसे देखते हो। स्वयं पर जो गंदगी है उसे दूर करने के लिए। उसी प्रकार से आगम पढ़ते हुए अपने वर्तमान कर्मबद्ध आत्म स्वरूप का निरीक्षण करके कर्म मालिन्य दूर करने लिए पुरुषार्थ करना है ।यह स्वयं की आचार शुद्धि का श्रेष्ठ उपाय है। आगम दर्पण के समान है। इन्हें पढ़कर कर जीवन में उतार कर जितनी अशुद्धि दूर करंगे उतना मोक्ष मार्ग पर आगे बढ़ा जा सकता है।
रत्नपुरी गौरव सुहासमुनिजी म.सा. ने फरमाया कि हमें भगवान की आज्ञा के अनुसार व्रत नियम लेकर उसका पालन करना चाहिए। मोक्ष मार्ग पर जाने के लिए उन्हें बार-बार स्मरण करना चाहिए। विचार करना कि दिन भर में जो क्रियाएं कर रहे हैं वह आत्मा के लिए है क्या? हम सारी क्रियाएं संसार के लिए करते हैं। जबकि हमें सही दिशा में सम्यक पुरुषार्थ के माध्यम से मोक्ष मार्ग पर आगे जाना है। भगवान ने जो फरमाया है उसका पालन नहीं किया,यदि पालन किया भी और अभिमान कर लिया तो वह काम का नहीं है। यदि क्रिया भी कर ली और लक्ष्य नहीं है तो मोक्ष नहीं मिल सकेगा। व्यक्ति धर्म की क्रिया तो करता है लेकिन प्रभु की आज्ञा का पालन नहीं करता है। यह जीवन मिलना अत्यंत दुर्लभ है एक बार गया तो कब मिलेगा पता नहीं। इसलिए इसी भव में निरंतर आराधना के द्वारा मोक्ष पथ आगे बढ़ते निकट भविष्य में सिद्ध पद को प्राप्त कर लेना है। धर्मसभा में साध्वी मंडल के द्वारा स्तवन प्रस्तुत किया गया । प्रवर्तक पूज्य श्री जिनेंद्रमुनिजी म. सा. व मुनिमंडल तथा पुण्य पुंज साध्वी श्री पुण्यशीलाजी म.सा. एवं साध्वी मंडल के दर्शनार्थ प्रतिदिन अनेक श्री संघों के श्रावक-श्राविकाएं रतलाम पहुंच रहे है।
चातुर्मास समिति के मुख्य संयोजक व धर्मदास गणपरिषद के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शांतिलाल भंडारी एवं श्री धर्मदास जैन श्री संघ के अध्यक्ष रजनीकांत झामर तथा महामंत्री विनय लोढ़ा ने बताया कि शनिवार को धर्मसभा में वीर पिता दिनेश पटवा ने 11 उपवास, भंवरलाल बोहरा ने 10 उपवास व श्रीसंघ के मार्गदर्शक वीर पिता ललित गांधी व दिलीप कोठारी ने 6-6 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। वहीं कई आराधको ने विविध तप के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। वही बड़ी संख्या में आराधको ने तेला तीन उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। यहां पर कई श्रावक -श्राविकाओ की गुप्त तपस्या भी चल रही है। संचालन अणु मित्र मंडल के पूर्व सचिव सौरभ कोठारी ने किया। धर्मसभा में इंदौर, सैलाना, करवड़, नागपुर, बामनिया, झाबुआ आदि कई स्थानों के श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे।