पाप क्रियाओं से बचकर ही धर्म की ओर आगे बढ़ सकते है- पूज्य श्री अतिशयमुनिजी म.सा.

रतलाम, 3 जुलाई 2025। भगवान सभी जीवो के उद्धार के लिए जिनवाणी फरमाते हैं। जितना जल्दी हो सके आप पाप क्रियाओं को समाप्त कर दो। जब तक धर्म की समझ नहीं होती है तब तक पाप क्रिया होती रहती है। आपको जब पाप अच्छे न लगे तो समझ लेना कि मोक्ष के मार्ग पर जाने की तैयारी है। यदि कोई दीवार पहले दिन बने और उस पर कोई लात मार दे तो वह गिर जाती है लेकिन दीवार बने कुछ दिन बीत जाते हैं तो वह मजबूत हो जाती है। इसी प्रकार भगवान की आराधना भी भाव पूर्वक करें। मात्र 2 घंटे की आराधना 22 घंटे की पाप क्रियाओं को खत्म कर देती है।
यह उदगार धर्मदास गणनायक प्रवर्तक श्री जिनेंद्रमुनिजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती पूज्य श्री अतिशयमुनिजी म.सा. ने उक्त उदगार काटजू नगर समता भवन पर आयोजित धर्मसभा में कहे। उन्होंने फरमाया कि यदि पाप को पापरूप माने तो आप ने सही मार्ग पर चलना शुरू कर दिया है। हम स्वयं चिंतन करें कि हमारा संसार में रहना मजबूरी है या आवश्यकता। पाप क्रियाओ को समझ कर मन में खेद करें, सिर्फ एक दिन की प्रवृत्ति का आप आकलन कर ले। यदि पाप क्रिया करने में उल्लास का भाव होता है तो वह महापाप होता है। हमें पुण्य के फल की इच्छा तो होती है लेकिन पाप के फल की इच्छा करते है या नहीं।
यदि पाप क्रिया के स्वरूप को तथा उसके फल को समझने का प्रयास करेंगे तो पाप क्रियाओं में उल्लास समाप्त हो जाएगा। व्यक्ति पाप क्रिया से जितना बचता है, उतना वह धर्म की ओर आगे बढ़ता है।
श्री जिनांशमुनिजी ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान ने भी संसार छोड़कर संयम धारण किया। भगवान कहते हैं कि आत्मा का दमन करना चाहिए। इसके लिए इंद्रियों एवं मन पर नियंत्रण करना पड़ता है, क्या हम नियंत्रण कर रहे हैं? आत्मा का दमन किए बिना मोक्ष प्राप्त नहीं किया जा सकता है। ज्ञान, दर्शन, चरित्र, तप के बिना कोई जीव मोक्ष में नहीं जा सकता है। जो इस आत्मा को नियंत्रण करेगा, वही मोक्ष को प्राप्त करेगा। पाप क्रियो को खत्म करने के लिए इंद्रियों पर नियंत्रण करना जरूरी है। हम भगवान की वाणी सुन रहे हैं, श्रद्धा भी है, लेकिन संयम नहीं ले पा रहे हैं। क्योंकि इंद्रियों पर नियंत्रण नहीं है। भगवान ने मार्ग बता दिया है अब निर्णय हमें करना है, भगवान के बताए हुए मार्ग पर चलना है या नहीं। संचालन सौरभ कोठारी ने किया। प्रभावना का लाभ श्री नेमचंदजी सौभाग्यमल कोठारी परिवार व राजकुमार विनीत पितलिया परिवार ने लिया।
धर्मदास गणनायक प्रवर्तक श्री जिनेंद्रमुनिजी म.सा. व मुनिमंडल का गुरुवार को दोपहर में श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल नौलाईपुरा स्थानक पर मंगल प्रवेश हुआ। इसके पूर्व प्रवर्तक व मुनिमंडल ने स्टेशन रोड क्षेत्र, काटजू नगर आदि क्षेत्रों में धर्म प्रभावना की। इन क्षेत्रों में पधारने पर श्रावक -श्राविकाओ ने मिले सानिध्य का पुरा-पुरा लाभ लिया। कई आराधको ने प्रवर्तक श्रीजी के मुखारविंद से आजीवन के विविध त्याग प्रत्याख्यान ग्रहण किए। श्री धर्मदास जैन श्री संघ के अध्यक्ष रजनीकांत झामर व महामंत्री विनय लोढ़ा ने बताया कि नौलाईपुरा स्थानक पर प्रवर्तक श्री जिनेंद्रमुनिजी म.सा., मुनिमंडल व साध्वी श्री पुण्यशीलाजी एवं साध्वी मंडल के व्याख्यान प्रतिदिन प्रातः 9:15 बजे से 10:15 बजे तक होंगे। इसके अलावा विविध आराधनाएं भी संपन्न होगी।

“परी डोसी” ने 10 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए

वर्षावास प्रारंभ होने में अभी 6 दिन का समय बाकी है और धर्मदास गणनायक प्रवर्तक पूज्य *”श्री जिनेंद्रमुनिजी म. सा.”* का वर्षावास स्थल पर भी प्रवेश होना शेष है। इसके बावजूद यहां तपस्या का माहौल रंग ला रहा है या ऐसा माने कि आराधक तपस्या में रमण करने लगे है। इसके तहत *काटजू नगर समता भवन* पर आयोजित धर्मसभा में प्रवर्तक पूज्य *”श्री जिनेंद्रमुनिजी म. सा.”* के मुखारविंद से तपस्वी बालिका कुमारी परी डोसी ने 10 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। इस दौरान आचार्य भगवंत, प्रवर्तक श्री एवं तपस्वी की जय जयकार से धर्मसभा गुंजायमान हो गई। गौरतलब है कि तपस्वी बालिका “परी” अणु मित्र मंडल के उपाध्यक्ष परेश डोसी व अणु श्री श्राविका मंडल की कार्यकारिणी सदस्य सारिका डोसी की सुपुत्री है। वहीं संभवतः गुप्त आराधकों ने भी अपनी तपस्या प्रारंभ कर दी होगी। आपके तप की खूब खूब अनुमोदना।