जल सेवा नारायण सेवा से कम नहीं होती है – प. पू. स्वामी देवनारायण स्वरूप जी

रतलाम । कलयुग में गौ सेवा और जल सेवा सर्वोत्तम सेवा के रूप में सनातन संस्कृति का प्रमुख संस्कार है जो नारायण सेवा के समान है । ईश्वर की भक्ति करना हो या ईश्वर की सेवा करना हो तो प्यासे को जल पिलाइए और गौ माता को चारा खिलाएं यह पुण्य कमाने का सिस्टम उपक्रम है जो प्रत्येक सनातनी धर्मावलंबी को करना चाहिए ।
उपरोक्त विचार शहर में हुए विश्व रिकॉर्ड हनुमान चालीसा पाठ एक लाख ग्यारह हजार एक सौ ग्यारह के अवसर पर संस्था परस्पर द्वारा स्थापित जल सेवा केंद्र का शुभारंभ करते हुए अखंड ज्ञान आश्रम सैलाना बस स्टैंड आश्रम के परम संत श्री श्री स्वामी देवनारायण स्वरूप जी ने व्यक्त किये।
आपने कहा कि प्रभु की सर्वोत्तम सेवा गरीबों की सेवा है चाहे अन्न के माध्यम से हो, चाहे जल के माध्यम से हो । भीषण गर्मी में जल पिलाकर हम अपने सातों जनों का उद्धार कर लेते हैं । इसलिए जल सेवा को कलयुग में श्रेष्ठतम सेवा माना गया है ।
आरंभ में संत श्री का स्वागत अध्यक्ष महेश अग्रवाल ने करते हुए संस्था की जानकारी देते हुए कहा कि हम वर्ष भर सेवा गतिविधियों के माध्यम से समाज में व्याप्त कमियों को दूर करने की कोशिश करते हैं । रक्तदान, पुस्तक, गणवेश आदि संस्था द्वारा समय-समय पर भेंट की जाती है ।
संस्था परामर्शदाता दिनेश शर्मा ने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि इस जल सेवा केंद्र का शुभारंभ स्वामी जी के कर कमल के द्वारा हुआ । अभय सुराणा, प्रोजेक्ट अध्यक्ष महेश व्यास, निमीष व्यास ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर संत श्री को शाल श्रीफल भेंट कर संस्था के सचिव मिलन राखेचा, रमेश पोरवाल, अभय लोढ़ा, मनीष बोहरा, अमित डांगी, राजेश कसेरा, सचिन गेलड़ा, सुभाष नागोरी, आशीष राखेचा, चेतन राठौड़, अभिसार हाडा, राजेश जोशी, सोनू व्यास, ओपी पोरवाल, दशरथ पोरवाल, ललित कटारिया, निलेश पोरवाल, निलेश बगीचा, जगदीश सोनी, निलेश लढ्ढा, धर्मेंद्र गैलडा, हेमंत राठौड़, अशोक मांडोत, तुषार संघवी आदि ने स्वागत किया । कार्यक्रम का संचालन अभय लोढा ने तथा आभार चेतन राठौड़ ने व्यक्त किया ।