जब ट्रम्प अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव जीते तब आशा जगी थी कि युक्रेन युद्ध बंद हो जाएगा और रूस-युक्रेन के बीच विवाद का समाधान हो जाएगा। उन्होंने स्वयं भी कहा था कि राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही दो दिन में युक्रेन युद्ध बंद करवा देंगे। उनका पिछला कार्यकाल युद्ध मुक्त रहा था इसलिए भी उनकी घोषणा से विश्व में आशा का संचार हुआ था। दुर्भाग्य से उनकी घोषणा कागज पर ही रह गई। ट्रंप के शपथ और उनकी जल्दबाजी पर एक आलेख लिखा था जिसमें ट्रंप की जल्दबाजी के कारण उनके सफल होने पर आशंका व्यक्त की गई थी। इतने कम समय बाद ही स्थिति यह है कि अमेरिका स्वयं युद्ध में उलझता जा रहा है। हुती को समाप्त करने का प्रयास ट्रम्प कर रहे हैं। ईरान को एटमबम बनाने से रोकने के लिए भी ट्रंप युद्ध करने को तैयार हैं। ट्रंप ने व्यापारिक क्षेत्र में भी पूरी दुनिया से उलझन मोल ले ली है। विश्लेषण करें।
हुती, हमास, हिजबुल्लाह ईरान के बनाये आतंकी संगठन हैं। ईरान ने इन संगठनों को सभी प्रकार के हथियार देकर बहुत शक्तिशाली बनाया है। इनका मूल उद्देश्य इजराइल को बर्बाद करना और अमेरिका से लौहा लेना है। हुती भूमध्य सागर में निकलने वाले जहाजों पर हमले करता रहता है। उसके निशाने पर व्यापारिक जहाज और खासकर अमेरिका नौसेना के जहाज रहे हैं। जो बाइडेन की सरकार हुती के विरुद्ध कोई खास कार्यवाही नहीं कर सकी। ट्रंप ने आते ही हुती पर हमले शुरू कर दिये हैं। उन्होंने हुती को समाप्त करने की घोषणा की है। लेकिन अभी तक हुती को कोई खास नुकसान अमेरिका नहीं पहुंचा सका। अमेरिका की कार्यवाही का जवाब हुती बराबर दे रहा है।
ट्रंप ने ईरान का मोर्चा भी खोल दिया है। ईरान एटमबम बनाने के करीब है। ईरान को एटमबम बनाने से रोकने के लिए ट्रंप ने उस पर बमबारी करने की घोषणा कर दी। यदि ट्रंप ईरान पर बमबारी करवाते हैं तो युद्ध का एक और मोर्चा खुल जाएगा। ईरान एटमबम बनाने पर अड़ा हुआ है। उसने घोषणा भी की है कि जैसे ही एटमबम बनाने में सफल होगा वह एटमबम का उपयोग कर इजराइल को समाप्त कर देगा। ईरान अमेरिका और इजराइल के लिए बड़ी मुसीबत बनकर उभरा है। ट्रंप की धमकी का ईरान ने कड़े शब्दों में उत्तर दिया है। ट्रम्प तो यहां भी उलझते दिख रहे हैं।
उत्तरी कोरिया भी एटमबम बनाता जा रहा है। किम जोंग अमेरिका का खुला दुश्मन है। ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में उत्तरी कोरिया के शासक से मिलकर वातावरण को तनाव मुक्त करने की कोशिश की थी। किन्तु उसका कोई बहुत अधिक असर उत्तरी कोरिया के शासक पर नहीं हुआ। ट्रम्प के राष्ट्रपति बनते ही उत्तरी कोरिया के तानाशाह ने ट्रम्प को आंख दिखाना शुरु कर दिया है। ट्रम्प के लिए स्थिति विकट होती जा रही है। युद्ध बंद करने के बजाय अमेरिका के अधिक युद्ध में उलझने की संभावना दिखाई दे रही है। ट्रम्प की युद्ध बंद करने की घोषणा धरी की धरी रह गई।
व्यापारिक क्षेत्र में भी ट्रम्प ने अपने लिये बहुत मुसीबतें खड़ी कर ली हैं। उन्होंने दुनिया के सभी प्रमुख देशों से आयात होने वाली वस्तुओं पर टैक्स बहुत बढ़ा दिया है। वे देश भी अमेरिका से आयात होने वाले सामान पर टैक्स बढ़ाने की घोषणा करने लगे हैं। इस तरह ट्रम्प अपने देश को आर्थिक उलझनों में भी डाल रहे हैं। ट्रम्प प्रतिदिन नीतियां बदल रहे हैं। उनके दो माह के शासनकाल में नीति का स्थायित्व दिखाई नहीं देता। उनकी अस्थिर नीतियों का प्रभाव पूरे विश्व पर पड़ रहा है। इससे आर्थिक वातावरण में डर और अस्थिरता का वातावरण बन गया है। इस तरह अस्थिर नीति से ट्रम्प अमेरिका की भी हानि कर रहे हैं। इस तरह की अस्थिर नीति से अमेरिका अधिक समय तक विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर नहीं रह सकता। ऐसा लगता है कि ट्रम्प सलाहकारों से गंभीर विचार विमर्श के बिना ही निर्णय ले रहे हैं। इसका दुष्परिणाम अमेरिका को भी भुगतना पड़ेगा।
ट्रम्प की कुछ अन्य घोषणा पर भी विचार करें। इस बार विस्तारवाद ट्रम्प की प्रमुख नीति दिखाई दे रही है। उन्होंने कनाडा और ग्रीन लैंड को अमेरिका में मिलाने की घोषणा की है। 1 जुलाई 1867 को ब्रिटिश उत्तरी अमेरिका अधिनियम पारित होने के बाद तीन ब्रिटिश उपनिवेशों को मिलाकर बना कनाडा ब्रिटिश साम्राज्य के एक अर्ध-स्वतंत्र और स्वशासित प्रभुत्व के रूप में स्थापित हो गया। अब ट्रम्प उसे अमेरिका में मिलाना चाहते हैं। वे कनाडा के प्रधानमंत्री को अमेरिका के अंतर्गत कनाडा का गवर्नर भी कह चुके हैं। कनाडा सहमत नहीं है।
ग्रीनलैंड डेनमार्क का एक स्वायत्त घटक देश है, जो 1979 में स्वशासन प्राप्त करने के बाद से अपने अधिकांश घरेलू मामलों को नियंत्रित करता है। ग्रीन लैंड का सामारिक महत्व है। वहां सैनिक अड्डा बनाकर ट्रम्प उत्तरी ध्रुव में रूस की उपस्थिति का प्रतिकार करना चाहते हैं। ट्रम्प ने घोषणा तो युद्ध समाप्त करने की थी किन्तु नीति इसके बिल्कुल अलग है। गंभीर विचार करें तो विश्व के अस्तित्व के बारे में बहुत डर लगता है। पुतिन भी विस्तारवाद की नीति से दुनिया को युद्ध में उलझाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। ईश्वर उनको सद्बुद्धि दे। इतिहास साक्षी है कि साम्राज्यवादी तृष्णा वाले व्यक्तियों ने दुनिया को बर्बाद करने की बहुत बार कोशिश की है। परन्तु अब स्थिति बहुत भयावह है। यदि आणविक युद्ध हुआ तो दुनिया कुछ ही समय में नष्ट हो जाएगी। ऐसे व्यक्ति अपने बंकरों में कब तक रह सकेंगे। अमर जड़ी खाकर आये हैं क्या? सत्ता के स्वार्थी और विस्तारवाद में विश्वास करने वाले यह भुल जाते हैं कि सबको एक दिन मरना है। फिर पागलपन क्यों?
ट्रम्प को अपने सहयोगीयों से बहुत गंभीर विचार-विमर्श करके नीति बनाना चाहिए अन्यथा अमेरिका कई समस्याओं में उलझ जाएगा और पूरी दुनिया को भी मुसीबत में डाल देगा।