रतलाम, 22 मार्च । भारत भूमि अपने आप में प्रकाश एवं ज्ञान से युक्त है, इसलिये इसे भारत कहा जाता है। अनेक ग्रंथों में भारत भूमि का बार-बार वर्णन हुआ है। वे धन्य है जो भारत की भूमि पर जन्म लेते हैं। श्रीमद् भागवत में लिखा है कि भारत की भूमि पर देवता चिंतन करते है कि कौन सा ऐसा कार्य करें जिससे वे भारत की भूमि पर जन्में। जो भारत में आया उसने कोई अच्छे कर्म किये होंगे।
उक्त उदगार महामंडलेश्वर स्वामी श्री अनंतदेव गिरीजी (स्वामी वामदेव ज्योर्तिमठ, वृंदावन) ने परम आनन्द सोश्यल क्लब एवं श्री मेहंदीकुई बालाजी जनकल्याण न्यास द्वारा मेहंदीकुई बालाजी परिसर में आयोजित चार दिवसीय अध्यात्म प्रवचन के तीसरे दिन कहे।
उन्होंने कहा कि संसार में सुखों का भोग करने के साथ अध्यात्म की बातों पर भी विचार करना चाहिए। अध्यात्म आपकी बुद्धि से संबंध रखता है। प्रभु राम का स्मरण करते हुए उन्होंने एक चौपाई सुनाई ‘श्रीराम में सब जग जानी करहुँ प्रणाम जोरी जुग पानी‘। स्वामीजी ने बताया कि वेद किसी की रचना ना होकर साक्षात् भगवान स्वरुप है। हमें वेदों, शास्त्रों का अध्ययन करना चाहिए। यह हमारे देश का गौरव है कि यहाँ नदियों से भी भगवान प्रकट हुए हैं। नर्मदा के जल से शिवलिंग और गंडक नदी से भगवान सालीगराम निकले हैं। भगवान ने गीता में कहा है कि पूजा और आराधना में बुद्धि नहीं लगाना चाहिए। संसार की ऐसी कोई भी वस्तु नहीं जिसका ज्ञान न हो वह सुखी नहीं कर सकती। जिनके मन में ईश्वर से प्रेम ना हो वह सुखी नहीं हो सकते। सारा संसार परमात्मा का स्वरुप है। परमात्मा से प्रेम कर ही परमात्मा को जाना जा सकता है। प्रेम में ही भक्ति है। भक्त चार प्रकार के होते हैं। 1. दुखी होकर भगवान की ओर चलना। 2. दुख नहीं है पर प्रतिष्ठा का अभाव है। 3. धन के लिए। 4. सुखी होने के लिए।
किसी वस्तु से सुख ना मिले तो आप उसे नहीं चाहेंगे। जिस प्रकार कैकेयी को भाव के लिए रामजी अच्छे लगते थे परन्तु अर्थ के लिए बुरे लगने लगे। कुन्ती ने स्वार्थ के लिए कर्ण का परित्याग कर दिया। सुखी होने के लिए जो अर्थ को चाहता है वह अर्थाथी है, जिसने भगवान को जाना वह ज्ञानी है, भक्त है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वामीजी का स्वागत संस्था के प्रमुख डॉ. पवन मजावदिया, जयकुमार टेकचंदानी, बंशीलाल मजावदिया ने किया। इस अवसर पर स्वामी लक्ष्मणानंदजी, स्वामी गीतानंदजी भी मंचासीन रहे। सभी संतों का आयोजन समिति द्वारा स्वागत किया गया। स्वागत की श्रृंखला में रतलाम महापौर प्रहलाद पटेल, श्री प्रभु प्रेमी संघ के हरीश सुरोलिया, प्रमोद राघव, संजीव पाठक, राठौड़ समाज के राजेन्द्र राठौड़, कृष्णा राठौड़ एवं अन्य समाजजन, अंतरर्राष्ट्रीय वैश्य फैडरेशन के मनोहर पोरवाल, श्रीकांत डोसी, दिलीप मेहता, संजय बाफना, धर्मेन्द्र माहेश्वरी, निलेश लड्डा और श्री परशुराम युवा मंच के गौरव त्रिपाठी, पार्षद हितेश शर्मा कामरेड, स्नेहिल उपाध्याय, अर्पित शर्मा, वैभव व्यास, सचिन पौराणिक, राजू सुरोलिया, वैभव व्यास सिखवाल आदि ने स्वामीजी का शॉल, श्रीफल एवं पुष्पमाला से स्वागत किया। अंत में प्रसादी वितरित की गई।