एटॉमिक युद्ध का सोचना भी मुर्खता है

लेखक-प्रो. डी.के. शर्मा

युक्रेन युद्ध चौथे वर्ष में प्रवेश कर गया है। फरवरी 2022 में रूस ने युक्रेन पर आक्रमण प्रारंभ किया था। वास्तव में रूस – युक्रेन युद्ध फरवरी 2014 से ही किसी न किसी रूप में चल रहा है। तब भी युक्रेन पर आक्रमण कर रूस ने युक्रेन के कुछ भाग पर कब्जा कर लिया। वर्तमान युद्ध के कारण युरोप में बहुत बड़ा शरणार्थी संकट उत्पन्न हो गया है। वर्तमान युद्ध के कारण लगभग 80 लाख यूक्रेनियन अपने देश के भीतर विस्थापित हो गए है और 80 लाख से अधिक देश छोड़कर भाग गए हैं। वास्तव में युद्ध का कारण पुतिन की आक्रामक विस्तारवादी नीति है। पुतिन रूस की सीमाओं को बड़ा कर वापस विभाजन के पूर्व का रूस बनाना चाहते हैं। रूस का विभाजन सन् 1991 में हुआ और रूस 15 अलग-अलग देशों में विभाजित हो गया। युक्रेन भी तब एक स्वतंत्र देश बन गया। अब पुतिन उन देशों को वापस रूस में मिलाना चाहते हैं। कुछ छोटे देशों को मिला भी चुके हैं। युक्रेन सहमत नहीं हुआ इस कारण पुतिन ने उस पर आक्रमण किया। पिछले 3 वर्षों से चल रहा घमासान युद्ध अभी भी परिणाम रहित है। रूस की तुलना में बहुत छोटे देश युक्रेन ने रूस को नाको चने चबवा दिये। अब पुतिन युद्ध जीतने के लिए परमाणु हथियार के उपयोग की बात कर रहे हैं। परमाणु युद्ध की बात करना महान मुर्खता है। परमाणु युद्ध कितना विनाशकारी होता है इसका विचार करने मात्र से ही असीमित विनाश का दृश्य सामने आ जाता है।
एटम बम सबसे पहले अमेरिका ने बनाया और अमेरिका ने ही द्वितीय विश्व युद्ध के समय उसका उपयोग जापान के विरुद्ध किया। 6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा व 9 अगस्त 1945 को नागासाकी पर एटॉमिक बम डाला । इससे लाखों लोग मारे गए और आज तक उस क्षेत्र में अनेक ऐसी बीमारियां लोगों को हो रही है जिनका इलाज संभव नहीं। वर्तमान में रूस, अमेरिका, चीन, फ़्रांस, इंग्लैण्ड, भारत, पाकिस्तान, इज़राइल, उत्तर कोरिया के पास एटमबम है। अब इरान भी एटमबम बनाने की कोशिश कर रहा है।
एटमबम की विनाशकारी शक्ति बहुत अधिक है। पूरी दुनिया इससे परिचित है फिर भी इसके उपयोग की धमकी पूतिन दे रहे हैं। यदि किसी पागल शासक की मुर्खतापूर्ण महत्वाकांक्षा से परमाणु युद्ध हो गया तो उसके परिणाम बहुत विनाशकारी होंगे। इसकी कल्पना मात्र से ही प्रत्येक समझदार व्यक्ति कांप उठता है। जो युद्ध समाप्त करने के लिए एटॉमिक युद्ध की धौंस दे रहे हैं वे बहुत बड़ी मुर्खता कर रहे हैं। एटमबम का उपयोग पूरी मानवता के विरुद्ध बहुत बड़ा अपराध होगा। यह एक ऐसा अपराध होगा जिसे मानवता कभी क्षमा नहीं करेगी।
वर्तमान युग विज्ञान का है। विज्ञान ने मनुष्य के हाथ में असीमित विनाशकारी शक्ति रख दी है। विज्ञान का युग प्रारंभ हुए बहुत अधिक समय नहीं हुआ है। प्रश्न यह है कि क्या विज्ञान में दुनिया को सुरक्षित रखने की बुद्धि नहीं है। जितनी तेजी से विज्ञान ने प्रगति की है लगता है उससे भी अधिक तेजी से विज्ञान दुनिया को बर्बाद कर देगा। एक लेखक ने लिखा है कि विज्ञान ने असीमित शक्ति मनुष्य को प्रदान कर दी है, किन्तु कुछ व्यक्ति बंदर बुद्धि से उसका उपयोग करना चाहते हैं। जैसे बंदर उस्तरे से खुद को काट लेता है उसी तरह मनुष्य विज्ञान के दुरुपयोग से स्वयं को बर्बाद कर लेगा। प्रसिद्ध अंग्रेज दार्शनिक बट्रेन्ड रसेल ने लिखा है कि पश्चिमी वैज्ञानिक सभ्यता का भविष्य युद्ध से बचे रहने पर ही निर्भर करता है। यदि एटॉमिक युद्ध हुआ तो विज्ञान द्वारा दी गई असीमित विनाशकारी शक्ति से सबकुछ बर्बाद हो जाएगा।
ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने से यह आशा जगी थी कि युक्रेन युद्ध का ऐसा समाधान हो जाएगा जिसमें युक्रेन की स्वायत्तता एवं अस्तित्व बचा रहेगा। लेकिन ट्रम्प जिस हड़बड़ी में फैसले ले रहे हैं उससे युक्रेन की स्वतंत्रता और सम्मान दोनों खतरे में पड़ गए हैं। कल सऊदी में युक्रेन और अमेरिका की फिर बातचीत हुई है जिससे युक्रेन के लिए सकारात्मक – सम्मानजनक निर्णय निकलने की संभावना दिखाई दे रही है। युक्रेन समस्या पर ट्रम्प और युरोप अलग-अलग हो गए हैं। ट्रम्प ने युक्रेन की सहायता बंद कर दी और युरोप ने पूरी शक्ति से युक्रेन के सहायता करने का निर्णय लिया है। पूतिन यूरोप पर भी एटॉमिक हमला करने की चेतावनी दे रहे हैं जिसके उत्तर में फ्रांस के राष्ट्रपति ने भी एटॉमिक हथियार से जवाब देने का कहा है। युरोपीय देशों में केवल इंग्लैण्ड और फ्रांस के पास एटमबम है यदि रूस और यूरोप के बीच एटॉमिक युद्ध हुआ तो भयंकर विनाश होगा, किन्तु पूतिन को इसकी कोई चिंता नहीं। इतिहास गवाह है कि जब भी किसी शासक के सिर पर युद्ध का भूत संवार होता है तब वह युद्ध से होने वाले विनाश की चिंता नहीं करता है। पुराने जमाने में सिंकदर ने कितने देशों को बर्बाद किया था। नेपोलियन की महत्वकांक्षा ने पूरे यूरोप को बर्बाद कर दिया था। हिटलर ने दूसरा विश्व युद्ध प्रांरभ किया जो यूरोप अफ्रीका एशिया में लड़ा गया। उसका अंत जापान पर एटमबम गिरने के साथ हुआ। वर्तमान में द्वितीय विश्व युद्ध के समय केवल अमेरिका के पास एटमबम था आज कई देशों के पास हैं। पूतिन ने एटमबम डालने की जो धमकी दी बहुत विनाशकारी विचार है, इससे बचा जाना चाहिए। वैसे तो युद्ध अपने आप में बहुत विनाशकारी होता है इसीलिए भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बार-बार कहते हैं कि वर्तमान युग युद्ध का नहीं है। कारण भी स्पष्ट है कि यदि परमाणु युद्ध हुआ तो कुछ नहीं बचेगा। युद्ध के बाद जो लोग बच जाएंगे उनके लिए जीवन मृत्यु से भी अधिक कष्टदायी होगा। यह पूतिन को समझना चाहिए, किन्तु जब किसी व्यक्ति के दिमाग पर विस्तारवाद इच्छा हावी हो जाती है तो उसे कुछ समझ में नहीं आता। ऐसे दुर्बुद्धि व्यक्ति यह भुल जाते हैं कि एक दिन उनको भी मरना है। इसीलिए एटॉमिक युद्ध की सोचना भी मुर्खता है।