रतलाम। मप्र पेंशनर समाज जिला रतलाम की माह फरवरी की मासिक बैठक 9 फरवरी को अपरान्ह 3 बजे गुजराती उमा विद्यालय परिसर में सम्पन्न हुई।
बैठक में उपस्थित पेंशनरों ने मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा पेंशनरों के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैये पर खासी अप्रसन्नता व्यक्त की। उनका कहना था कि लगता है मुख्यमंत्री पेंशनरों को मप्र का निवासी भी नहीं मानते हैं। ऐसी उपेक्षा प्रदेश के वरिष्ठ नागरिकों के साथ अन्याय है। इस उपेक्षा से महंगाई के इस दौर में उनका जीवन यापन कष्टमय होता जा रहा हैखासतौर पर अल्प पेंशनधारियों का।
पेंशनरों का कहना है कि उन्होंने 35-40 वर्ष प्रदेश शासन की सेवा में रह कर अपना दायित्व निष्ठा पूर्वक निभाया और उसी के फलस्वरूप उन्हें राज्य शासन पेंशन भुगतान कर रहा है। पेंशन पाना पेंशनरों का संवैधानिक हक है खैरात में दी जाने वाली राशि नहीं। पेंशनर समाज सहित प्रदेश के लाखों पेंशनर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से यह अपेक्षा कर रहे हैं कि वे प्रदेश के अन्य मामलों में जिस तरह से दिलेरी दिखाते हुए हर संभव सहयोग की घोषणा कर रहे हैं उसी प्रकार प्रदेश के लाखों मध्यमवर्गीय पेंशनरों को केन्द्र के समान लंबित महंगाई राहत के साथ उच्च न्यायालय द्वारा पेंशनरों के पक्ष में दिए गए निर्णय के अनुसार 32 माह एवं 27 माह के एरियर और लंबे समय से मप्र छत्तीसगढ़ पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49(6) को विलोपित करने की, की जा रही मांगों को पूरा करने के लिए पेंशनरों के प्रति सहानुभूति प्रदर्शित करते हुए पूरा करने की घोषणा कर राहत पहुँचाते हुए उनके असंतोष को दूर करें।
प्रदेश के पेंशनर मुख्यमंत्री से सहानुभूतिपूर्ण रवैये की अपेक्षा करते हैं। इस सहानुभूति पूर्ण रवैये से प्रदेश के वयोवृद्ध एवं अल्प पेंशन पाने वाले पेंशनरों को इस महंगाई में जीवन यापन में थोड़ी राहत मिलेगी।
प्रेस बयान में मप्र पेंशनर समाज के उपाध्यक्ष ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव इस बात से भलीभांति परिचित हैं कि केन्द्र सरकार ने वर्ष 2025 के बजट में मध्यम वर्ग को राहत पहुँचाने के लिए आयकर दरों में कमी है। जिसकी सर्वत्र सराहना की जा रही है। इसलिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी प्रदेश के मध्यम वर्गीय वयोवृद्ध पेंशनरों की मांगें स्वीकृत कर राहत पहुँचायें।