वनस्टॉप सेंटर में पीडित महिलाओं को कानूनी रूप से जागरूक किया और शिशुगृह शाजापुर का किया औचक निरीक्षण

शाजापुर 10 फरवरी । म.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर द्वारा प्रसारित निर्देश के पालन में प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष श्री ललित किशोर के मार्गदर्शन में तथा षष्ठम जिला न्यायाधीश शाजापुर श्रीमती नीतुकान्ता वर्मा के मुख्य आतिथ्य में तथा प्रिसिंपल मजिस्ट्रेट किशोर न्याय बोर्ड श्रीमती डॉ. स्वाति चौहान के विशिष्ट आतिथ्य में आज वन स्टॉप सेंटर शाजापुर में विधिक साक्षरता सह जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री फारूक अहमद सिद्दीकी ने भी सहभागिता की। षष्ठम जिला न्यायाधीश शाजापुर श्रीमती नीतूकान्ता वर्मा के मुख्य आतिथ्य में तथा प्रिसिंपल मजिस्ट्रेट किशोर न्याय बोर्ड श्रीमती डॉ. स्वाति चौहान की अध्यक्षता में घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न से पीड़ित महिलाओं की समस्याओं को सुना गया और मौके पर ही इसका निराकरण किया गया। उन्होंने महिलाओं को बताया कि यदि उनके साथ घर में किसी भी प्रकार की घरेलू हिंसा या प्रताड़ना होती है तो वह बिना किसी डर के अपनी समस्या वन स्टॉप सेंटर तक पहुंचाएं। महिला कानून एवं महिला अधिकारों से संबंधित शिकायतें हेल्पलाइन नंबर 181 तथा 112 पर की जा सकती है, जानकारी देकर जागरूक किया। इस मौके पर वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक श्रीमती नेहा जयसवाल एवं पीड़ित महिलाएं थीं। इसके अलावा जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री सिद्दीकी द्वारा जिला प्राधिकरण द्वारा चलाई जा रही निःशुल्क विधिक सहायता योजना, नेशनल लोक अदालत के बारें में विस्तार से जानकारी दी। शिविर के पूर्व उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा प्रसारित निर्देशों के अनुपालन में षष्ठम जिला एवं अति सत्र न्यायाधीश शाजापुर श्रीमती नीतूकांता वर्मा के द्वारा जिला मुख्यालय पर स्थित अभिमत जन विचार मंच/शिशुगृह शाजापुर का विजिटर जज की हैसियत से त्रैमासिक औचक निरीक्षण किया गया। इस निरीक्षण का उद्देश्य बच्चों की रहने की स्थिति, स्वास्थ्य की स्थिति कर्मचारियों की उपलब्धता और आश्रय के समग्र प्रबंधन का आकलन करना है। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि आश्रय गृह में साढ़े तीन साल की बच्ची निवास करती है। संचालक श्री भूपेन्द्र सहगल के द्वारा बताया गया कि उक्त बच्ची को शिक्षा के लिए आंगनवाडी केन्द्र भेजा जाता हैं, जिस पर जिला विजीटर जज के द्वारा बच्ची को प्ले स्कूल में भर्ती करने के निर्देश दिए। साथ ही बच्ची थैलीसिमिया रोग से पीडित होने से नियमित रूप से ईलाज कराने के भी निर्देश दिए। संस्था में उपस्थित कर्मचारियों एवं स्टॉफ से भी चर्चा की गई। संस्था में संधारित अभिलेखों का भी निरीक्षण किया।