वर्तमान दौर में शांति और मानव गरिमा विषय पर जन-संवाद का आयोजन

नार्वे की डॉ. एवलिन लिंडनर इंदौर में

इंदौर। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद राष्ट्रों के बीच कूटनीति और संवाद के माध्यम से भविष्य के युद्धों को टालने की आकांक्षा के साथ संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की गई। मगर आज हम कहाँ खड़े हैं! इस दुनिया के कई कोनों में युद्ध और सामूहिक हत्याएँ हो रही हैं। युद्ध के साथ ही असमानता, भेद-भाव, पर्यावरणीय संकट, स्थाई शांति की संभावना और मानव गरिमा के लिए चुनौती बनी हुई है। इन स्थितियों में भी क्या विश्व शांति संभव है, क्या मानव गरिमा को कायम रखा जा सकता है, इन प्रश्नों की पड़ताल करने के लिए नार्वे की डॉ. एवलिन लिंडनर के साथ ‘वर्तमान दौर में शांति और मानव गरिमा’ विषय पर जन-संवाद का आयोजन रविवार, 2 फ़रवरी को दोपहर 3 बजे अभिनव कला समाज, गांधी हॉल में किया गया है। संवाद का आयोजन स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. और अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन द्वारा किया गया है।
2015, 2016 और 2017 के नोबल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित, डॉ. लिंडनर ह्यूमन डिग्निटी एंड ह्यूमिलेशन स्टडीज (एचडीएचएस) की संस्थापक हैं। यह संस्था दुनिया भर में मानवीय गरिमा को बढ़ावा देने और अपमान को समाप्त करने के लिए प्रसिद्ध है। डॉ. लिंडनर ने मानवीय गरिमा के विषय पर विस्तार से लिखा है, और उनके लेखन का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है। इस कार्यक्रम के पश्चात डॉ. लिंडनर शाम 5:30 बजे स्टेट प्रेस क्लब, म.प्र. के रूबरू कार्यक्रम में भी हिस्सा लेंगी।