संक्षिप्त टिप्पणी
– प्रो. डी.के. शर्मा, रतलाम
टेलीविजन खबरों का बहुत सशक्त माध्यम है। खबरों को आमजन तक पहुंचाने में बहुत प्रशंसनीय कार्य टेलीविजन चैनल्स करते हैं। छोटी से छोटी घटना भी टेलीविजन चैनल्स के केमरे से नहीं बच पाती। इसके लिए टेलीविजन चैनल्स बधाई के पात्र हैं किन्तु कुछ दिन पूर्व एक एक्टर के साथ हुई दुर्घटना का जिस तरह कवरेज किया गया उसे देखकर टेलीविजन कवरेज के गिरते स्तर के बारे में चिंता होने लगी।
एक एक्टर को किसी ने चाकू मार दिया। ऐसी दुर्घटनाएं प्रतिदिन देश में असंख्य होती हैं। कई घटनाओं में अपराधी का पता भी नहीं चलता किन्तु इस एक्टर के साथ हुई अनुचित दुर्घटना का विवरण पिछले एक सप्ताह से अधिकतर टीवी चैनल्स पर चल रहा है। एक प्रतिस्पर्धा सभी चैनल्स के बीच में चल रही है। वे अधिक से अधिक डिटेल्स इस दुर्घटना का दिखाना चाहते हैं। यह कलमकार ऐसी अवांछनीय दुर्घटना की आलोचना करता है। किसी के साथ भी ऐसी दुर्घटना नहीं होनी चाहिए। यह समाज में बढ़ती विकृति का परिणाम है।
टेलीविजन चैनल्स से शिकायत यह है कि सेफ पर हुए हमले को ऐसे दिखा रहे मानों कोई राष्ट्रीय आपदा आ गई हो। यह एक्टर कोई साधु-संत नहीं, समाज सेवी भी नहीं फिर इतना हंगामा क्यों? यह दर्शाता है कि भारतीय टेलीविजन चैनल्स के खबरों का स्तर बहुत गिर गया है। नाचने गाने वालों के साथ हुई ऐसी अनुचित दुर्घटना का प्रसारण पिछले एक सप्ताह से चल रहा है। पकड़े गए व्यक्ति का विवरण भी पूरी डिटेल्स के साथ बताया जा रहा है। शायद ही किसी व्यक्तिगत दुर्घटना का विवरण इतने लम्बे समय तक इतने डिटेल्स के साथ बताया गया हो? यह बहुत अनुचित है और प्रत्येक समझदार दर्शक को बहुत निराश करता है।
टीवी चैनल्स सूचना एकत्रित करने में बहुत सक्षम हो गए हैं। वे तुरंत और पूरे विवरण के साथ सूचनाएं एकत्रित कर देते हैं किन्तु उन्हें कौन सी खबर कितने समय तक दिखाई जाए इस पर विचार करना चाहिए। एक एक्टर के साथ हुई दुर्घटना का विवरण जिस तरह से दिखाया जा रहा है उससे लगता है कि टीवी चैनल्स दर्शकों को मुर्ख समझते हैं और ऐसा मानते हैं कि वे जो दिखा रहे हैं सब दर्शकों को स्वीकार्य होगा। ये उनका भ्रम है। समझदार दर्शक यह पसंद नहीं करते। कई लोगों ने कहा कि अब टीवी खोलने की इच्छा ही नहीं होती। पैसे के लिए नाचने गाने वाले के साथ हुई दुर्घटना का विवरण इतने दिनों तक दिखाया जाना बहुत अनुचित है। यह समय की अनुचित बर्बादी है। टीवी वालों को यह भी मालूम होना चाहिए कि प्रायवेट में चल रहे वीडियो कुछ और ही कहानी कह रहे हैं?