– प्रो. डी.के. शर्मा, लेखक रतलाम
अमेरिका समृद्धि, संपत्ति और शक्ति का प्रतीक है। पूरे विश्व के लिए प्रति व्यक्ति आय भी अमेरिका में सबसे अधिक 59,500 डॉलर है। संपन्नता के बल पर ही अमेरिका पूरी दुनिया में दादागिरी करता है। अमेरिका विश्व की सबसे बड़ी सैन्य शक्ति बन गया है। सैन्य ताकत के बल पर ही दुनियाभर में दादागिरी करता है, दुनिया का ठेकेदार बना बैठा है। जो देश उसकी बात नहीं मानता उसके विरूद्ध आर्थिक प्रतिबंध लगाता है। अन्य देशों की बाहं मरौड़ने के कई तरीके अमेरिका अपनाता है। वर्तमान में दुनिया दो खेमों में बंटी हुई है। अमेरिका एक खेमे का सर्वोपरि बना बैठा है, परन्तु बहुत कम लोग जानते हैं कि अमेरिका की सामाजिक व्यवस्था बहुत ही असमानता से भरी एवं खोखली है। पिछले दिनों अमेरिका में गरीबों और बेरोजगारों की स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त हुई। वहां की आंतरिक स्थिति बहुत भयावह है। भ्रम निवारण हो गया, आंखे खुल गई। इस जानकारी को अधिक से अधिक सुधिजनों तक पहुंचाना आवश्यक लगा। अमेरिका के बारे में भ्रम निवारण बहुत आवश्यक है। प्राप्त जानकारी को जानकर आप आश्चर्य चकित हो जाएंगे। वास्तव में अमेरिका जितना समृद्ध दिखाई देता है उतना है नहीं। प्रजातंत्र का ठेकेदार बने बैठे देश में भरपूर असमानता है। वहां केवल पूंजीपतियों का बोल-बाला है। वे ही वहां के समाज के ठेकेदार बने बैठे हैं। वे ही राजनीति का खेल खेलते हैं और अन्य देशों के सामने थोथी आदर्शवादिता प्रस्तुत करते हैं। अमेरिका अपनी दादागिरी को चलाने की भारी कीमत चुकाता है। इस आलेख को पढ़कर आप आश्चर्यचकित – हतप्रभ हो जाएंगे।
उपलब्ध जानकारी के अनुसार अमेरिका की जनसंख्या 33.33 करोड़ है। इसमें बेरोजगारों की संख्या 1.26 करोड़ है। बेघर लोगों की संख्या 6,50,000 है और अमेरिका में गरीबी दर 12.9% है। अमेरिका में अधिकतर धन कुछ ही परिवारों के पास है। अधिकतर अमेरिकन मध्यमवर्ग या उसके नीचे के हैं। अमेरिका में सामाजिक समानता नहीं है। अमेरिका में बेघर लोगों की संख्या भी बहुत बड़ी 37.3% है। पूर्व सैनिकों के पास भी घर नहीं है और वे फुटपाथ अथवा बगीचे में टेंट लगाकर रहते हैं। उनको जो पेंशन मिलती है उसमें उनका ठीक से गुजारा भी नहीं हो पाता इस कारण उनकी पत्नी तलाक दे देती हैं। कितनी बड़ी विडंबना है कि जिन सैनिकों के बल पर अमेरिका पूरी दुनिया में दादागिरी करता है उन सैनिकों के पास अवकाश प्राप्ति के बाद घर भी नहीं होता।
अमेरिका में अधिकतर अश्वेत निवासी बहुत गरीब हैं और उन्हें सामाजिक न्याय भी नहीं मिलता। अवैध रूप से प्रवेश करने वालों की स्थिति तो और भी खराब होती है। उन्हें न कोई अधिकार होता है, न सामाजिक सुरक्षा। अवैध प्रवेश करने वाले केवल मुर्खता करते हैं। अमेरिका में बुढ़ापा बहुत कष्टदायक होता है। मध्यम और गरीबवर्ग के बुजुर्ग अकेले ही रहते हैं। कुछ समय पूर्व टीवी पर एक दृश्य देखने में आया जिसमें एक गोरे पुलिसवाले ने अश्वेत के गले पर घुटना रखकर उसे मार दिया। आश्चर्य होता है कि अमेरिका वहां के सबसे अधिक प्रसिद्ध राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का देश है जिन्होंने कालों की गुलामी प्रथा समाप्त करने के लिए गृहयुद्ध लड़ा और जीता। बाद में उन्हें भी गोली मार दी गई। अमेरिका में अनेक राष्ट्रपति को गोली मारी गई। प्रेसीडेंट कैनेडी की हत्या हमारे जीवनकाल में ही हुई थी।
अमेरिका में व्यवसाय के अनुसार लॉबी बनी हुई है। ये लोग अपने लाभ के अनुसार देश की नीतियों को प्रभावित करते रहते हैं। गृहनिर्माण और शस्त्र बनाने वालों की बड़ी लॉबी है। अमेरिका में हथियार बनाने वालों की लॉबी बहुत प्रभावशाली एवं सक्रिय है। यह लॉबी हमेशा यह प्रयास करती है कि अमेरिका कहीं न कहीं युद्ध करता ही रहे। इसी कारण अमेरिका दुनियाभर में कहीं न कहीं युद्ध करता रहता है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से अमेरिका कहीं न कहीं युद्ध लड़ता ही रहता है। कोरिया युद्ध कई वर्षों तक चला। इसके बाद वियतनाम में 10 वर्षों तक युद्ध लड़ा अफगानिस्तान में भी लंबे समय तक अमेरिकन सेना तालिबान से लड़ती रही। इनमें से किसी भी युद्ध में अमेरिका को निर्णायक जीत प्राप्त नहीं हुई। अफगानिस्तान छोड़ते समय अरबों डॉलर के टैंक हेलीकॉप्टर आदि छोड़कर अमेरिका चला गया। अभी भी दुनिया के अनेक देशों में अमेरिकन सेना जमी हुई है। युक्रेन युद्ध से अमेरिकन हथियार लॉबी बड़ा पैसा बना रही है। ये लॉबी बड़ी निर्दयी है। इसे सिर्फ पैसा चाहिए, लोग मरे इससे उनको कुछ फर्क नहीं पड़ता। इनको देश में बड़ी संख्या में बेरोजगार – बेघरों की संख्या से भी कुछ फर्क नहीं पड़ता। अमेरिका का धर्म पैसा ही है और उस पर कुछ ही लोगों का अधिकार है। आजकल चर्चा है कि युक्रेन युद्ध 2027 तक चलेगा। युरोप के कई देश युद्ध चलाना चाहते हैं। अमेरिकन हथियार लॉबी का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है।
रोजगार की स्थिति भी अमेरिका में बहुत अच्छी नहीं है। दुनियाभर के लोग अमेरिका में अच्छा रोजगार पाने के लिए जाते हैं, किन्तु अब स्थिति उतनी अच्छी नहीं है जितनी दूसरे देशों के लोग सोचते हैं। किसी ने एक आईआईटी पास युवक के बारे में बताया कि उसे अच्छी नौकरी नहीं मिली और वह ड्रायवरी कर रहा है। इस आलेख का उद्देश्य अमेरिका के बारे में भ्रम निवारण करना है। वह दूसरे देशों को निर्देश देता रहता है किन्तु वहां सबकुछ ठीक नहीं है।