पूर्वांचल के श्रद्धालुओं ने दी उगते सूर्य को अर्घ्य, चार दिवसीय छठ महापर्व का हुआ भव्य समापन।*

*पूर्वांचल के श्रद्धालुओं ने दी उगते सूर्य को अर्घ्य, चार दिवसीय छठ महापर्व का हुआ भव्य समापन।*

इंदौर। शहर में चार-दिवसीय छठ महापर्व का समापन शुक्रवार सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ हुआ। इस अवसर पर पूर्वांचल और बिहार के हजारों श्रद्धालुओं ने सूर्य देव की पूजा कर अपने परिवार, समाज, प्रदेश, और देश के सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की। गुरुवार शाम को सूर्य को पहला अर्घ्य देने के बाद, रात के मध्य से ही छठ व्रतियों और श्रद्धालुओं की भीड़ शहर के घाटों पर जुटनी शुरू हो गई थी। सुबह 4 बजे तक सभी प्रमुख घाट श्रद्धालुओं और उपासकों से खचाखच भर गए थे।

रंग-बिरंगी विद्युत सजावट और छठ मैया के भक्तिपूर्ण लोकगीतों से सजे इन घाटों का दृश्य बेहद आकर्षक था। अर्घ्य से पहले, कई घाटों पर पटाखे और फुलझड़ियों से माहौल को उत्सवमय बनाया गया। जैसे-जैसे सूर्योदय का समय नजदीक आ रहा था, जल कुंडों में खड़े व्रती महिलाएं और पुरुष पूरे समर्पण के साथ भगवान भास्कर की आराधना में लीन होकर अपनी कामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना कर रहे थे।

सूर्योदय के साथ ही विजय नगर, स्कीम न 78, तुलसी नगर, समर पार्क निपानिया, वेद मंदिर, सुखलिया, श्याम नगर, ड्रीम सिटी देवास नाका, शंखेश्वर सिटी, बाणगंगा कुंड, वक्रतुण्ड नगर, कालानी नगर, सिलिकॉन सिटी, पिपलियाहाना तालाब, अन्नपूर्णा रोड तालाब, सूर्य मंदिर कैट रोड जैसे लगभग 150 घाटों पर श्रद्धालुओं ने भगवान भास्कर के उदीयमान स्वरूप को “आदि देव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर:” और “ऊं सूर्याय नम:” के मंत्रोच्चार के साथ अर्घ्य अर्पित किया। घाटों पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने सूर्य देव से प्रदेशवासियों और देश में शांति, समृद्धि, भाईचारे की कामना की।
पूर्वोत्तर सांस्कृतिक संस्थान के प्रदेश महासचिव के. के. झा और अध्यक्ष ठाकुर जगदीश सिंह ने बताया कि छठ महोत्सव के दौरान स्थानीय नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों ने भी घाटों पर पहुंचकर श्रद्धालुओं के साथ इस पर्व में सहभागिता की। अर्घ्य के पश्चात श्रद्धालुओं ने छठ प्रसाद में ठेकुआ और मौसमी फलों का वितरण किया, जिसके बाद व्रतियों ने पीपल के पेड़ की पूजा की और 36 घंटे के कठिन निर्जला व्रत का पारण किया। इसके बाद व्रतियों ने नमकयुक्त भोजन ग्रहण कर व्रत का समापन किया।छठ महापर्व के इस भव्य समापन ने शहर में पूर्वांचल संस्कृति का अद्भुत नजारा प्रस्तुत किया और हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना।