क्षणिक सुखों से जिसकी संतुष्टि होती हैं वह आत्मिक सुख को प्राप्त नहीं कर सकता- मुनिश्री प्रमाण सागर
रेसकोर्स रोड़ स्थित मोहता भवन में मुनिश्री ने की प्रवचनों की अमृत वर्षा, श्रावक-श्राविकाओं ने पाद-पक्षालन कर लिया आशीर्वाद, आज घटयात्रा से होगी 108 सिद्धचक्र महामंडल विधान की शुरूआत
इन्दौर । क्षणिक सुखों से जिसकी संतुष्ठी होती है वह आत्मिक सुख को प्राप्त नहीं कर सकता। मोक्ष मार्ग में वही लग पाते है जिसे संसार की धूप अच्छी नहीं लगती। जिसे संसार की धूप अच्छी लग रही है वह कभी मोक्ष मार्ग पर आगे नहीं बढ़ सकते।
उक्त विचार मुनिश्री प्रमाण सागर महाराज ने बुधवार को रेसकोर्स रोड़ स्थित मोहता भवन में श्रावक-श्राविकाओं को प्रवचनों की अमृत वर्षा करते हुए व्यक्त किए। मुनिश्री ने अपने प्रवचन में कहा कि हमारी अच्छी बुरी सोच ही हमारे अच्छे बुरे जीवन का निर्धारण करती है। सबसे पहले तो हमें अपनी सोच और कमी का अहसास होना चाहिए कि मेरे अंदर क्या कमी है? जब हम धार्मिक क्षेत्र में रहते है या अनायास ही कोई घटना घट जाती है तो हमें यह संसार असार लगने लगता है यह क्षणिक वैराग्य है। यदि इस क्षणिक वैराग्य को अभ्यास में ले लिया जाए और उस ओर सतत प्रयास तथा अभ्यास करें तो अच्छे परिणाम मिल सकते है। मुनिश्री ने कहा कि संसार में आप लोग धर्म भी करते है तो भौतिक सुख और दुनिया दारी की चाह के लिए करते हैं, जो कि सुख नहीं बल्कि दु:ख को ही उत्पन्न करता है। मुनिश्री ने कहा कि यह जो आत्मिक सुख की जो प्यास जगी है उसमें निरंतरता और अभ्यास बनाए रखोगे तो आपके जीवन में निखार आता चला जाएगा। सुख की चाह तो सभी रखते है लेकिन उसकी प्यास कितनी है। जिस व्यक्ति के अंदर आध्यात्मिक सुख की प्यास जाग्रत हो जाती है तो वह उसके अभाव में पागल हो जाता है एवं उसे पाने का प्रयास करता है।
धर्म प्रभावना समिति प्रचार प्रमुख राहुल जैन (स्पोटर््स वल्र्ड), अध्यक्ष अशोक-रानी डोसी, महोत्सव अध्यक्ष नवीन-आनंद गोधा, महामंत्री हर्ष जैन एवं प्रवक्ता अविनाश जैन (विद्यावाणी) ने बताया कि गुरूवार 7 नवंबर से श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान प्रारंभ हो रहा है। प्रात: 7 बजे मोहता भवन से मुनिसंघ के सान्निध्य में घटयात्रा प्रारंभ होगी जो कि कार्यक्रम स्थल विजय नगर में प्रात: 8 बजे तक पहुंचेगी एवं ध्वजारोहण के साथ विधान प्रारंभ होगा जो कि लगातार चलेगा एवं 15.नवम्वर को 108 रथयात्रा के साथ समापन होगा।