बधाई, राम ढोल, राठवा ,वासवा ,थाट्या से सजा मालवा उत्सव का मंच

मालवा उत्सव में नजर आया भीड़ भरा माहौल

बधाई, राम ढोल, राठवा ,वासवा ,थाट्या से सजा मालवा उत्सव का मंच

इंदौर । देश एवं मालवा की लोक संस्कृति को संरक्षित एवं समृद्ध करने के लिए लोक संस्कृति मंच पूरे वर्ष भर कई कार्यक्रमों का आयोजन करता है। जिसमें हरतालिका तीज, गुड़ी पड़वा के कार्यक्रम शामिल है। उसी कड़ी में परंपरागत रूप से आयोजित मालवा उत्सव के तृतीय दिवस पर भीड़ भरा माहौल नजर आया जिसमें लालबाग की मुख्य सड़क के दोनों तरफ लगी शिल्पकारो की स्टालों पर इंदौर एवं प्रदेश की जनता शिल्प कला को निहारते एवं अपने घर में सजाने हेतु खरीददारी करती नजर आई।

लोक संस्कृति मंच के संयोजक एवं सांसद शंकर लालवानी एवं इंदौर नगर पालिका निगम महापौर पुष्यमित्री भार्गव ने बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर की प्रतिकृति बने मंच पर आदिवासी नृत्य को समर्पित उत्सव में गोंड जनजाति का नृत्य, गुजरात की राठवा जनजाति का नृत्य , वसावा जनजाति का नृत्य एवं मध्य प्रदेश का खूबसूरत नृत्य बधाई प्रस्तुत हुआ। आदिवासी अंचलों में पाई जाने वाली औषधीयो स्टालों के साथ शिल्प बाजार में काफी भीड़ नजर आई

*सांस्कृतिक कार्यक्रम*
आयोजन समिति के ज्योति तोमर, भारत पारीख एवं पराग लौंढे ने बताया कि आज सांस्कृतिक कार्यक्रमों में छिंदवाड़ा से आए भार्या जनजाति के लोककलाकारों द्वारा ढोल चिमटी थप पर राम ढोल नृत्य प्रस्तुत किया गया जिसमें उछल-उछल कर नृत्य करते हैं यह नृत्य शादी एवं भीम देव के पूजन के समय किया जाता हे नीले रंग के कुर्ते धोती पगड़ी पहनकर किया गया यह नृत्य काफी सुंदर बन पड़ा था ।बैतूल से आए गोंड जनजाति के कलाकारों द्वारा दीपावली के अवसर पर गोवर्धन पूजा तक किया जाने वाला नृत्य थाट्या प्रस्तुत किया गया इसमें उन्होंने तुर्रा, तोड़ी, धोती ,पगड़ी पहनकर नृत्य किया चिमटी ,मंजीरा, ढोलक के थाप पर किया गया या नृत्य सब की दाद ले गया। सागर से आए 15 लोगों के समूह द्वारा किया गया नृत्य बधाई बहुत ही खूबसूरत था जिसमें शीतला माता से लोगों को प्राकृतिक आपदाओं से बचने हेतु आराधना की जाती है इसमें कई प्रकार के फॉर्मेशन से लोग मंत्र मुग्ध हो गए ।गुजरात की बसवा जनजाति द्वारा होली पर किया जाने वाला नृत्य बसवा जिसे धूलंडी से लेकर 15 दिनों तक किया जाता है बांसुरी ढोलक शहनाई की धुन एवं पांव में घुंघरू बांध कर नृत्य प्रस्तुत किया गया गुजरात की ही राठवा जनजाति द्वारा ढोल ,त्रिशूल, ढोलकी, तीर कमान के साथ नृत्य किया। राठवा सिर पर पगड़ी सफेद धोती पीले रंग का शर्ट पहनकर लड़के तो लड़कियां काला घाघरा और लाल ओढ़नी के साथ में नृत्य करती नजर आई, होली माता जी की आराधना इसमें दिखाई गई। कुनबी जनजाति का डांगी नृत्य भी इस दौरान किया गया। स्थानीय कलाकारो ने भी अपनी प्रस्तुतियां दी अंकिता अग्रवाल एवं शिष्यों ने शिव की स्तुतियां कथक के माध्यम से प्रस्तुत की।
विनोद गोयल, नगर प्रतिनिधि