नर्सिंग कॉलेज जांच में भ्रष्टाचार – प्रो. डी.के.शर्मा

कुछ दिन पूर्व सी.बी.आई. के एक अधिकारी के बारे में ऐसी खबर आई जिससे देश के नागरिकों को बड़ा सदमा पहुंचा। खबर के अनुसार मध्य प्रदेश में नर्सिंग कॉलेज की जांच कर रहे एक सी.बी.आई. अधिकारी ने रिश्वत लेने का बड़ा नेटवर्क तैयार करके अच्छी खासी मात्रा में रिश्वत खाई। इस खबर ने नागरिकों को बहुत आघात पहुंचाया क्योंकि सी.बी.आई. देश के विश्वास का प्रतीक बन चुका था। सभी दलों के लोग सी.बी.आई. की निष्पक्षता और कार्यक्षमता में विश्वास करते थे। लोग जिस विश्वास के साथ पूजा स्थल को जाते हैं उसी विश्वास के साथ न्याय पाने की आशा में सी.बी.आई. के पास जाते रहे हैं। सभी राजनीतिक दलों का भी सी.बी.आई. में पूरा विश्वास रहा है। जब भी कहीं भ्रष्टाचार या अन्याय होता है तब-तब सी.बी.आई. से जांच कराने की मांग की जाती है। यहां तक की सरकार के खिलाफ भी सी.बी.आई. से जांच कराने की मांग की जाती है; किन्तु भोपाल में पदस्थ एक अधिकारी द्वारा नर्सिंग कॉलेजों की जांच में किए भ्रष्टाचार से सी.बी.आई. में नागरिकों का विश्वास हिल गया है।
नर्सिंग कॉलेजों की जांच में हुए भ्रष्टाचार के सभी विवरण समाचार पत्रों में छप चुके हैं। इस भ्रष्टाचार के उजागर होने से देश के प्रत्येक नागरिक को बहुत निराशा हुई, आघात पहुंचा। पहले कहीं भी न्याय न मिलता तो पीड़ित परेशान व्यक्ति सी.बी.आई. जांच की मांग करता। अब पीड़ित कहां जाएगा? न्याय की मांग किससे करेगा? चुनाव चल रहे हैं इसलिए राजनीतिक दलों ने इस महत्वपूर्ण घटना की ओर ध्यान नहीं दिया। आम नागरिक उद्वेलित तो हैं, मगर असहाय। नागरिकों की याददाश्त कमजोर होती है इसलिए अप्रिय, अनुचित, घटना पर परेशान होते हैं, चर्चा करते हैं और थोड़े दिनों बाद भूल जाते हैं।
उपलब्ध जानकारी के अनुसार सी.बी.आई. की सफलता प्रतिशत बहुत अधिक नहीं है। पिछले 10 वर्षों में सफलता प्रतिशत 65 से 70% रहा है। सी.बी.आई. पर जांच पूरी करने में अत्यंत विलंब करने का आरोप लगाया जाता रहा। सी.बी.आई. को सूचना के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों से छूट प्राप्त है इसका दुरुप्रयोग करके जानकारी छिपायी जाती है। इससे सी.बी.आई. को अपनी मनमर्जी करने में सफलता मिलती है। सी.बी.आई. की निष्पक्षता पर भी सवाल उठते रहे हैं। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सी.बी.आई. के कार्यकलापों में अत्यधिक राजनैतिक हस्तक्षेप की आलोचना करते हुए इसे “अपने स्वामी की आवाज में बोलने वाला तोता” कहा था। परन्तु नर्सिंग कॉलेज जांच के मामले में उजागर भ्रष्टाचार ने सी.बी.आई. में लोगों के विश्वास को झकझोर दिया है।
ईमानदारी से बात की जाए तो आज के प्रशासनिक तंत्र में भ्रष्टाचार शिष्टाचार बन चुका है। राजनीति की दुनिया में व्याप्त भ्रष्टाचार आए दिन उजागर होता ही रहता है। नोटों के पहाड़ निकल रहे हैं। आम नागरिक बहुत दुःखी है। वह मुश्किल से अपना घर चला पाता है। दूसरी ओर नोटों के ढेर मिल रहे हैं। हम सब जानते हैं कि भ्रष्टाचार असंभव को भी संभव बना रहा है। इसने आम नागरिक की मानसिकता को भी विकृत कर दिया है। आज अधिकतर लोग अपना काम करवाने के लिए रिश्वत देने को तैयार हैं। भ्रष्टाचार का शिष्टाचार बढ़ता ही जा रहा है। निकट भविष्य में इससे मुक्ति की संभावना नहीं दिखाई देती। फिर भी, आशा करते हैं कि नर्सिंग कॉलेज भ्रष्टाचार केवल एक व्यक्तिगत प्रकरण हो और सी.बी.आई. की सुचिता और प्रतिष्ठा बनी रहे।