हजार दे बहन लाड़ली को खर्चों चलवायों- अल्हड़

हजार दे बहन लाड़ली को खर्चों चलवायों- अल्हड़

राऊ में सजी ठहाकों की महफिल मध्यरात्रि तक जमी रही, कवि व कवियित्रियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया

फिल्म व टीवी कलाकार राकेश बेदी को साहित्य गौरव सम्मान से नवाजा, हजारों दर्शकों से रूबरू होने के साथ ही फैंस को ऑटोग्राफ भी दिया

इंदौर   । राऊ की जनता के लिए ठहाकों व गुदगुदाने वाला रहा। शाम को स्टेशन रोड़ पर सजी ठहाकों की महफिल में जाने-माने कवियों ने जब अपनी रचनाओं को प्रस्तुत किया तो हर कोई श्रोता ठहाका मारते हुए दिखा। कवि सम्मेलन प्रारंभ के पूर्व श्रीमान-श्रीमति फेम एवं जाने-माने टीवी व फिल्म कलाकार राकेश बेदी को साहित्य गौरव सम्मान से नवाजा गया। ठहाकों की इस महफिल में आम से लेकर खास व्यक्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।

अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन समिति व आयोजक शिव डिंगू ने बताया कि कवि सम्मेलन की शुरूआत नैनिताल की सुश्री गौरी मिश्रा की सरस्वती वंदना से की गई। इसके पश्चात सभी राऊ परिषद से जुड़े सभी अतिथियों का स्वागत फूलमाला व केशरिया दुपट्टे के साथ किया गया। कोटा से आए अर्जुन अल्हड़ ने जैसे ही मंच संभाला वहां उपस्थित श्रोताओं ने तालियों की गडग़डाहट से उनका स्वागत किया। उन्होंने सभी कवि सम्मेलन प्रेमियों को अपनी रचना की प्रस्तुति देते हुए कहा कि- जीवन की आपाधापी में हम हंसना क्यों भूल गए… हंसते-हंसते ही तो भगतसिंह फांसी के तख्त पर झूल गए। हजार दे बहन लाड़ली को खर्चों चलवायों, मेहनत कर के 163 सीटें भी ले आयो… मैंने दही बिलोयो माखन मोहन ने खायो, सखी री मेरो मोहन राज चुरायो… मालवी कविता ने सभी श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी।

वहीं इसके पश्चात पार्थ नवीन ने कभी भरमाय कभी छोड़े कभी घात करे
मध्यप्रदेश का ये राज जो मोहन को मिले मामा कैसे ना जले।

गौरी मिश्रा ने ऐसा कोई दिवस न बीते,जब मन राम के संग न हो। जीवन भी बह अभिशाप है जिसमें कोई रंग न हो।धर्म सार की बात हो जब भी केवल इतना याद रहे।परंपराएं अनुशासित हों,और मर्यादा भंग न हो।

दिनेश देशी घी (शाजापुर) ने एक फकीर मिला ऐसा जो जपता रहा प्रभु की माला,,
उस राम भक्त भजरंगी ने श्री राम का भवन बना डाला। मेरे मोदी तेरे गुण गवा, तेरे चरणों में झुक जावा,, बस इतनी हैं दिल की आरजू।

शशिकांत यादव ने फूटा जातिवादी ढोल, खुल गई सारी पोल, उल्टी सीधी हरकतों से मिले संताप है। राम जी पे दावा काशी मथुरा चुप्पी साधी, तुष्टिकरण में डूबे आई एम आप हैं। जीतने वाले को मिला राष्ट्रवादियों का साथ, हारने वालो को मिला सनातनी श्राप हैं।

शशांक प्रभाकर ने हम पर छाई फक़ीरी ऐसी खोना पाना छोड़ दिया, हमने शाहों के रस्ते पर आना जाना छोड़ दिया। जिस दिन से मैंने कुटिया में एक नन्हा दीप जलाया है। उस दिन से सूरज ने मुझसे आँख मिलाना छोड़ दिया।

अतुल ज्वाला ने भगत सिंह के देश में जिंदा कसाब मांग रहे हैं । धारा 370 क्यों हटा दी जवाब मांग रहे हैं । जो खा गए देश को कुर्सी पर बैठकर दीमक की तरह । वो राम भक्तों से चंदे का हिसाब मांग रहे हैं ।

कवि सम्मेलन सूत्रधार अतुल ज्वाला ने बताया कि पहले नंबर पर आए कोटा के अर्जुन अल्हड ने खूब हँसाया। फिर प्रतापगढ़ के पार्थ नवीन ने अपनी पैरोडियों से खूब ठहाके लगाए। नैनीताल की गौरी मिश्रा के आते ही पुरा पंडाल श्रृंगार रसमय हो गया। शाजापुर के दिनेश देसी घी ने कवि सम्मेलन प्रेमियों को खूब ठहाका लगवाया। शशिकांत यादव ने माहौल को देशभक्ति मय से भर दिया। आगरा के गीतकार शशांक प्रभाकर ने अपने गीत व शायरी से सभी श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी। फिल्म व टीवी कलाकार राकेश बेदी ने भी अपनी कॉमेडी और शायरी से लोगों का खूब मनोरंजन किया।