देने में संकोच और लेने में संतोष की भावना हो- साध्वी ऋतुंभरादेवी

 

आध्यात्मिक भक्ति भाव का समागम देखने उमड़ा भक्तों का जनसैलाब

मातृशक्तियों ने किए सेवा कार्य तो वहीं युवा दे रहे जल की सेवा

इन्दौर ।जीवन में ज़ब देने का अवसर आए तो संकोच करो कि परमात्मा ने मुझे और अधिक दिया होता तो और देता इसके विपरीत ज़ब हम लेने को आतुर हों तो जो मिले उसी में संतोष करना चाहिए। जीवन में कितनी भी विपत्ति आए अपने घर कि बहू बेटी के गहने नहीं बेचने चाहिए क्योंकि वे गहने नहीं परिवार की मर्यादा तथा हमारा गौरव होते हैं। जिस भक्त की माँगने की इक्छा नहीं रह जाती तब उसे भगवान बहुत कुछ देते हैं। उक्त बात श्री चौबीस अवतार मंदिर महातीर्थ क्षेत्र देपालपुर में आयोजित श्रीराम कथा के पांचवे दिन रविवार को साध्वी दीदी मां ऋतुंभरादेवी ने भक्तों व श्रद्धालुओं को कथा का रसपान करवाते हुए व्यक्त किए। रविवार को व्यासपीठ का पूजन रामेश्वर गुड्डा पटेल एवं परिवार द्वारा किया गया। वहीं आरती में राजेश सोनकर, रायसिंह सेंधव, कंचनसिंह चौहान, अन्तरसिंह मौर्य, मोतीसिंह पटेल, रूपसिंह (सेवा भारती), प्रेमसिंह यादव, भुवानसिंह पंवार उपस्थित थे।

श्री पुंजराज पेटल सामाजिक सेवा समिति एवं श्रीराम कथा आयोजक रामेश्वर गुड्डा पटेल ने बताया कि 31 मई से जारी श्रीराम कथा में वैसे तो हजारों की संख्या में भक्तों का जनसैलाब उमड़ रहा है लेकिन रविवार को भक्तों की संख्या प्रतिदिन के अनुसार दोगुनी हो गई। रविवार को साध्वी दीदी मां की कथा श्रवण करने 18 हजार से अधिक श्रद्धालु पहुंचे थे। वहीं 20 हजार से अधिक भक्तों ने भोजन प्रसादी ग्रहण की एवं 250 से अधिक कार्यकर्ताओं ने इसकी जिम्मेदारी संभाली।

श्रीराम कथा के पांचवे दिन राम केवट प्रसंग की व्याख्या करते हुए साध्वी दीदी मां ऋतुंभरादेवी ने कहा कि दुनिया की कोई भी विपत्ति बड़ी नहीं होती है। जिस पर भगवान की कृपा होती है उसका साहस भी बड़ा होता हैं और वह विपत्ति से भी सामना करता है और विजय प्राप्त करता है। साध्वी दीदी मां ने केवट को देने के लिए सीताजी द्वारा आभूषण भेंट करने के प्रसंग का भावपूर्ण वर्णन भी किया जिस सुन सभी मातृशक्तियों की आंखे छलक उठी।