मालवा उत्सव का भव्य शुभारंभ,पनिहारी, मटकी ,हुडो रास ,भील भगोरिया अर्वाचीन गरबा रास, एवं डांगी नृत्य हुए

*शिल्प बाजार हुआ गुलजार प्रतिदिन शुरू होगा 4:00 बजे*
कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने किया शुभारंभ

इंदौर। मध्य प्रदेश की पहचान बन चुका मालवा उत्सव का आज भव्य शुभारंभ हुआ। सांस्कृतिक विरासत एवं लोक कला एवं जनजाति नृत्यों को समर्पित इस मालवा उत्सव की विशेषता भारतीय सांस्कृतिक विरासत है। नगर पालिका निगम एवं संस्कृति संचनालय मध्यप्रदेश के सहयोग से मनाए जा रहे इस उत्सव में आज बड़ी संख्या में कला प्रेमियों की उपस्थिति लालबाग परिसर पर देखी गई।

लोक संस्कृति मंच के संयोजक शंकर लालवानी ने बताया की आज महाराष्ट्र एवं कर्नाटक की सीमा पर स्थित कोल्हापुर जिले में बने हुए कोपेश्वर शिव मंदिर की प्रतिकृति लिए हुए हैं इस मंच पर सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ कर्नाटक के राज्यपाल श्री थावर चंद गहलोत एवं महापौर पुष्यमित्र भार्गव के सानिध्य में हुआ । दीप प्रज्वलन एवं अतिथि स्वागत के साथ जनजाति नृत्यों की निराली छटाए देखने को मिली। अतिथियों का स्वागत दीपक लंवगड़े, सतीश शर्मा, रितेश पाटनी, दिलीप सारडा, दीपक पवार, पुनीत साबू , मुकेश पांडे, जुगल जोशी, कपिल जैन ने किया।

पवन शर्मा एवं संकल्प वर्मा ने बताया कि आज आदिवासी अंचल का भील जनजाति का भगोरिया नृत्य एक नए अंदाज में झूमते हुए लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया इसमें तीर कमान एवं ढोल थाल बजाते हुए प्रस्तुति थी। प्राचीन काल में गांव से दूर जब महिलाएं कुए से पानी भरने जाती थी तो आपस में बात करती हुई नृत्य करती हुई चलती थी अपने मन की बात अपनी सहेलियों से कहती है और उन्हीं बातों को नृत्य मे भाव के द्वारा प्रस्तुत किया गया बोल थे “कुआं पानी भरने कसी जाऊ रे नजर लग जाए “वही मालवा की मटकी लोक नृत्य जो मांगलिक प्रसंग पर महिलाओं द्वारा किया जाता है इस नृत्य में ढोल की थाप पर अलग-अलग मुद्राओं के साथ महिलाओं द्वारा आडा,खडा, रजवाड़ी ,मटकी की ताल पर नृत्य किया जाता है इसमें महिलाएं मटक मटक कर नृत्य करती है इसलिए इसको मटकी कहा जाता कल सुंदर प्रस्तुतीकरण हुआ । गुजरात का प्रसिद्ध रास, हुडो रास भी प्रस्तुत किया गया यह गुजरात का सबसे प्राचीन नृत्यो में से एक है ।इसमें लड़का और लड़की नृत्य के माध्यम से एक दूसरे को विवाह के लिए पसंद करते है। रंग बिरंगी पोशाक के साथ में किया गया यह नृत्य केड़िया, धोती, बोरी आदि पहन कर किया गया। यह नृत्य गुजरात के कोली मालधारी और रबारी समाज के द्वारा किया जाता है । लाल रंग के खंडवा पहनी 8 लड़कियों एवं पीले रंग के धोती कुर्ता पहनकर 13 लड़कों ने शादी ब्याह एवं मांगलिक अवसरों विशेषकर होली पर किया जाने वाला डांगी नृत्य किया जो गुजरात से आए हुए हैं कलाकारों ने शहनाई पर प्रस्तुत किया। कुनबी जनजाति द्वारा माता की आराधना हेतु यह नृत्य किया जाता है नृत्य मैं पिरामिड बनाना दर्शकों को रोमांचित कर गया। अर्वाचीन गरबा करते हुए पीली एवं मैरून रंग के परिधान पहनकर पारंपरिक गरबा रास प्रस्तुत करते हुए गुजरात के कलाकारों ने मन मोह लिया। वही स्थानीय कलाकारो द्वारा कत्थक एवं अन्य नृत्यों की प्रस्तुतियां भी दी गई ।
मंच के कंचन गिद्वानी एवं पवन शर्मा ने बताया कि शिल्प मेला सायंकाल 4:00 बजे से लालबाग पर प्रारंभ हुआ जिसमें काफी संख्या में कला प्रेमियों की उपस्थिति दर्ज की गई ट्राईब मेला के नाम से 50 जनजातिय शिल्पकारों का बनाया गया अलग झोन आकर्षण का केंद्र रहा। गुजरात पवेलियन में भी काफी पूछ परख देखी गई।

10 मई के कार्यक्रम शिल्प मेला सायंकाल 4:00 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम 7:30 बजे पनिहारी, मटकी, प्राचीन गरबा, तलवार रास,नौरता ,डांगी नृत्य, भगोरिया एवं स्थानीय कलाकारों के नृत्य होंगे।