आंतकियों के विरूद्ध अधिक आक्रामक नीति आवश्यक

कश्मीर से धारा 370 हटाना भारत सरकार का बहुत साहसिक और सदाशयता पूर्ण कदम था। यह कश्मीर को देश की मुख्य धारा में मिलाने के लिए बहुत आवश्यक था। एक तरह से तत्कालिन सरकार द्वारा की गई गलती को ठीक करने के लिए यह आवश्यक था। हमें यह भी मामूल होना चाहिए कि धारा 370 केवल राष्ट्रपति के अध्यादेश द्वारा लागू की गई थी। उपलब्ध जानकारी के अनुसार संसद द्वारा इसे कभी भी स्वीकृत नही किया गया। किन्तु धारा 370 हटाए जाना भारत विरोधी पाकिस्तान व अन्य को पसंद नही आया। परिणाम स्वरूप हमारी सुरक्षा बलो पर आंतकी हमले बढ़ गए। यद्यपि पहले से आंतकवादी गतिविधियंा कम हुई हैं किन्तु सेना को निशाना बना कर सेना पर आंतकी हमले बढ़ गए है। दो दिन पूर्व हुआ आंतकी हमला इसका उदाहरण है।
370 हटने के बाद 617 आंतकी घटनाएं हुई इनमें 174 जवान ‘ाहिद हुए और 124 आम नागरिक मारे गए जिनमें अधिकतर हिन्दु थे। सैनिकों पर बढ़ते हुए हमलों को ध्यान में रख कर कश्मीर में हमारी सुरक्षा नीति पर पुर्नविचार की आवश्यकता है। यद्यपि सर्जिकल स्ट्राइक द्वारा सरकार ने पाकिस्तान और आंतकियों को सबक सिखाने की कोशिश अवश्य की, किन्तु पाक अपने नापाक इरादों को छोड़ने वाला नहीं है। इसलिए देश की सुरक्षा नीति को और अधिक आक्रामक करने की आवश्यकता है। हमारी सेना को पाकिस्तान में चल रहे आतंकवादी कैम्प के बारे में जानकारी है। इसलिए उन पर और अधिक हमले किए जाने चाहिए। इन कैम्पों पर लगातार हमले होते रहना चाहिए। इससे आंतकियों की कमर टूटेगी और हमारे सैनिकों को असहाय होकर नहीं मरना पड़ेगा। आंतकी कैम्पों पर यदि हमारे कुछ सैनिक ‘शहीद भी हो जाएगें तो भी उनकी संख्या कम ही होगी। युद्ध का सिद्धांत है-आक्रमण ही सबसे अच्छी सुरक्षा है। यदि हम आंतकी कैम्पो पर हमले नही करेंगे तो हमारे बहादुर सैनिक असहाय होकर ‘शहीद’आंतकियों के विरूद्ध अधिक आक्रामक नीति आवश्यक

कश्मीर से धारा 370 हटाना भारत सरकार का बहुत साहसिक और सदाशयता पूर्ण कदम था। यह कश्मीर को देश की मुख्य धारा में मिलाने के लिए बहुत आवश्यक था। एक तरह से तत्कालिन सरकार द्वारा की गई गलती को ठीक करने के लिए यह आवश्यक था। हमें यह भी मामूल होना चाहिए कि धारा 370 केवल राष्ट्रपति के अध्यादेश द्वारा लागू की गई थी। उपलब्ध जानकारी के अनुसार संसद द्वारा इसे कभी भी स्वीकृत नही किया गया। किन्तु धारा 370 हटाए जाना भारत विरोधी पाकिस्तान व अन्य को पसंद नही आया। परिणाम स्वरूप हमारी सुरक्षा बलो पर आंतकी हमले बढ़ गए। यद्यपि पहले से आंतकवादी गतिविधियंा कम हुई हैं किन्तु सेना को निशाना बना कर सेना पर आंतकी हमले बढ़ गए है। दो दिन पूर्व हुआ आंतकी हमला इसका उदाहरण है।
370 हटने के बाद 617 आंतकी घटनाएं हुई इनमें 174 जवान ‘ाहिद हुए और 124 आम नागरिक मारे गए जिनमें अधिकतर हिन्दु थे। सैनिकों पर बढ़ते हुए हमलों को ध्यान में रख कर कश्मीर में हमारी सुरक्षा नीति पर पुर्नविचार की आवश्यकता है। यद्यपि सर्जिकल स्ट्राइक द्वारा सरकार ने पाकिस्तान और आंतकियों को सबक सिखाने की कोशिश अवश्य की, किन्तु पाक अपने नापाक इरादों को छोड़ने वाला नहीं है। इसलिए देश की सुरक्षा नीति को और अधिक आक्रामक करने की आवश्यकता है। हमारी सेना को पाकिस्तान में चल रहे आतंकवादी कैम्प के बारे में जानकारी है। इसलिए उन पर और अधिक हमले किए जाने चाहिए। इन कैम्पों पर लगातार हमले होते रहना चाहिए। इससे आंतकियों की कमर टूटेगी और हमारे सैनिकों को असहाय होकर नहीं मरना पड़ेगा। आंतकी कैम्पों पर यदि हमारे कुछ सैनिक ‘ाहीद भी हो जाएगें तो भी उनकी संख्या कम ही होगी। युद्ध का सिद्धांत है-आक्रमण ही सबसे अच्छी सुरक्षा है। यदि हम आंतकी कैम्पो पर हमले नही करेंगे तो हमारे बहादुर सैनिक असहाय होकर ‘ाहीद होते रहेंगे।
आंतकियों के विरूद्ध अधिक आक्रामक नीति के पक्ष में मानवीय तर्क भी है। आंतकी हमलो में ‘ाहीद होने वाले सैनिक युवा होते हैं। उनकी युवा पत्नियां विधवा हो जाती है। छोटे बच्चें अनाथ हो जाते हैं। बुजुर्ग माता पिता की आंखे पथरा जाती है। रोएं भी तो कैसे रोए।
देश का भी बहुत नुकसान होता है। एक सैनिक को बनाने में बहुत समय,शक्ति,धन लगता है। वास्तव में एक सैनिक देश की ‘ाक्ति का प्रतिनिधि होता है। इसलिए उसे असहाय होकर आंतकियों के हाथों मरने नहीं दिया जा सकता। एक सैनिक की मृत्यु देश और परिवार की अपूरणीय क्षति होती है। इसलिए यह तर्क कि आंतकियों को कभी न कभी मार कर ‘ाहीद सैनिकों की क्षतिपूर्ति हो जाती है स्वीकार करने योग्य नहीं है। हमें इजराइल से सबक लेकर आंतकी कैम्पों पर लगातार हमले करते रहना चाहिए। आंतकियों को खुद के प्राण बचाने की चिन्ता में ही लगाए रखना चाहिए। यद्यपि ऐसी कार्यवाही से कई अंतराष्ट्रीय दबाव भारत पर आएगें किन्तु हमारे वर्तमान नेतृत्व में उन्हें नकारने की क्षमता है। आंतकी जहां भी हों वहां जाकर उन्हें मारने की नीति अपनाकर ही हम अपने सैनिकों की जान बचा सकते हैं। देश भी अधिक सुरक्षित होगा ।
प्रोफेसर डीके शर्मा, रतलाम