इंदौर, । भारतीय समाज मर्यादाओं से बंधा हुआ है। दुनिया के सारे विवाद वहां पैदा होते हैं, जहां मर्यादा की लक्ष्मण रेखा पार कर ली जाती है। कृष्ण और राम के चरित्र आज हजारों वर्ष बाद भी इसलिए पूजनीय और वंदनीय बने हुए हैं कि समाज के गौरव और अस्मिता को बढ़ाने तथा दुष्टों का नाश कर भक्तों की रक्षा करने का संकल्प आज भी जन-जन के मन में अनुभूत होता है। राम और कृष्ण के बिना भारत भूमि की कल्पना करना भी संभव नहीं है।
एयरपोर्ट रोड स्थित सुखदेव नगर में सुखदेव वाटिका, पंचवटी हनुमान मंदिर पर चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ में नीलांचल धाम ओंकारेश्वर की भागवताचार्य सुश्री सर्वेश्वरीदेवी ने उक्त दिव्य विचार व्यक्त किए। कथा में राम एवं कृष्ण जन्मोत्सव भी धूमधाम से मनाए गए। नंद में आनंद भयो…, जय कन्हैयालाल की… भजन पर सैकड़ों श्रद्धालु थिरक उठे। माखन-मिश्री के प्रसाद वितरण और भजनों पर नाचने-गाने सहित कथा स्थल पर भक्तों का उत्साह देखने लायक था। कथा शुभारंभ के पूर्व ठा. विजयसिंह परिहार के साथ पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता, राकेश वर्मा, आनंद मिश्रा, दीपू मिश्रा, शुभम ठाकुर आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया।
सुश्री सर्वेश्वरीदेवी ने कहा कि राम यदि भारत के रोम-रोम में व्याप्त हैं तो कृष्ण भी कण-कण में मौजूद हैं। राम और कृष्ण इस देश के जन मानस के प्राण तत्व हैं। राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं कृष्ण लीलाधर। राम और कृष्ण भारत भूमि के पर्याय हैं। इन दोनो अवतारों के बिना भारत भूमि की कल्पना भी संभव नहीं है। राम ने जहां समाज को सबसे अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति की सेवा का संदेश दिया है, वहीं कृष्ण ने समाज में व्याप्त कंस प्रवृत्ति का नाश किया है। धर्म की जब-जब हानि होती है, भगवान भारत भूमि पर ही अवतार लेते हैं। जितने अवतार भारत भूमि पर होते हैं, उतने दुनिया में किसी अन्य देश में नहीं होते। यह भारत की पुण्य भूमि का प्रमाण है।