इंदौर, । दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं होगा, जिससे कभी कोई पाप नहीं हुआ होगा। जानते हुए किया गया पाप अनजाने में हुए पाप कर्म से कई गुना अधिक दोष वाला होता है। पापा का शमन पश्चाताप से ही संभव है। पाप के बाद आने वाले ताप का नाम ही पश्चाताप है। पतित को पावन बनाने के लिए परमात्मा और संत की कृपा जरूरी है। शिव पुराण कथा जन्म जन्मांतर के चक्रव्यूह से मुक्ति दिलाने वाली कथा है।
बड़ा गणपति पीलियाखाल स्थित प्राचीन हंसदास मठ पर मंदिर के सातवें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में हंस पीठाधीश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज के सानिध्य में आज से प्रारंभ शिव पुराण कथा में भागवताचार्य पं. पवन तिवारी ने उक्त प्रेरक विचार व्यक्त किए। कथा शुभारंभ के पूर्व मठ परिसर में शोभायात्रा भी निकाली गई, जिसमें अश्वारोही संत, ऊंटों पर सवार वेदपाठी बटुक एवं मंगल कलश धारण किए महिलाएं भी शामिल हुईं। मुख्य यजमान प्रवीण-मिलन सोनी शिव पुराण को नंगे पैर मस्तक पर धारण किए चल रहे थे। महिलाओं ने भजनों पर नाचते-गाते हुए शोभायात्रा में भाग लिया। दोपहर में गणेश पूजन के बीच व्यासपीठ पर विराजित होकर पं. पवन तिवारी ने शिवपुराण की कथा सुनाई।