कन्ज्यूमर फोरम ने दिया विशेष फैसला, कंपनी को भी माना उपभोक्ता – बिल्डर ने ढ़ाई साल

 

– बिल्डर ने ढ़ाई साल देरी से दिया फ्लैट का पजेशन, खरीदार को मिलेगा 6
प्रतिशत ब्याज

इंदौर, ।प्रॉपर्टी डेवलपर्स, कॉलोनाइजर्स, बिल्डर्स और डीलर्स की कारस्तानी किसी से छुपी नहीं है। बात चाहे खराब कंसट्रक्शन की हो या फिर धोखाधड़ी की, हर
तरह की शिकायतों का अंबार लगा है। आम आदमी लगातार इस तरह की घटनाओं का शिकार हो रहे हैं और उपभोक्ता फोरम द्वारा मदद भी दी जा रही है, लेकिन
इसी बीच एक मामला ऐसा आया जिसमें एक कंपनी इस तरह की धोखाधड़ी का शिकार हुई। अपने तरह के इस खास मामले में उपभोक्ता फोरम ने कंपनी को उपभोक्ता
मानकर आंशिक राहत प्रदान की। इसे अब तक का विशेष फैसला माना जा रहा है।
मामला बिल्डर द्वारा फ्लैट का पजेशन देने में की गई देरी का है जिस पर पभोक्ता फोरम ने पीड़ितखरीदार को राहत देते हुए बिल्डर से दो साल का ब्याज दिलवाने का फैसला दिया है। इस मामले में सबसे खास बात यह है कि फोरम ने फ्लैट खरीदने वाली कंपनी को उपभोक्ता माना, जबकि सामान्यत:व्यक्ति को ही उपभोक्ता माना जाता है। संभवत: यह इस तरह का पहला मामला
है।

खरीदार राग बिल्ड टेक प्रा. लि. की ओर से वाद दायर करने वाले अधिवक्ता प्रवीण कचोले ने बताया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत कंपनी को
उपभोक्ता नहीं माना जाता है किंतु यहां इस मामले में कंपनी द्वारा अपने निदेशकों के लिए फ्लैट खरीदे गए थे इसलिए इस फ्लैट की खरीदी को व्यवसायिक
नहीं माना गया और इस प्रकार परिवादी कंपनी को उपभोक्ता श्रेणी में लिया जाकर एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। उनके पक्षकार ने शांति रियलिटी
प्रा.लि. (बिल्डर्स एंड डेवलपर्स) से फ्लैट खरीदा था। बिल्डर ने समय पर पजेशन नहीं दिया, साथ ही कंस्ट्रक्शन क्वालिटी भी खराब थी। इसलिए शांति
रियलिटी प्रा.लि. (बिल्डर्स एंड डेवलपर्स) और श्री अरूण मेहता, मैनेजिंग डायरेक्टर, शांति रियलिटी प्रा.लि. के खिलाफ वाद दायर किया।

अधिवक्ता प्रवीण कचोले ने बताया कि पक्षकार से 30 लाख रुपए लेकर बिल्डर द्वारा 21 अक्टूबर 2011 को फ्लैट (ई 202 , सेकंड फ्लोर, ई सूर्या क्लॉक
बीसीएम पैराडाइज, एडवांस एकेडमी के पास ) का अलॉटमेंट लेटर दिया गया था।
2585 वर्ग फिट सुपर बिल्ट अप एरिया एवं 1915 वर्ग फिट बिल्ट अप एरिया वाले फ्लैट की मूल कीमत के अलावा खरीदार से बिजली, पानी, गैस पाईप लाइन,
क्लब आदि के नाम पर 2 लाख 26 हजार 155 रुपए अतिरिक्त लिए गए थे। इस तरह बिल्डर ने 32 लाख 26 हजार 155 रुपए रुपए लेकर फ्लैट बेचा साथ ही तीन साल के मेंटेनेंस के नाम पर 1 लाख 3 हजार 400 रुपए भी लिए। अलॉटमेंट लेटर की शर्तों के मुताबिक बिल्डर द्वारा नवंबर 2011 में रजिस्ट्री कर कब्जा दिया
जाना था, लेकिन बिल्डर ने 31 मार्च 2012 तक का समय मांगा। यह अवधि बीत जाने के बाद भी खरीदार को कब्जा नहीं मिला।

कई बार शिकायत करने के बाद बिल्डर ने 4 मार्च 2014 को खरीदार को पजेशन दिया। कब्जा लेते समय पक्षकार ने पत्र लिखकर शिकायत की कि वादे के मुताबिक कंस्ट्रक्शन नहीं किया गया। मेन डोर के साथ बाकी चार डोर सेट भी नहीं लगाए गए। मॉड्यूलर किचन, एल्युमिनियम सेक्शन सहित कई काम अलॉटमेंट
लेटर के हिसाब से नहीं किए गए। खरीदार की शिकायत पर बिल्डर ने सुधार का आश्वासन दिया, लेकिन सुधार नहीं करवाया। असंतुष्ट खरीदार ने फोरम की शरण
ली और 32 लाख 26 हजार 155 रुपए लेकर रुपए फ्लैट बेचने के इस मामले में सेवा में त्रुटि पाते हुए फोरम ने बिल्डर को आदेश दिया कि वह खरीदार को
32 लाख 26 हजार 155 रुपए की राशि पर 1 अप्रैल 2012 से 4 मार्च 2014 तक 6 प्रतिशत वार्षिक साधारण की दर से ब्याज का भुगतान करे। दो माह की अवधि में यह भुगतान नहीं करने पर 9 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज देय होगा।
इसके साथ ही मानसिक कष्ट हेतु 20 हजार रुपए और परिवाद का व्यय 5 हजार रुपए देने का आदेश भी दिया।

राग बिल्ड टेक प्रा. लि. के निदेशक अनिक गर्ग ने बताया कि बिल्डर्स प्रॉपर्टी के खरीदार से पूरा पैसा ब्याज सहित लेते हैं जिसके लिए खरीदारों का काफी संघर्ष करना पड़ता है। प्रॉपर्टी बुक करते समय वे बड़े कमिटमेंट करते हैं जो उन्हें हर हाल में पूरे करना चाहिए। अगर वे इन्हें
पूरा नहीं करते तो उन पर पैनाल्टी लगना चाहिए। इस मामले में ऐसा ही हुआ है। उपभोक्ता फोरम के इस फैसले से बाकी बिल्डर्स को सबक मिलेगा।