कर्मों के जाल से कोई बच नहीं सकता, दान ही उपाय – प्रवर्तक प्रकाश मुनि जी महाराज

इंदौर । पर्युषण पर्व हमारे हृदय में प्रेम और स्वकल्याण के लिए आते हैं, पहले व्यक्ति स्वकल्याण करें, फिर दूसरों का कल्याण करें, धन चाहे तो दान कर, राज चाहे तो तप कर, नाम चाहे तो सदाचार कर, और मोक्ष चाहे तो भाव शुद्ध कर, जो देता है उससे कहीं गुना मिलता है जिसको भी धन मिला पूर्व जन्म के पुण्यो से मिला है, धर्म पुरुषार्थ और पुण्य से मिलता है, आज दान दिवस के उपलक्ष में कहा कि भूखों को भोजन, बीमार को इलाज, पढ़ने वाले को सहयोग, मूक पशु पक्षियों को दाना भोजन, यह सबसे बडे दान है, इन दानों से जीवन बचता है और जीवन बनता है, जिसका पुण्य कमजोर है इसीलिए उसे आवश्यकता है, वो मांगता है, दान धर्म करके भूल जाओ दान का त्याग करो, गुप्त दान देता है उसे गुप्त मिलता है, यह हमेशा याद रखो देने वाले से लेने वाला उपकारी है, वह ले रहा है तो आप दान कर रहे हो कोई नहीं लेगा तो दान किसको करोगे।

*यह प्रेरक प्रवचन पर्युषण पर्व के चतुर्थ दिवस पर महावीर भवन की विशाल धर्मसभा में प्रवर्तक प्रकाश मुनि जी महाराज साहब ने व्यक्त किये।*
महासती चंदना श्री जी महाराज साहेब ने अंतगढ़ सूत्र का वाचन कराया । महासती लाभोदया श्रीजी महाराज ने कल्पसूत्र का वाचन कराया।महासती रमणिक कंवर जी महाराज साहेब ने अंतगड सूत्र के गूढ़ रहस्यों को बताया। आज की धर्म सभा में डॉक्टर राजीव चौधरी, रमेश भंडारी, अचल चौधरी, हस्तीमल झेलावत, वीरेंद्र धाकड़, राजेंद्र महाजन, सुरेश देशलेहरा, राजकुमार पंजाबी, आदि समाज जन उपस्थित थे।
धर्म सभा का संचालन जिनेश्वर जैन ने किया आभार प्रकाश भटेवरा ने माना।