महू । मध्यप्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री, मुख्य, अतिरिक्त व प्रधान सचिव को महू की *अरुणा रोड्रिग्स* ने अपने वकील अभिनव मल्होत्रा के माध्यम से कानूनी नोटिस देकर कहा है कि *केन्द्र सरकार ने कोविड 19 टीकाकरण को स्वेच्छिक कहा है लेकिन राज्य सरकार के कई उपक्रमों, संस्थाओं, प्राधिकारियों द्वारा महू, इंदौर के रहवासियों को टीका लगाने के लिये जोर जबरदस्ती से बाध्य किया जा रहा है, जो गलत है*। इसके लिये मध्यप्रदेश सरकार स्पष्ट करे कि कोविड टीका स्वेच्छिक है इसे बलपूर्वक लागू न किया जाए।
महू बंगला नं. ६९ की रहवासी अरुणा रोड्रिग्स ने भेजे नोटिस में कई अहम सवाल उठाए हैं जिसमें कहा गया है कि कोविड वैक्सीनेशन के लिये दबाव बनाया जा रहा है जिसके तहत सार्वजनिक स्थानों, मंडी, नगर पालिका कार्यालय, जिम, धार्मिक स्थल पर प्रवेश के लिये वैक्सीनेशन प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है। नोटिस में कहा गया है कि यह स्वीकार है कि कोविड को लेकर हमारा देश सदी के सबसे भयंकर दौर से गुजर रहा है। भारत ने वायरस के खिलाफ अपनी लड़ाई को मजबूत करने के लिये कई उपाय किये हैं। वर्तमान में सरकार का ध्यान निवारक हस्तक्षेप के रुप में वैक्सीनेशन की चुनौति के माध्यम से वायरस के प्रचार और संचरण को नियंत्रित करने में स्थानांतरित हो गया है। इसी के चलते सरकार ने कोवैक्सीन, कोविडशील्ड, स्पूतनिक आदि से आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण के तहत कोविड १९ टीकाकरण अभियान शुरु किया है, *मगर इन टीकों का सुरक्षा परीक्षण के लिये पूर्ण क्लिनिकल परीक्षण नहीं हुआ है*। इस उपरांत डेटा का मूल्यांकन सहकर्मी समीक्षा के तहत किया जाना चाहिये ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि साक्ष्य आधारित विज्ञान की जांच को कठोर नियामक निरीक्षण के साथ संतुष्ट करते हैं। ताकि जनता को भी सुनिश्चित किया जा सके कि ये टीके सुरक्षा मापदण्डों को पूरा करते हैं, प्रभावी, सुरक्षित हैं, सरकारी अनुमोदन प्राप्त करने के लिये सुरक्षित हैं।
नोटिस में कहा गया है कि अब तक *सुरक्षा डाटा अधिकारियों के पास उपलब्ध नहीं है और न ही जनता के पास उपलब्ध है*। इन प्रक्रियाओं को पूरा करने में कुछ वर्ष और लगेंगे। इसका अर्थ है कि टीके वर्तमान में स्वीकृत नहीं हैं।
विशेष रुप से भारत सरकार ने कहा है कि कोविड १९ टीकाकरण स्वेच्छिक है। इस संबंध में स्वास्थ एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने अपनी वेब साइड पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न में कोविड १९ के टीकों के बारे में स्पष्ट कहा है कि ये स्वेच्छिक हैं अर्थात ‘सूचित सहमति’ है। सरकार ने आरटीआई के जवाब में कोविड १९ टीकाकरण से होने वाली क्षति प्रतिकूल प्रभाव या मौत की दशा में मिलने वाले प्रतिकर के संबंध में सरकार ने स्पष्ट कहा है कि कोविड 19 टीकाकरण स्वेच्छिक होने के कारण अभी तक प्रतिकर का कोई प्रावधान नहीं है।
नोटिस में कहा गया है कि *भारतीय संविधान अनुच्छेद 21 के तहत किसी व्यक्ति के इच्छा के विरुद्ध किसी भी औषधि, दवा, पदार्थ या टीकों का जबरदस्ती प्रशासित करने का कोई भी तरीका नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद का उपचार करने का अधिकार है।* इसलिये राज्य सरकार का उनके स्थानीय प्राधिकारियों के माध्यम से किया जा रहा टीकाकरण कार्य केन्द्र सरकार के स्वास्थ एवं परिवार कल्याण केन्द्र के नियमों का उल्लंघन है। *इतना ही नहीं सर्वोच्च न्यायालय के एक महत्वपूर्ण फैसले कॉमन कॉज वि. यूनियन ऑफ इंडिया की अवमानना है*। अतएव एक वयस्क व्यक्ति को पूर्ण अधिकार है कि वह जबरन टीकाकरण करवाने से इंकार करे। लेकिन स्थानीय प्राधिकारियों, संस्थाओं, उपक्रम द्वारा अधिकारियों की लाभ प्राप्ति के लिये टीकाकरण को पूर्ववर्ती शर्त बनाया गया है। सार्वजनिक स्थानों पर आने जाने वालों के लिये भी टीकाकरण की आवश्यकता, पासपोर्ट की तरह जरुरी की गई है। उक्त नोटिस की प्रति कलेक्टर, महू एसडीएम, मुख्य कार्यपालन अधिकारी कैंट बोर्ड, एसडीओपी को भी प्रेषित की गई है।