बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओ योजनांतर्गत शिक्षकों का एक दिवसीय जिला स्तरीय उन्मुखीकरण सह प्रशिक्षण कार्यक्रम पिपलौदा DIET परिसर में आयोजित

रतलाम । “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” योजनांतर्गत के अंतर्गत एक दिवसीय जिला स्तरीय उन्मुखीकरण सह प्रशिक्षण आयोजित किया गया। कार्यक्रम में सुनील सेन,जिला कार्यक्रम प्रबन्धक द्वारा मानसिक स्वास्थ्य एवं मनोसामाजिक सहयोग,जेन्डर एवं बाल विवाह पर उन्मुखीकरण किया गया है।
कार्यक्रम में बताया गया कि किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य को समझना और उसका उचित समाधान करना आवश्यक है और शिक्षक इसे बेहतर तरीके क्रियान्वित कर सकते है। किशोरों का परामर्श करने के लिए लुक,लिसन और लिंकजेस (3L) बहुत महत्वपूर्ण और प्रभावी होते है।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम पर चर्चा करते हुए बताया कि बाल विवाह सामाजिक में फैला हुआ ऐसा अपराध है जो बालिकाओं और बालकों के जीवन में विकास को अवरूद्ध करता है उनके शैक्षणिक,मानसिक और शारीरिक विकास मे बाल विवाह रोङा बनते है और उनके बाल अधिकारों का हनन करते है।साथ ही जेन्ङर के सत्र पर चर्चा करते हुए बताया गया कि हम सब बराबरी की बात करते है लेकिन हमारे व्यवहार मे वो बराबरी दिखाई नही देती है अब समय है की हम सामान अवसर के साथ सामान व्यवहार और कार्यो के विभाजन पर भी विचार करने की आवशयकता है हमें अपनी दैनिक दिनचर्या में सामाजिक व्यवहार परिवर्तन को शामिल करते हुए कार्य करना होगा तभी है सामान व्यवहार कर सामाजिक लिंगभेद को समाप्त कर पायेंगे।
इस अवसर पर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान पिपलोदा के प्रभारी प्राचार्य डॉ. नरेंद्र कुमार गुप्ता ने “डिस्लेक्सिया पर चर्चा करते हुए बताया कि जैसे सीखने की कठिनाइयों को समझना और समय पर पहचानना आवश्यक है, ताकि हर बच्चा अपनी पूरी क्षमता तक पहुँच सके।”
वन स्टॉप सेंटर जावरा की काउस्लर मोनिका कश्यप, केस वर्कर नंदनी किरार, एम टी एस कविता चावला ने वन स्टाप सेन्टर मे महिलाओं को दी जाने वाली सुविधाओं, सहायता एवं विभागीय योजनाओं की जानकारी प्रदान की गई।
कार्यक्रम में विकासखंड स्रोत समन्वयक प्रदीपसिंह बेस, जिला साक्षरता समन्वयक ज्ञानेश्वर परिहार तथा ब्लॉक समन्वयक नानालाल नायमा ने साक्षरता के सामाजिक महत्व और सर्वसमावेशी शिक्षा की दिशा में चल रहे प्रयासों की जानकारी दी। ए.पी.सी.मदन धामनिया ने डिस्लेक्सिया के लक्षण, उसकी पहचान के उपाय एवं शिक्षण में अपनाई जाने वाली प्रभावी विधियों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
कार्यशाला मे वरिस्थ व्याख्याता भवरलाल सोनी, वार्डन अम्बाराम बोस ने भी संबोधित किया। कार्य शाला का संचालन दिव्यांग हॉस्टल वार्डन अंबाराम बोस ने किया।